लोक सेवा गारंटी की आड़ में राजस्व अधिकारियों पर असम्भव दायित्वों का बोझ – लेकिन समस्याओं के समाधान पर शासन मौन

बिलासपुर –छत्तीसगढ़ कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ द्वारा घोषित अनिश्चितकालीन हड़ताल के अंतर्गत आज प्रदेश के समस्त तहसीलदार एवं नायब तहसीलदार हड़ताल के दूसरे दिन भी पूरी निष्ठा, अनुशासन और एकजुटता के साथ डटे हुए हैं।

संघ का स्पष्ट आरोप है कि शासन एक ओर तो लोक सेवा गारंटी अधिनियम के तहत राजस्व अधिकारियों पर दर्जनों सेवाओं को समय-सीमा में अनिवार्य रूप से प्रदान करने का बोझ डाल रहा है, जबकि दूसरी ओर इन कार्यों को संपादित करने हेतु न तो संसाधन उपलब्ध करा रहा है, न ही आवश्यक तकनीकी/मानव बल।

दोहरी नीति का गंभीर विरोध

नामांतरण, सीमांकन, बंटवारा, ऋण पुस्तिका, नक़्शा नकल, प्रमाण पत्र, शोध क्षमता इत्यादि जैसी सेवाएँ पूरी तरह तहसीलदार और नायब तहसीलदार की कार्यदक्षता, व्यवस्था और निगरानी पर निर्भर हैं। परंतु: तहसीलों में कुशल ऑपरेटरों का भारी अभाव है। पुराने व अनुपयोगी कंप्यूटर, बार-बार क्रैश होता सिस्टम। नेट कनेक्टिविटी अत्यंत धीमी, नेट भत्ता तक नहीं। प्रिंटर, स्कैनर, स्टेशनरी का व्यय अधिकारी स्वयं उठा रहे।वाहन, ईंधन, ड्राइवर का कोई प्रावधान नहीं, फिर भी रोजाना सीमांकन और निरीक्षण कार्य की बाध्यता। लगातार चल रहे पोर्टलों पर लॉगिन, OTP, अपलोड का दबाव — पर सहायक स्टाफ अनुपलब्ध

संघ की मांगें बार-बार की गई अनदेखी

संघ ने लंबे समय से बारंबार शासन से अनुरोध किया है कि यदि वह लोक सेवा गारंटी के लक्ष्य व समय-सीमा को लेकर गंभीर है, तो पहले उसे प्रत्येक तहसील में कम से कम 2 कुशल ऑपरेटर, अद्यतन डिजिटल संसाधन, नेट भत्ता, और सरकारी वाहन-सहचालक जैसी मूलभूत व्यवस्थाएँ सुनिश्चित करनी होंगी।लेकिन दुर्भाग्यवश, शासन केवल निर्देश और दबाव देने में सक्रिय है – समाधान देने में नहीं।

जनता के लिए भी चिंता का विषय

यदि समय-सीमा में सेवाएँ नहीं मिलतीं, तो लोक सेवा गारंटी अधिनियम के प्रावधानों के तहत अधिकारी दंडित होते हैं, और जनता नाराज़ होती है। लेकिन जनता को यह पता ही नहीं होता कि इन सेवाओं के पीछे कितना बड़ा संसाधन संकट और प्रशासनिक असंतुलन छिपा है।

संघ की मांगें ही समाधान हैं….

प्रत्येक तहसील में कम से कम 2 कुशल ऑपरेटर
कार्यानुकूल कंप्यूटर, प्रिंटर, स्कैनर व इंटरनेट
वाहन, ईंधन और चालक की स्थायी व्यवस्था……
नेट भत्ता व तकनीकी मानदेय…..
काम के अनुसार स्टाफ का वितरण….

बहरहाल लोक सेवा का नाम लेकर जो सेवा दी जा रही है, वह एकपक्षीय दायित्व है – बिना संसाधन, बिना संरचना।
संघ मांग करता है कि यदि शासन वास्तव में जनहित और सेवा सुधार के लिए प्रतिबद्ध है, तो उसे पहले सेवा देने वालों की स्थिति सुधारनी होगी।अन्यथा यह अधिनियम जनता और अधिकारियों – दोनों के लिए संघर्ष और कुंठा का कारण ही बना रहेगा।संघ अपनी मांगों को लेकर प्रतिबद्ध है और जब तक सुनवाई नहीं होती – आंदोलन जारी रहेगा।

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