योग आयोग सदस्य रविन्द्र सिंह ने बोरे बासी खाकर किया श्रमिको का सम्मान
बिलासपुर-छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अपील पर श्रमिक दिवस के अवसर पर अपने आहार और संस्कृति के गौरव की अनुभूति तथा श्रमिकों के सम्मान के लिए छत्तीसगढ़ योग आयोग के सदस्य रविन्द्र सिंह ने बोरे-बासी खाकर श्रमिकों का सम्मान किया। श्रमिकों का मान बढ़ाने के लिए बोरे बासी का सेवन किया।
एक मई का दिन मेहनतकश मजदूरो और किसानों के सम्मान करने का दिन है। बोरे बासी खाकर आज इस दिन को त्यौहार के रूप में मना रहे है। बोरे बासी छत्तीसगढ़ में पारम्परिक रूप से मेहनतकशों के दैनिक भोजन का हिस्सा रहा है। बोरे बासी खाने की परम्परा बहुत पुरानी है। बोरे बासी में सारे पोषक तत्व मौजूद होते हैं। गर्मीं के दिनों में शरीर को ठंडक प्रदान करता है।आपको बताते चले कि बोरे बासी छत्तीसगढ़ की प्राचीन भोजन शैली और संस्कृति की पहचान है। जिसे पुनः स्थापित करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने श्रमिक दिवस को बोरे बासी दिवस के तौर पर आयोजित करने का आव्हान किया था। जिसका अनुशरण करते हुए बोरे बासी खाकर श्रम का मान बढ़ाया। बोरे-बासी छत्तीसगढ़ का ऐसा भोजन है जो पके हुए रात के बचे चावल को पानी में भिगोकर रात भर रखा जाता है। फिर सुबह उसमें हल्का नमक डालकर टमाटर की चटनी या अचार और कच्चे प्याज के साथ खाया जाता है। छत्तीसगढ़ के लोग प्रायः सुबह बासी का ही नाश्ता करते हैं। बोरे बासी खाने से न सिर्फ गर्मी और लू से राहत मिलती है, बल्कि बीपी कंट्रोल रहता है डि-हाइड्रेशन की समस्या नहीं होती है।