दूसरे युद्ध से पहले कवच पहन लेना जरूरी-रविन्द्र सिंह

इस समय हम सब कोविड-19 की दूसरी लहर का सामना कर रहे हैं। सालभर पहले जब पहली लहर आई थी तो हमने बहुत सफलतापूर्वक उसका सामना किया था, और अंततः संक्रमण को नियंत्रित भी कर लिया था। तब पूरे विश्व के साथ-साथ भारत के सामने भी अभूतपूर्व परिस्थितियां उठ खड़ी हुई थीं। देश ने पहली बार इतना लंबा लाकडाउन झेला था। लाखों लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट उठ खड़ा हुआ था। तब हम इस वायरस के बारे में कुछ भी नहीं जानते थे। इससे कैसे निपटा जाए, यह भी नहीं जानते थे। डाक्टरों को न तो इसके इलाज का तरीका पता था, न वैज्ञानिकों को वायरस के स्वरूप का। इस महामारी ने हम सबको अचानक एक अंधकार में ला खड़ा किया था, जिसमें टटोल-टटोल कर ही आगे बढ़ा जा सकता था। लेकिन उस अंधकार में हम सबने तुरंत एक-दूसरे का हाथ थाम लिया, ताकि एक-दूसरों को किसी भी तरह की ठोकर से बचाया जा सके। डाक्टरों, नर्सों, पुलिस के जवानों, प्रशासन के अधिकारियों-कर्मचारियों, जनप्रतिनिधियों, समाज-सेवियों ने मिलकर मोर्चा संभाला और अंततः फतह हासिल की।
कोविड-19 ने दूसरी बार हमला किया है। यह ठीक वैसा ही है जैसे जंग जीत कर सुस्ता रहे सैनिकों पर मौके का फायदा उठाते हुए दुश्मन दुबारा हमला कर दे। पहली लहर पर मिली जीत के बाद हम सब भी सुस्ता ही रहे थे। थोड़े लापरवाह, थोड़े निश्चिंत और बहुत ज्यादा आत्मविश्वासी भी हो गए थे। निश्चित ही इसीलिए इस महामारी ने फिर सेंधमारी कर दी है। यह भी तय है कि पिछली बार की तुलना में इस बार कोविड-19 को हम ज्यादा तेजी से परास्त करने वाले हैं। अब हम इस वायरस को भी जानते हैं, इसके इलाज के बेहतर तरीके जानते हैं और वायरस को नख-दंत विहीन करने की क्षमता भी हमारे पास है। हम हमारे पास वैक्सीन के रूप में एक मजबूत सुरक्षा-कवच है।
कोविड-19 की दूसरी लहर से मुकाबला करने के लिए हम सबको कवच धारण करना ही होगा। हम सबको वैक्सीन लगवानी ही होगी। जैसी एकजुटता पिछली लहर से मुकाबले के लिए नजर आई थी, वैसी ही एकजुटता अब स्वयं की सुरक्षा के लिए दिखानी होगी। मानवता की रक्षा के लिए इस समय सबसे बड़ा धर्म यही है कि हम स्वयं को बचाएं और दूसरों को भी प्रेरित करें। पहली लहर के दौरान हम लोगों के सामने वायरस के साथ-साथ तरह-तरह की अफवाहों ने भी चुनौतियां खड़ी की थीं, इस दूसरी लहर के दौरान भी वैसी ही कोशिशें की जा रहीं हैं, हालांकि अब हम सब ज्यादा अनुभवी और ज्यादा जागरुक हैं।
देश में अब तक 6 करोड़ से ज्यादा लोगों को कोरोना का टीका लग चुका है। ये आबादी छोटे-मोटे दो तीन देशों के बराबर तो हो ही जाती है। इतनी बड़ी आबादी के सफलतापूर्वक टीकाकरण के बाद अब इसके साइड इफेक्ट को लेकर किसी भी तरह की शंका की गुंजाइश नहीं रह जाती। छत्तीसगढ़ में भी जोर-शोर से टीकाकरण चल रहा है, और अब तो हमारे-आपके किसी न किसी परिचित ने भी टीका लगवा लिया है। बहुतों ने तो दूसरा डोज भी लगवा लिया है। हम लोगों को उनके अनुभवों को सुनना चाहिए, टीकाकरण के बाद उनके भीतर आए आत्मविश्वास को महसूस करना चाहिए।
कोविड की दूसरी लहर जितनी तेज है, उससे ज्यादा तेजी के साथ टीकाकरण हो रहा है। इस दूसरी जंग में यही रणनीति ही कारगर साबित हो सकती है। जितनी तेजी से टीकाकरण होगा, हम वायरस को उतनी तेजी से पीछे धकेल पाएंगे। इसके लिए जरूरी है कि जो-जो व्यक्ति टीकाकरण के लिए पात्र हैं, वे सबसे पहले स्वयं टीका लगवाएं और अपने आस-पास के लोगों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करें। दूसरे चरण के टीकाकरण में अब 45 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों को टीके लगाए जा रहे हैं।
इस दूसरी जंग में हमें यह बात अच्छी तरह याद रखनी होगी कि आत्मविश्वास अच्छी बात होती है, लेकिन अति-आत्मविश्वास नुकासन भी पहुंचा सकता है। टीकाकरण के बाद हमें फिर से लापरवाह नहीं हो जाना है। मास्क, सैनेटाइजिंग, सोशल डिस्टेंसिंग जैसे अस्त्रों को अपने साथ बनाए रखना है। हमारे सुरक्षा-कवच में कोरोना के लिए कहीं पर भी सुराख नहीं होना चाहिए।

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