हाईवे बना ‘मौत का रास्ता’, 26 गायें रौंदी गईं… कब जागेगा प्रशासन….?

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में दो अलग अलग स्थानों में हुए सड़क हादसे में गायों की मौत का मामला सामने आया है।इन दोनों हादसों में करीब 25 गायों की मौत हो गई।जानकारी के अनुसार चकरभाठा से सारदा जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 200 पर एक बार फिर इंसानियत शर्मसार हुई है। बीती रात कड़ार गांव के पास एक भारी वाहन ने सड़क पर बैठी 19बेजुबान गायों को कुचलकर 18 गायों को मौत की नींद सुला दिया और एक गाय गंभीर रूप से घायल हो गई। हादसा इतना भयावह था कि मौके पर ही 18 गायों की जान चली गई।हाईवे पर पसरा खून और मृत गायों के शवों की कतार देखकर ग्रामीण स्तब्ध रह गए।इसके बाद इसी तरह दूसरी घटना मस्तूरी क्षेत्र के लावर की सामने आई जहां पर सड़क में बैठी 6 गायों की मौत भारी वाहन के चपेट में आने से मौत हो गई।इस दर्दनाक हादसे के बाद गौ सेवा समिति के लोग थाना पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई।

यह कोई पहली घटना नहीं है। इसी NH-130 पर 18 जुलाई 2025 को भी 16 गायों की दर्दनाक मौत हुई थी। उस समय हाईकोर्ट की फटकार के बाद प्रशासन हरकत में आया था, लेकिन कुछ ही महीनों में फिर वही ढर्रा लौट आया।

– कड़ार में पहले 19 गायों की मौत।
-लावर मोड़ पर 6 गौवंश रौंदे गए।

प्रशासन की ‘चुप्पी’ या ‘लापरवाही’…..?

घटना के बाद गांव में रोष फैल गया। ग्रामीणों और पशु प्रेमियों का गुस्सा फूट पड़ा। वे पूछ रहे हैं — “आखिर हमारे बेजुबान पशु कितनी बार बलि चढ़ेंगे तब जाकर प्रशासन जागेगा?”

पशु कल्याण संगठनों का कहना है कि हाईवे पर रात्रिकालीन स्पीड लिमिट लागू होनी चाहिए, और मवेशियों की सुरक्षा के लिए सख्त कदम उठाने होंगे। प्रशासन और परिवहन विभाग पर ‘मौन दर्शक’ बने रहने के आरोप लग रहे हैं।

पुलिस जांच या लीपापोती…..?

पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज खंगालने की बात कही है, लेकिन बीते कई मामलों में कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया। लोगों को डर है कि यह मामला भी बाकी हादसों की तरह धीरे-धीरे दबा दिया जाएगा।

क्या गायों की जान की कोई कीमत नहीं?

NH-130: हाईवे या जानलेवा रास्ता?

बार-बार चेतावनी के बाद भी क्यों नहीं जागता सिस्टम?

अब सवाल यह है कि क्या बेजुबान जानवरों की मौत पर सिर्फ बयानबाज़ी ही होती रहेगी, या अब कोई ठोस नीति बनेगी?

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