वायरल वीडियो और थानेदार दे रहे कानून का ज्ञान…..कालेज छात्रा से प्रबंधन के दुर्व्यवहार पर हुई शिकायत….. थाना प्रभारी ने दिया जांच का हवाला……

बिलासपुर– छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर में कानून और न्याय दोनों ही शर्मसार होते नजर आए। जब कॉलेज टीसी लेने गई एक छात्रा के साथ खुलेआम दुर्व्यवहार किया गया। कॉलेज प्रबंधन की दबंगई इस कदर बढ़ गई कि बात-बात पर छात्रा को थप्पड़ तक जड़ दिया गया, जबकि वीडियो में साफ नजर आता है कि एक पुरुष कर्मचारी छात्रा को जबरन छूता हुआ दिख रहा है।

छात्रा लगातार अपने अधिकारों के लिए कॉलेज प्रबंधन से बात करती रही, लेकिन जवाब देने के बजाय उसकी ही वीडियो बनाकर उसे डराने की कोशिश की गई। जब छात्रा ने 112 पर कॉल कर पुलिस सहायता मांगी, तो मामला रतनपुर थाने पहुंचा। लेकिन यहाँ से शुरू हुआ दूसरा दौर मानसिक प्रताड़ना का।

थाने में मौजूद पुलिसकर्मियों ने छात्रा को यह कहकर टाल दिया कि थाना प्रभारी क्राइम मीटिंग में बिज़ी हैं। कई घंटे इंतजार के बावजूद जब छात्रा को कोई राहत नहीं मिली, तो शाम होते-होते थाना प्रभारी ने साफ तौर पर कहा, “समझौता कर लो, वरना उल्टा तुम्हारे खिलाफ काउंटर केस कर दिया जाएगा।”

पुलिस ने शिकायत तो ली, लेकिन इस मामले में अपराध दर्ज करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। मामला दर्ज न करते हुए काफी समय के बीत जाने के बाद भी पावती नहीं देने का सिलसिला चलता रहा। छात्रा का कार्रवाई को लेकर थाने में बैठ जाने के बाद पावती देकर छात्रा को कानून का ज्ञान जरूर पढ़ाया गया, लेकिन कानून की प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। महिला से जुड़ा गंभीर मामला होने के बावजूद थाना प्रभारी की दिलचस्पी प्रबंधन को बचाने में ज्यादा दिखी।

यह वीडियो पुलिस कप्तान तक पहुंच चुका है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। सवाल उठता है कि जब न्याय की राजधानी में ही छात्राओं की आवाज यूं दबा दी जाती है, तो बाकी जगहों पर क्या हाल होगा?

अब सवाल यह है…..

* क्या महिला सुरक्षा सिर्फ कागज़ों तक सीमित रह गई है?
* क्या पुलिस आम जनता की नहीं, रसूखदारों के आगे नतमस्तक हो चुकी है।
* आखिर कब तक कॉलेज जैसे संस्थानों में छात्राएं सुरक्षित नहीं रहेंगी?

इस मामले में शासन-प्रशासन की चुप्पी, बिलासपुर की “न्यायधानी” की साख पर एक बड़ा सवालिया निशान है।
महिला अधिकारियों के हाथों कमान फिर भी एक छात्रा की बेबसी को अनसुना कर दिया गया।इस क्षेत्र की बात करे तो एसडीओपी और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ग्रामीण इन दोनों पदों पर महिला अधिकारियों की तैनाती है।इन महिला अधिकारियों की तैनाती भी काफी लंबे समय से पुलिस विभाग में है।सुलझे और पुराने होने के बादजूद भी उक्त छात्रा को न्याय नहीं मिला।

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