
कॉलेज में टीसी मांगने गई छात्रा से मारपीट के मामले में कार्रवाई को लेकर रतनपुर पुलिस की उदासीनता के बाद पुलिस अधीक्षक से छात्रा ने लगाई न्याय की गुहार……
बिलासपुर–छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर जिले के राजकिशोर नगर निवासी छात्रा अंकिता यादव ने बीआर साव महाविद्यालय नेवसा के प्रभारी प्राचार्य और एक अन्य शिक्षक पर गंभीर आरोप लगाए हैं। अंकिता ने बताया कि वह वर्ष 2021-22 एवं 2022-23 सत्र में खेल कोटे से बीएससी की पढ़ाई कर रही थी, लेकिन तृतीय वर्ष में फीस अधिक होने के कारण पढ़ाई जारी नहीं रख सकी। इसके बाद उसने कई बार महाविद्यालय से ट्रांसफर सर्टिफिकेट (टीसी) की मांग की, लेकिन हर बार उसे टाल दिया गया और अंततः देने से इनकार कर दिया गया।
पीड़िता के अनुसार, कॉलेज की प्रभारी प्राचार्य अंजना साहू हर बार उसे रमेश साहू से संपर्क करने के लिए कहती थीं। अंकिता का कहना है कि रमेश साहू से कई बार संपर्क करने के बावजूद उसे टीसी नहीं दिया गया, बल्कि उसे अपमानजनक व्यवहार का सामना करना पड़ा।
बीते सफ्ताह जब अंकिता एक बार फिर टीसी के लिए कॉलेज पहुंची, तो कॉलेज स्टाफ ने उसे परिसर में बुलाया, जहां रमेश साहू ने कथित रूप से गलत नीयत से धक्का-मुक्की की और अंजना साहू ने उसके साथ मारपीट की। अंकिता का आरोप है कि दोनों ने उसे जान से मारने की धमकी दी और कॉलेज से भगा दिया।
इस घटना की शिकायत अंकिता ने रतनपुर थाने में दर्ज करवाई, लेकिन उसका आरोप है कि पुलिस ने केवल धारा 174 बी के तहत मामूली कार्रवाई की और मामले को नजरअंदाज कर दिया, जबकि उसने थाने में मारपीट और दुर्व्यवहार का वीडियो साक्ष्य के तौर पर प्रस्तुत किया था।
पीड़िता ने बिलासपुर एसएसपी रजनेश सिंह से न्याय की मांग करते हुए कहा कि आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में किसी भी छात्रा को इस तरह के शोषण और मानसिक प्रताड़ना का शिकार न होना पड़े।
पुलिस ‘चेतना अभियान’
एक तरफ जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक चेतना अभियान से समाज के उस वर्ग तक पहुंचने का प्रयास कर रहे,जिससे जिले में अच्छी और बेहतर पुलिसिंग से आम जनमानस को न्याय मिल सके।आमजनमानस और पुलिस के बीच में विश्वास कायम कर अपराध मुक्त समाज के निर्माण में अभियान मिल का पत्थर साबित हो और जिस उद्देश्य से इसको चलाया जा रहे जिससे महिलाओं और छात्राओं को सुरक्षा और अधिकारों को लेकर समाज को जागरूक करना है, लेकिन वहीं दूसरी तरफ पुलिस थाने में मौजूद थानेदार अपने ही वरिष्ठ अधिकारियों के चलाए जा रहे इस अभियान से अछूते नजर आ रहे है।जिसका इन पर कोई असर होते नहीं दिख रहा है।यदि यही हाल रहा तो वरिष्ठ अधिकारियों के द्वारा चलाए जा रहे ऐसे अभियान को केवल मीडिया और सोशल प्लेटफार्म के अलावा कागजों तक ही सीमित रहना पड़ सकता है।यदि ऐसा नहीं होता तो आज उस छात्रा को न्याय पाने के लिए इतना इंतजार नहीं करना पड़ता।शहर की एक छात्रा को न्याय नहीं मिल रहा है। रतनपुर थाने के लगातार चक्कर लगाने के बाद भी उसे न्याय नहीं मिला, जिसके बाद उसने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से न्याय की गुहार लगाई है।