
सायबर सेल का प्रधान आरक्षक करता था फर्जी सिम से महीने की लाखों की वसूली , सट्टा केस में फंसाने को लेकर बुलाया क्राइम ब्रांच दफ्तर । पुलिस कप्तान रजनेश से हुई शिकायत से खुलेगे चौंकाने वाले राज ??….आखिर क्या है इसके पीछे की कहानी….?पढ़िए पूरी खबर…..
बिलासपुर –जिले के कप्तान रजनेश सिंह के पास पहुंची लिखित शिकायत से राजधानी से लेकर न्यायधानी तक पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया । शिकायत के अनुसार एंटी क्राइम यूनिट में पदस्थ प्रधान आरक्षक आसिफ पारिख खाकी का डर दिखाकर लोगों को झूठे केस में फंसा देने की धमकी देकर वसूली का काम करता है ,वर्दी को दागदार करने वाले इस कृत्य को अंजाम देने के लिए बकायदा बेगुनाहों को क्राइम ब्रांच दफ्तर बुलवाकर वसूली का पूरा खेल खेला जाता है । विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शिकायत में जिस मोबाइल नंबर का उल्लेख किया गया है वह पूरी तरह से फर्जी है और इसी फर्जी सिम से सट्टा,कबाड़ियों ,शराब माफियाओं ,डीजल ,रेत, चोरों सहित तमाम माफियाओं और शहर के नामी गुंडों बदमाशों से हर महीने लाखों रु की वसूली की जाती थी । सूत्र दावा कर रहे है कि महीने की गैर कानूनी गतिविधियों में संलिप्त अपराधियों से वसूली का बड़ा हिस्सा उच्च अधिकारियों से लेकर विभाग के सिपाहियों के बीच कद के हिसाब से आपस में बाटा भी जाता था ??
खाकी को कलंकित करने वाली इस शिकायत के बाद पुलिस विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। अब देखना होगा कि फर्जी सिम के जरिए वसूली की शिकायत को जिले के कप्तान रजनेश सिंह कितनी गंभीरता से लेते है और फर्जी सिम का मोबाइल लोकेशन और पूरा रिकॉर्ड सीडीआर की कितनी निष्पक्षता से जांच करवाते है ताकि प्रधान आरक्षक को मोहरा बनाकर वसूली करवाने वाले बड़े अधिकारियों का सच सामने आ सके और वसूली बाज पुलिस गैंग के असली मास्टर माइंड का नाम सामने आ सके .?? या एक बार फिर बिल्हा ,रतनपुर की तरह इस बार भी फिर उच्च अधिकारियों को बचाने के लिए प्रधान आरक्षक को बलि का बकरा बना दिया जायेगा ??
मंगलवार को जिले के एसएसपी रजनेश सिंह के कार्यालय में एक युवक के द्वारा लिखित शिकायत दी गई।जिसमें सायबर सेल में तैनात प्रधान आरक्षक के नाम से सट्टा पट्टी के मामले में फंसा देने के नाम पर रकम मांगने को लेकर उचित कार्रवाई कर न्याय दिलाने की बात सामने आई।दरअसल देखने में यह मामला बहुत ही सहज और सीधा सादा नजर आता है।लेकिन इस शिकायत के पीछे के की कहानी कुछ और ही बयां कर रही है।जैसा कि शिकायत में युवक ने प्रधान आरक्षक के ऊपर आरोप लगाया कि सट्टा के मामले में कार्रवाई से बचना है तो मांगी गई रकम की भरपाई कर दो,वरना जेल जाने के लिए तैयार रहो।इस पूरी शिकायत में एक बात पर गौर किया जाए तो वह है मोबाइल नंबर जिससे फोन आने का हवाला दिया गया।इस पूरे खेल के पीछे वह मोबाइल नंबर है,जो सायबर सेल से जुड़े राज को बाहर लाने में मदद करेगा।
नम्बर और उससे जुड़े राज……
मंगलवार को हुई शिकायत में प्रधान आरक्षक के नाम सहित मोबाइल नंबर का जिक्र करते हुए शिकायतकर्ता ने अपनी बात को रखते हुए कार्रवाई की मांग की।शिकायत में जिन बातों का जिक्र किया गया वह आज के इस आधुनिकता के युग में वह भी सायबर सेल जैसी संस्था में कार्यरत पुलिस कर्मी क्या अपने मोबाइल नंबर से कार्रवाई का हवाला देकर रकम मांगने जैसा कार्य करेगा तो समझदार लोग इसे सीधे तौर पर खारिज कर देंगे।फिर सवाल यह उठता है कि आखिर फिर वह कौन है जिसने यह काम किया? यहां पर गौर करने वाली बात यह कि यह कोई पहला मामला नहीं है जब किसी पुलिस कर्मी के खिलाफ रकम उगाही की शिकायत हुई है।ऐसी कई शिकायत आज भी है जिसमें कई पुलिस कर्मियों के खिलाफ शिकायत हुई है,उसमें से कई शिकायत पर उच्च अधिकारियों के द्वार कार्रवाई भी गई और कई शिकायत पर जांच टीम अपनी जांच पड़ताल में लगी हुई।लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर इस पूरे मामले के पीछे का रहस्य क्या है?इस रहस्य से पर्दा उठाने के लिए पुलिस विभाग के अधिकारियों को उस नम्बर की तह तक जाने की जरूरत है। पुलिस विभाग के आला अधिकारियों को पूरी गंभीरता से इस मामले पर गौर करने की जरूरत है।सूत्र का दावा है कि शिकायत में जिस मोबाइल नंबर का उल्लेख किया गया है वह सायबर सेल के अवैध कमाई और अवैध तरीके से की जाने वाली उगाही का संसाधन है।जिसकी मदद से पूरे जिले और दीगर जिले के अवैध कारोबारियों से सीधे संपर्क करने का साधन है।इस साधन से हर महीने की एक सुनिश्चित तारीख तक उगाही की रकम नहीं मिलने पर इस नम्बर से संपर्क साधा जाता है।यह नम्बर जिले के अवैध कारोबारियों के मोबाइल में फिट है।इसी नम्बर से इनसे बात होती है।यह वह नम्बर है जो किसके नाम से है यह किसी को नहीं पता।सूत्र यह भी बताते है कि यह एक फर्जी तरीके से दस्तावेज देकर नम्बर जारी कराया गया जो पूर्णता फर्जी है।सायबर सेल में तैनाती बदलती रहती है लेकिन यह नम्बर आज भी अपना स्थायित्व बनाकर रखा हुआ है।