सरकंडा–मोपका क्षेत्र में जमीन पर ‘कानून’ नहीं, भू–माफियाओं की चल रही ‘सरकार’ परेशान नागरिक…..कमजोर कार्यवाही… और पुलिस की चुप्पी पर उठ रहे सवाल…..

बिलासपुर–सरकंडा थाना और मोपका चौकी क्षेत्र में जमीन माफियाओं का आतंक किसी से छिपा नहीं है। ताज़ा मामला मोपका निवासी आर.एस. देवांगन की लिखित शिकायत से फिर उजागर हो गया है। शिकायत में साफ-साफ आरोप है कि न्यायालय के आदेशों को ताक पर रखकर, सरकारी दस्तावेज़ों की धज्जियाँ उड़ाकर और खुलेआम दीवार तोड़ने-गिराने की धमकियाँ देकर भू-माफिया जमीन कब्जाने पर आमादा हैं—और पुलिस? मानो सब कुछ आंखों के सामने होते देख भी अनजान बनी बैठी है।

शिकायत के अनुसार, शिकायतकर्ता की विधिवत खरीदी गई और न्यायालय द्वारा पुष्टि की गई भूमि पर राजोजे टंडन व जानकी साव द्वारा न सिर्फ आपत्ति ली गई, बल्कि मामले को तूल देकर यह तक कहा गया कि वे जब चाहें बनाई हुई बाउंड्री वॉल तोड़ देंगे। यह कोई पहला मामला नहीं है—मोपका और सरकंडा क्षेत्र में ऐसे 2400 वर्गफुट से लेकर कई एकड़ तक की जमीनों पर कब्जा, फर्जी दस्तावेज़, और खुलेआम धमकियाँ अब सामान्य सी खबर बन चुकी हैं।

ऐसा लगता है मानो इस क्षेत्र में जमीन खरीदने के लिए नक्शा, खसरा–रसिद से ज्यादा जरूरी है—
“भू-माफियाओं की अनुमति और पुलिस की मजबूरी।”

लोगों का सवाल भी बिल्कुल सीधा है—
अगर न्यायालय के आदेश की भी कोई कीमत नहीं, तो फिर आम नागरिक आखिर किसके भरोसे अपनी संपत्ति बचाए?
क्या कब्जाधारी इतने ताकतवर हैं, या पुलिस कार्रवाई करने में उतनी ही कमजोर?

मामले की गंभीरता देख कोई भी यही सोच सकता है कि यह सिर्फ एक शिकायत नहीं है, बल्कि पूरे मोपका–सरकंडा क्षेत्र में फैल चुकी भूमाफियागिरी का जीता-जागता सबूत है। डेवलपमेंट के नाम पर जमीन की कीमतें बढ़ीं और हालात ऐसे बने कि
“कागज़ पर मालिक कोई, ज़मीन पर कब्जा किसी और का” — यह अब यहां की असली पहचान बनता जा रहा है।

स्थानीय रहवासी भी दबे स्वर में यही कहते सुने जाते हैं कि जब सालों पुराने कब्जों, बाउंड्री तोड़ने की घटनाओं और धमकियों पर भी कार्रवाई नहीं होती, तब भू-माफिया और बेलगाम हो जाते हैं। लोग मजाक में कहते भी हैं—
“मोपका में जमीन खरीदो, पर पहले देखो कि उस पर किसका कब्जा है—कागज वाला या असली वाला।”

अब लोग पुलिस से यही उम्मीद कर रहे हैं कि यह मामला भी सिर्फ चिट्ठी–पत्ती और ‘जांच जारी है’ के ढर्रे तक सीमित न रह जाए।
क्योंकि सवाल सिर्फ एक व्यक्ति की जमीन का नहीं, पूरे सरकंडा–मोपका क्षेत्र की कानून व्यवस्था और वहां के लोगों की सुरक्षा का है।

क्या पुलिस इस बार भू-माफियाओं के खिलाफ सख्ती दिखाएगी…
या मोपका की जमीन पर ऐसे ही ‘धमकी का राज’ चलता रहेगा?

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