
रोक के बाद भी रफ़्तार तेज….. जी-9 प्रोजेक्ट में खुली दादागिरी, प्रशासन बना मूकदर्शक….स्कूल के पास अवैध निर्माण… बच्चों की जान से खिलवाड़…. फिर भी नेताओं की मेहरबानी जारी….
कोरबा–छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में बालको के सेक्टर-6 स्थित बहुमंजिला जी-9 आवासीय प्रोजेक्ट को लेकर नया बवाल खड़ा हो गया है। जिस प्रोजेक्ट का उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन ने धूमधाम से भूमिपूजन किया था, अब वही प्रोजेक्ट गंभीर आरोपों और प्रशासनिक ठप के बीच सवालों के घेरे में है।

हैरानी की बात यह है कि डीएफओ द्वारा निर्माण पर स्पष्ट रोक लगाने के आदेश के बावजूद, साइट पर अवैध तरीके से काम दोबारा शुरू कर दिया गया है—वह भी इतनी बेहिसाबी से कि आसपास के स्कूल तक की सुरक्षा की परवाह नहीं की जा रही।

कानून का डर खत्म या प्रशासन मौन?
पूर्व राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल की शिकायत में राजस्व नियमों, पर्यावरणीय मानकों, नगर नियोजन अधिनियम, वन संरक्षण अधिनियम और लोक मार्ग अवरोधन जैसे कई गंभीर उल्लंघनों का हवाला दिया गया था। इन आरोपों पर डीएफओ प्रेमलता यादव ने तत्काल निर्माण रोकने के आदेश जारी किए और जांच टीम गठित की। लेकिन स्थानीय लोगों का आरोप है कि डीएफओ का यह आदेश सिर्फ कागज़ों तक सीमित है। जमीन पर न तो निगरानी दिख रही है, न कार्रवाई।

साइट पर जारी ‘दादागिरी’, सुरक्षा खतरे में
लोगों का कहना है कि निर्माण एजेंसी आलुवालिया कंपनी और प्रबंधन ने रुकने के बजाय दबंगई दिखाते हुए रात-दिन काम जारी रखा है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि प्रोजेक्ट के बिल्कुल पास स्कूल है, जहां रोजाना सैकड़ों बच्चे आते हैं। भारी मशीनरी, ट्रक और कंक्रीट मिक्सर की आवाजाही के बीच बच्चे जोखिम लेकर स्कूल पहुंच रहे हैं। लोगों का सीधा सवाल है— क्या किसी बड़े हादसे का इंतज़ार कर रहा है प्रशासन? अगर किसी बच्चे को चोट लग गई या दुर्घटना हो गई तो जिम्मेदारी कौन लेगा? मंत्री, मेयर, डीएफओ या निर्माण कंपनी?
वायरल वीडियो ने खोली पोल
सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें साफ दिख रहा है कि रोक के बावजूद काम जारी है। लोग इसे वन प्रबंधन और प्रशासन की खुली लापरवाही करार दे रहे हैं। आरोप यह भी है कि उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन खुद जानते हैं कि प्रोजेक्ट पर जांच लंबित है, फिर भी निर्माण को राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ है।
यह भी खुलासा हुआ है कि इस प्रोजेक्ट का पहले भी भूमिपूजन हो चुका है, लेकिन फिर दूसरा भूमिपूजन कर इसे राजनीतिक शो की तरह पेश किया गया।

स्थानीयों की मांग: तत्काल कार्रवाई और मशीनें जब्त हों
गुस्साए नागरिकों ने मांग की है कि…..
* अवैध रूप से जारी निर्माण तुरंत रोका जाए
* संबंधित अधिकारियों और निर्माण कंपनी पर कठोर कार्रवाई हो
* साइट पर मौजूद सभी मशीनें और उपकरण जब्त किए जाएं
* जांच पूरी होने तक क्षेत्र में कड़ी निगरानी रखी जाए
*प्रशासन पर सवालों की बौछार*
लोगों का सीधा आरोप है कि शासन-प्रशासन जानबूझकर आंख मूंदे बैठा है, ताकि प्रोजेक्ट बिना रुकावट आगे बढ़ सके।
यह पूरा मामला अब जिले में बड़े राजनीतिक घमासान में बदल चुका है और सवाल यह है।
क्या कानून सिर्फ आम लोगों के लिए है, या बड़ी कंपनियों और नेताओं के लिए अलग नियम चलते हैं?




