थानेदार बदल गए लेकिन नहीं थम रहा अपराध….युवक पर हुआ ब्लेड से हमला…..मामला कोतवाली थाना क्षेत्र का……

बिलासपुर–शहर के कोतवाली थाना क्षेत्र में एक दिन बीत नहीं पाया कि फिर एक युवक के ऊपर ब्लेड से हमले की घटना से हड़कंप मच गया।शुक्रवार को कोतवाली थाना क्षेत्र में एक युवक पर चाकू से हमला हुआ, जिसकी इलाज के दौरान मौत हो गई। इसके अगले ही दिन शनिवार को घनश्याम धनकड़ नामक युवक पर 50 से 60 लोगों ने हमला कर दिया।इस घटना को अंजाम देने वाले में पीयूष घोरे, आयुष घोरे और तपेंद्र सोनकर के नाम सामने आए। पीड़ित ने किसी तरह जान बचाकर थाने में शिकायत दर्ज कराई, लेकिन कई आरोपी अब तक फरार हैं। कोतवाली थाना क्षेत्र में घटती घटना के बाद वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने थाना प्रभारी को लाइन अटैच कर दिया। सवाल यह है कि क्या महज़ थाना प्रभारी को हटाने से अपराध की लहर थम जाएगी, या फिर यह केवल औपचारिक कार्रवाई बनकर रह जाएगी?

हाल ही में तालापारा में मोहम्मद निसार पर चाकू और ब्लेड से हमला, जेल के बाहर मां-बेटे से मारपीट और उसलापुर की एक कॉलोनी में लोको पायलट व सुरक्षाकर्मी के साथ मारपीट जैसी घटनाएं यह साफ दिखाती हैं कि शहर में अपराधियों के हौसले बुलंद हैं।

कभी अपनी शांति और कानून व्यवस्था के लिए मशहूर बिलासपुर अब लगातार बढ़ते अपराधों से जूझ रहा है। एक दौर था जब इसे ‘शांति का टापू’ कहा जाता था, लेकिन आज हालात बिल्कुल उलट हैं। चाकूबाजी, मारपीट, लूटपाट और अवैध कारोबार जैसे मामले इतनी तेजी से बढ़े हैं कि आम नागरिकों में भय का माहौल है और पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।

पर्याप्त संसाधन, फिर भी अपराध बेकाबू
पुराने दौर में गिनती के पुलिस कर्मियों और सीमित संसाधनों के बावजूद जिले की कानून व्यवस्था मजबूत थी। अपराध नगण्य थे और हिंसक घटनाएं तो बेहद कम। लेकिन आज आधुनिक संसाधन और पर्याप्त बल होने के बावजूद पुलिस व्यवस्था ढीली पड़ती दिख रही है। हाईटेक उपकरण और बढ़ी हुई संख्या के बावजूद अपराध पर लगाम कसने में एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है, और कई मामलों में पुलिस की प्रतिक्रिया देर से या अधूरी रही है।

विभिन्न इलाकों में लगातार घटनाएं
सिविल लाइन, सरकंडा, सिरगिट्टी, तोरवा, सीपत, कोनी, रतनपुर, सकरी और तखतपुर क्षेत्रों से आए दिन चाकूबाजी और हिंसक घटनाओं की खबरें आ रही हैं। कुछ वारदातें पुरानी रंजिश का नतीजा हैं, तो कुछ अवैध वसूली और कब्जा करने की नीयत से अंजाम दी जा रही हैं।

जनता में बढ़ रहा असंतोष
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि पुलिस की कार्रवाई अक्सर कागजों तक सीमित रह जाती है। गश्त कम हो गई है, निगरानी कमजोर है और कई मामलों में आरोपी वारदात के बाद खुलेआम घूमते हैं। पीड़ित थाने के चक्कर काटते रहते हैं जबकि न्याय दूर की बात बन जाता है।

समय रहते ठोस कदम जरूरी

बिलासपुर को फिर से ‘शांति का टापू’ बनाने के लिए पुलिस को सिर्फ संसाधनों पर नहीं, बल्कि त्वरित कार्रवाई और जमीनी स्तर पर सक्रियता बढ़ानी होगी। गश्त और निगरानी को मजबूत करने, खुफिया नेटवर्क को सक्रिय करने और अवैध कारोबार पर सख्त कार्रवाई की जरूरत है।

अगर अब भी लापरवाही जारी रही, तो बिलासपुर को अपराध के अंधेरे से बाहर निकालना बेहद मुश्किल हो जाएगा।

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