समाज भगवान श्रीराम की मर्यादा का जीवन में अनुसरण करे –दीपक विषपूते…… उपहास उपेक्षा विरोध और फिर समाज में संघ की स्वीकारिता–दीपक विषपुते…….
बिलासपुर–राष्ट्रीय स्वमसेवक संघ बिलासपुर के द्वारा आज रविवार को सरकंडा साइंस कालेज में एक कार्यक्रम आयोजित किया जिसमे इस कार्यक्रम का नाम सबके राम नाम से इसे आयोजित किया गया।इस कार्यकर्म में आरएसएस के क्षेत्रीय प्रचारक दीपक विषपुते मुख्य वक्ता के रूप में मंच में आसीन हुए।कार्यक्रम में बड़ी संख्या में बिलासपुर क्षेत्र के कार्यकर्ता शामिल हुए।
कार्यकर्म का मुख्य उद्देश्य अयोध्या में श्री मंदिर के पुन निर्माण के पूर्व अयोध्या से आए अक्षत चावल को लोगो के घरों में जाकर जाकर एक जान जागरण का कार्य किया गया था।उस कार्य में लगे कार्यकर्ता का एक सम्मेलन के तहत इसे आयोजित कर उनका सम्मान और मिलन के तहत किया गया।उक्त कार्यक्रम में मुख्य वक्ता रूप में क्षेत्रीय प्रचारक दीपक विषपुते ने कहा कि नगर के एकत्रीकरण के कारण हम सब यहां उपस्थित हैं।
इस कार्यक्रम में उपस्थित होने पर अपनी खुशी व्यक्त की और अपने आप को सौभाग्यशाली बताया । 22 जनवरी 2024 को जो लोग अयोध्या में उपस्थित थे या आभासी पटल पर जो लोग प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम देख रहे थे , महाभारत के महासंग्राम के बाद शायद यह पहला अवसर होगा जिसमें संपूर्ण हिंदू समाज ने एकत्रित होकर देखा और कोई एक ऐसा व्यक्ति नहीं रहा जिनकी आंखों से दो बूंद आंसू नहीं गिरे यह हमारे लिए और हमारे देश के लिए गौरव की बात रही। अगर हम इतिहास में जाएं तो इसके लिए लगभग 72 से अधिक बार संघर्ष किया गया। मंच से उन्होंने अपने कहा की 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा का विध्वंश हुआ उसे दिन टाइम्स ऑफ इंडिया ने लिखा कि 6 दिसंबर 1992 हिदुत्व का टर्निंग पॉइंट शुरू हुआ। स्वतंत्रता के बाद हमारे देश की स्थिति बहुत सुदृढ़ नहीं थे उसके बाद तुरंत हमारा देश दो भागों में बट गया उसे समय हमारे देश में गरीबी की स्थिति बनी थी और वैश्विक पटल पर हमारे स्थिति को सुनने वाला कोई देश नहीं था। और इतनी टहनियां स्थिति हमारे देश की उसे समय थे अगर इन सारे चीजों को देखते हैं अगर हम अपने स्वतंत्रता के 1000 साल पहले तक यदि देखा जाए तो इन 1000 वर्षों में भारत का शोषण और दमन हुआ है। स्वतंत्रता के पश्चात धीरे-धीरे हम यहां तक पहुंचे हैं इन 75 वर्षो में हमारे देश के लोगों ने अपना परिचय और पहचान बनाई, विश्व में भारत का लोकतंत्र मदर ऑफ डेमोक्रेसी है इस वाक्य को स्वयं भारत के प्रधानमंत्री जी ने कहा है।
भारत में गांव का प्रत्येक व्यक्ति अपने देश के लोकतंत्र प्रति समर्पित रहता है और यह अपने देश के नेतृत्व की विशेषता रही है की देश के तीन बड़े सर्वोच्च पदों की चर्चा करे तो देश की राष्ट्रपति जो एक आदिवासी महिला है, देश के उपराष्ट्रपति जो की एक राजस्थान के एक सुदूर किसान परिवार से है तथा तीसरे प्रधानमंत्री गुजरात के एक जिला के छोटे से गांव से है। उन्होंने कहा की आज भारत स्वस्थ भारत है। कोरोना काल में विश्व में सबसे ज्यादा वैक्सीनेशन का कार्य भारत ने किया। कोविद-19 के समय में विश्व के सभी देशों की अर्थव्यवस्था गड़बड़ा गई थी परंतु भारत के किसान भारत के युवा ने भारत के अर्थव्यवस्था को गिरने नहीं दिया और आज की स्थिति में भारत विश्व की पहली अर्थव्यवस्था बनने की तरफ अग्रसर हो रहा है। आत्मनिर्भर भारत की बात करें तो यहां का गरीब से गरीब परिवार का एक बेटा अपना उद्योग खड़ा करके और अपनी कंपनी का सीईओ बनता है दूसरे कंपनी में जाता है तो उसकी इच्छा नेतृत्व करने की होती है। आज हमारे देश में मातृशक्ति भी जेट विमान से लेकर के रॉकेट उड़ाती है। तथा देश की रक्षा करने के लिए बॉर्डर पर भी तैनात रहती हैं। आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 100 वर्ष पूरे होने वाले है, जो संघ नागपुर में 1925 से शुरू हुआ वह आज पूरे भारत में महासागर का रूप ले चुका है। उन्होंने बताया की स्वतंत्रता के बाद सरदार वल्लभभाई पटेल जी ने सोमनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार किया यह स्वतंत्रता का प्रथम जीर्णोद्धार था । नेहरू जी ने अपने शासनकाल में संघ कार्य के लिए एक इंच भूमि भी देने से मना कर दिया था और आज भारत ही नहीं पूरे विश्व में संघ का कार्य का विस्तार हो चुका है ।उन्होंने कहा की संघ का उद्देश्य यह है की अपनी बस्ती/मोहल्ले में एक दूसरे से मिलना और हिंदू समाज को जागृत करना तथा हिंदुत्व के लिए कार्य करना यही हमारा उद्देश है उन्होंने अपने बस्ती/मोहल्ले में स्थापित मंदिर को सुदृढ़ करने पर जोर दिया एवं भगवान श्री राम के मर्यादा को अपने जीवन में धारण करने को कहा। इतना कहते हुए उन्होंने अपने वाणी को विराम दिया। इस कार्यक्रम में मुख्यरूप से रामधन रजक, नारायण नामदेव गणपति रायल , डॉ प्रफुल शर्मा,विश्वास जलताड़े, प्रदीप देशपांडे , डॉ ओम मखीजा, सौमित्र गुप्ता , देवनारायण के साथ साथ बिलासपुर नगर से गणमान्य नागरिकों एवं प्रबुद्ध जनो कि उपस्थिति रही।