
डीएमएफ फण्ड में लाखों की सेंध लगाने आरईएस के अधीक्षण अभियंता शर्मा ने विभागीय सर्कुलर को किया दरकिनार,सर्किल कार्यालय में 15 दिन पत्र को दबाकर 40 लाख बढ़ाई लागत जीपीएम में स्वामी आत्मानन्द इंग्लिश मीडियम स्कूल निर्माण का मामला
बिलासपुर – भूपेश सरकार के डीएमएफ फण्ड में लाखो की सेंध लगाने ग्रामीण यांत्रिकी सेवा बिलासपुर सर्किल के अधीक्षण अभियंता निर्मल कुमार शर्मा के नेतृत्व में विभागीय सर्कुलर को दरकिनार कर गड़बड़झाला किया गया है मरवाही कार्यपालन अभियंता कार्यालय से तकनीकी स्वीकृति के लिए ग्रामीण यांत्रिकी सेवा बिलासपुर सर्किल कार्यालय आए पत्र को जबरिया 15 दिन लटकाए रखा गया जबकि नियमानुसार तकनीकी स्वीकृति के लिए आए पत्र का 8 दिन में निराकरण करना है लेकिन ऐसा नही किया गया नए एसओआर लागू होने तक पत्र को रोके रखा गया और एसओआर लागू होने के बाद जिस कार्य को मरवाही कार्यपालन अभियंता कार्यालय 1 करोड़ 46 लाख में बनाने की मंजूरी सर्किल कार्यालय से मांग रहा था अंततः उक्त कार्य की लागत को बढ़ाते हुए 1 करोड़ 87 लाख का किया गया तत्पश्चात तकनीकी स्वीकृति दी गई ।
जीपीएम कलेक्टर की अध्यक्षता वाली डीएमएफ समिति से सहमति प्राप्त कर मनचाहे दर पर मरवाही में स्वामी आत्मानन्द अंग्रेजी स्कूल बनाने जा रहे ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के धुरंधरों द्वारा विभागीय सर्कुलर को अनदेखा कर भूपेश सरकार के सुशासन के संकल्प को तार तार किया गया है मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नए जिलों में सबसे चहेते जीपीएम जिला में भ्रष्टाचार ने पैर पसारना शुरू कर दिया है ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग के धुरंधरो ने कलेक्टर की अध्यक्षता वाले डीएमएफ फण्ड में सेंध लगा दी है जीपीएम जिला के विकास के लिए ख़ज़ाना खोलने वाले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को अपने कृत्यों से मुंह चिड़ा रहे आरईएस के कथित अफसर की कार्यशैली से विभाग में हड़कम्प मचा हुआ है सब डिवीजनों से मासिक वसूली कर रहे कथित अफसर ने स्वामी आत्मानन्द इंग्लिश मीडियम स्कूल की लागत बढ़ाने विभागीय सर्कुलर को भी कूड़े में डाल दिया जिसकी चर्चा जोरों पर है ।
विभागीय सूत्रों के अनुसार जीपीएम जिला के इस संगठित भ्रष्टाचार में सबके हाथ रंगे है स्वामी आत्मानन्द इंग्लिश मीडियम स्कूल निर्माण की लागत बढ़ाने में अधीक्षण अभियंता व उनके अधीनस्थ अफसरों ने महती भूमिका अदा की है बीते 18 नवम्बर को तकनीकी स्वीकृति के लिए अधीक्षण अभियंता कार्यालय बिलासपुर पहुँचे पत्र का नियमानुसार सप्ताह भर के भीतर निराकरण कर दिया जाना था लेकिन अधीक्षण अभियंता कार्यालय में पत्र को दबाए रखा गया 24 नवम्बर को प्रमुख अभियंता द्वारा रायपुर कार्यालय से नए एसओआर लागू होने सम्बन्धी पत्र जारी किए जाने के बाद 2 दिसम्बर को मरवाही कार्यपालन अभियंता कार्यालय से आए पत्र का निराकरण कर तकनीकी स्वीकृति दी गई बहरहाल पीडब्ल्यूडी द्वारा 1 करोड़ 10 लाख में बनाई जा रही उक्त बिल्डिंग के संदर्भ में पहले ही 35 लाख अधिक का एस्टीमेट बनाकर 1 करोड़ 46 लाख 95 हजार में बनाकर देने वालेे आरईएस विभाग के धुुुरनधरो के लिए नया एसओआर लॉटरी लगना साबित हुआ जिसके बाद आश्चर्यजनक रूप से बिल्डिंग निर्माण कार्य की लागत बढ़ाते हुए 1 करोड़ 87 लाख कर दिया गया बहरहाल भूपेश सरकार को धड़ल्ले से चूना लगा रहे आरईएस विभाग को जीपीएम कलेक्टर की अध्यक्षता वाली डीएमएफ समिति से प्रशासकीय स्वीकृति मिल जाना किसी आश्चर्य से कम नही है ।
डिब्बा खुलने के बाद ढक्कन लगा रहे आरईएस के अफसर
मीडिया में आरईएस विभाग की कारगुजारी उजागर होने के बाद विभाग के धुरन्धर मीडिया मैनेज करने जोड़तोड़ में लगे रहे अपने कृत्य के समर्थन में न्यूज़ पोर्टल में खबर चलवाई गई और अपने कृत्य को सही ठहराने का प्रयास किया गया लेकिन उनके कृत्य का समर्थन करने वाली न्यूज स्क्रिप्टेड व डब्बा खुलने के बाद ढक्कन लगाने जैसी रही ।