दर्दनाक हादसा….नौ एंट्री में बेधड़क दौड़ रहे भारी वाहन से गई स्कूटी सवार की जान……आखिर कब तक……?

बिलासपुर–तोरवा थाना क्षेत्र में हुए दर्दनाक हादसे ने एक बार फिर पुलिस व्यवस्था और अवैध परिवहन को लेकर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं।

रविवार शाम नो-एंट्री में घुसे रेत से भरे तेज रफ्तार हाइवा ने स्कूटी सवार राधेश्याम सिदार (45) को रौंद दिया, जिससे उनकी मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई। हादसे के बाद पुलिस ने चालक के खिलाफ अपराध दर्ज कर लिया। लेकिन असली सवाल जस का तस खड़ा है।आखिर नो-एंट्री में अवैध गाड़ियाँ चलती कैसे हैं? और किसकी छत्रछाया में चलती हैं?

नो-एंट्री में धड़ल्ले से दौड़ती गाड़ियाँ… पुलिस को क्यों नहीं दिखीं?

स्थानीय लोगों का आरोप है कि तोरवा क्षेत्र में नो-एंट्री कोई नियम नहीं, महज़ एक बोर्ड बनकर रह गया है। आए दिन रेत से भरे हाइवा बिना रोक-टोक शहर में दौड़ते हैं। सवाल यह है कि पुलिस को यह तब क्यों नहीं दिखता जब रोजाना ये गाड़ियाँ नियम तोड़ते हुए शहर में प्रवेश करती हैं?
क्या वाकई पुलिस अनजान थी, या फिर साठगांठ में बिना बिल्टी और बिना रॉयल्टी के गाड़ियाँ चलती रहीं?
यदि कार्रवाई पहले होती तो शायद यह हादसा टाला जा सकता था।

बिना रॉयल्टी–बिल्टी गाड़ी, नो-एंट्री उल्लंघन… फिर भी सिस्टम चुप…..

हादसे के बाद पता चला कि चालक के पास रॉयल्टी की पर्ची तक नहीं थी।
अब बड़ा सवाल……
जब रोज़-रोज़ ये गाड़ियाँ नो-एंट्री तोड़कर शहर में घुसती रहती थीं, तब पुलिस क्या कर रही थी?
क्या सिस्टम ऐसे ही किसी बड़े हादसे का इंतज़ार करता है, ताकि बाद में सफाई पेश की जा सके?

हादसे के बाद की कार्रवाई सिर्फ औपचारिकता?

पुलिस ने घटना के बाद हाइवा चालक को गिरफ्तार जरूर किया, लेकिन असल जिम्मेदारी तय करने का साहस अभी तक नहीं दिखा।
क्या केवल चालक ही दोषी है, या वह पूरा नेटवर्क जो अवैध परिवहन को संरक्षण देता है?
लोगों का कहना है कि यदि पुलिस की सख्ती होती, तो यह मौत नहीं होती।

**समय रहते कार्रवाई नहीं, लेकिन हादसे के बाद पूरा दस्ता सक्रिय… क्या यही है व्यवस्था?**
स्थानीय निवासी अब खुलकर कह रहे हैं कि
“जब तक अवैध रेत परिवहन पर असली कार्रवाई नहीं होगी, ऐसी मौतें होती रहेंगी।”

यह हादसा केवल एक दुर्घटना नहीं, बल्कि सिस्टम की नाकामी का सबूत है।
अब देखना यह है कि पुलिस सिर्फ खानापूर्ति करेगी या अवैध परिवहन पर वास्तविक कार्रवाई कर जिम्मेदारों पर भी शिकंजा कसेगी।

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