संडे मार्केट को हटाने वाले अधिकारी क्या सड़क जाम करने वालों पर देंगे ध्यान……या फिर माथा देखकर टीका लगाने का हो रहा काम…..कार्रवाई के नाम निगमकर्मियों की दबंगई के आगे बेबस सदर बाजार के व्यापारी……

बिलासपुर–छत्तीसगढ़ के न्यायधानी बिलासपुर अपने आप में पुराना और ऐतिहासिक शहर है यहां की तंग गलियां और सकरे बाजार बिलासपुर के इतिहास को बखूबी बयां करते हैं दूर-दराज से आने वाले लोग लंबे समय से ही बिलासपुर थोक व्यापार और अपनी जरूरत का सामान खरीदने आया करते है, लेकिन नगर निगम का विभाग इन दिनों माथा देखकर टीका लगाने का काम कर रहा है।

दरअसल सदर बाजार में लगने वाले संडे मार्केट को बंद कर दिया गया और उसे रिवर व्यू साइड में भेज दिया गया और उस सड़क को एक समय के बाद से एकांकी मार्ग घोषित कर दिया गया।लेकिन इसके उलट ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने के बजाय और बिगड़ती नजर आ रही है क्योंकि इसका फायदा उठाकर मुख्य सड़क के अन्य हिस्सों में त्यौहारी दुकान के नाम पर दुकानदार दुकान खोलकर अपने दुकान रोड में जमा रहे हैं।जिसको निगम का अमला देखकर भी अनदेखा करता हुआ नजर आ रहा है।

बिलासपुर शहर का सबसे व्यस्ततम मार्ग नेहरू चौक से लेकर गांधी चौक को माना जाता है इस बीच सदर बाजार और कोरोना चौक के आसपास संडे मार्केट का लगा करता था,लेकिन प्रशासन द्वारा ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने के लिए सन्डे मार्केट को रिवर व्यू साइड में शिफ्ट कर दिया गया लेकिन कंपनी गार्डन के आसपास और लाल बहादुर शास्त्री स्कूल के सामने मुख्य मार्ग को ठीक करना नगर निगम ज्यादा जरूरी नहीं समझती है।

इसी का कारण है कि आए दिन हरदेव लाला मंदिर और देवकीनन्दन चौक, सिम्स चौक के आसपास बड़ी संख्या में दुकान लगाने वाले सड़क पर दुकानदारी कर रहे हैं लेकिन कारण सिर्फ सन्डे मार्केट को बताकर मनमर्जी से व्यापारियों को हटाने का काम निगम प्रशासन ने कर दिया वहीं दूसरी ओर बिलासपुर का यातायात विभाग भी नगर निगम की तरह माथा देखकर टीका लगाने की राह पर आगे बढ़ रहा है शहर के अलग-अलग इलाकों में अवैध कब्जे और सड़क पर दुकान लगाने वालों का भरमार है लेकिन इन जगहों पर कार्रवाई नहीं होना यातायात और नगर निगम के अतिक्रमण हमले पर सवालिया निशान खड़ा करता है।

निगम के अतिक्रमण अमले की दबंगई और बेबस व्यापारी

आज रविवार को करवा चौथ होने के कारण और आगमी कुछ दिनों में दीपावली आने वाली है।जिसको लेकर पूरे बाजार में त्यौहारी चहल पहल के बीच में व्यापारी अपनी दुकान दारी में लगे हुए है।लेकिन इसी बीच कार्रवाई के नाम पर सड़क में निकले निगम कर्मचारी अपनी दबंगई और अमानवीय तरीके के साथ व्यापारियों के समान को जबरन अपने वाहन में भरने लगे।जिसको लेकर व्यापारी इनके आगे बेबस नजर आए और गिड़गिड़ाते हुए इनके आगे पीछे घूमकर इनके हाथ पैर जोड़ते रहे लेकिन वही निगम कर्मचारी अपशब्दों का भाषा का प्रयोग कर व्यापारियों को झिड़कते हुए आगे निकल गए।इनके ऐसे दुर्व्यवहार से व्यापारियों में काफी आक्रोश भी देखने को मिला।अव्यवहारिक बर्ताव के पीछे उच्च अधिकारियों की या तो इनको खुली छूट मिली या फिर इनके ऊपर कोई लगाम नहीं है।

पार्किंग के जगह में त्यौहारी दुकान

लगभग एक दशक से पूर्व तत्कालीन यातायात डीएसपी सुशील डेविड ने यातायात व्यवस्था को लेकर लाल बहादुर शास्त्री शाला,और सिम्स के सामने मुख्य सड़क मार्ग में पार्किंग की व्यवस्था करते हुए यातायात के दबाव को कम करने के लिए ऐसी व्यवस्था की शुरुवात की थी।लेकिन समय के साथ अधिकारी का तबादला और इनके स्थान में।आए अधिकारी उस और ध्यान नहीं दिए और नतीजा यह हुआ कि अब इन स्थानों में पार्किंग के बजाय अब इन स्थानों में बाजार सजने लगे।

अवैध वसुली

आज जिस तरह से प्रशासन सेंड मार्केट को लेकर जो कार्रवाई करते हुए इनके स्थान में बदलाव करके अपनी पीठ थपथपाने में लगा है।तो वही इसके उलट आज भी शहर में जगह जगह शहर के फुटपाथ से लेकर मुख्य बाजारों में ठेले वाले अपना कब्जा जमाए बैठे हुए,इनको हटा पाने में प्रशासन सफल क्यों नहीं हो पा रहा है।सूत्र बताते है कि एक अच्छी खासी रकम की इन इन ठेले और फुटपाथ में बैठ कर व्यवसाय करने वाले से वसूली की जाती है।कार्रवाई में निकलने से पहले इनको सूचित कर दिया जाता है।जब तक उनकी टीम कार्रवाई करने के लिए उक्त स्थान में पहुंचती तो वहां से सब नदारद हो जाते है।फसते वही ठेले वाले जो इनकी सूची में नहीं होते या नए लोग होते है।

लंबे समय से जमे अधिकारी कर्मचारी

नगर निगम के अतिक्रमण दस्ता में अधिकारी कर्मचारी कार्य कर रहे है,वह एक लंबे समय से इस विभाग में काम कर रहे है।जिसके कारण कई बार यह अधिकारी कर्मचारी अपनी कार्रवाई करने के नाम पर व्यक्तिगत रोटी भी सेकने में नहीं चूकते।इनके लंबे समय से इस विभाग में पदस्थापना के कारण यह बाजार और बाजार में बैठे व्यापारियों से इनके अच्छे खासे सम्बन्ध भी कई बार कार्रवाई में आड़े आते है। जहां पर इनके द्वारा कार्रवाई में।दोहरी मानसिकता के साथ कार्य किया जाता है।

वही इस मामले को लेकर निगम आयुक्त अमित कुमार से फोन में संपर्क किया गया।लेकिन उनका फोन रिसीव नहीं हुआ।इस मामले को लेकर यातायात पुलिस निगम प्रशासन का हवाला देकर बचने का प्रयास किया गया।

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