बिलासपुर में युवक की जिलाबदर की कार्रवाई, क्या सियासी दांव पेंच में फंस गया युवक ?

बिलासपुर-जिले के प्रशानिक अमले से कल बुधवारको देर शाम आई एक खबर चौंकाने वाली है, मामला आपराधिक मामले को देखते हुए एक युवक की जिला बदर की कार्रवाई से संबंधित है । इस आदेश पर हमारा कोई सवालिया निशान तो नहीं है पर स्वाभाविक तौर पर यह सवाल उठ रहा है कि क्या यह कार्रवाई किसी राजनीतिक षडयंत्र का हिस्सा तो नहीं है ? बहरहाल आदेश को अमलीजामा भी पहना दिया गया और इस आदेश का परिपालन भी किया गया।

लेकिन इस आदेश के पीछे राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई साफ साफ नजर आ रही है। इस मामले में कहीं ना कहीं सियासी दाव पेंच में फंसी प्रदेश की सत्ता में काबिज कांग्रेस सरकार खुद घिरती हुई नजर आ रही है।कांग्रेस पार्टी का एक ऐसा खेमा जो छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद उसे सरकार से उपेक्षित होने का दंश झेलना पड़ रहा है,दरअसल यह फैसला इसी उपेक्षा का एक परिणाम है । अब सवाल यह है कि क्या इनकी यह लड़ाई अपनों तक ही सीमित रह गई है।अब यह मसला राजनीतिक वर्चस्व को लेकर फिर से गरमाराने लगा है। कल प्रदेश के मुखिया का नगर आगमन होने जा रहा है और उनके चहेते उन्हें खुश करने की कवायद में जुटे हैं । जिस युवक को जिला बदर किया गया है,उक्त युवक का पिछला आपराधिक रिकार्ड विगत चार से पांच साल तक शून्य है और किसी भी थाने में कोई भी अपराध दर्ज नहीं है ।

पहले के रिकार्ड देखा जाय तो वह भी न्यायालय में समाप्त हो चुका है। क्या इन सब के पीछे हाल में ही जमीन के खेल को लेकर थाना सिविल लाइन थाना क्षेत्र के जरहभाटा में जो बवाल हुआ था और जिसमे से दोनो सत्ता पक्ष के लोग आमने सामने होकर बाहुबल दिखाये,जिसके बाद कोई अप्रिय घटना ना हो तो सिविल लाइन पुलिस मौके पर पहुँच कर दोनो पक्षो को थाना लेकर आई।लेकिन सवाल भी यह भी उठता है कि क्या कार्रवाई एक पक्षीय होना लाजमी है।यदि उस मामले के बाद जिला बदर की कार्रवाई हुई तो फिर दूसरे पक्ष को अभयदान आखिर किसके इशारे में ये सियासी खेल खेला जा रहा है। कहीं ना कहीं एक पक्ष अपनी ताकत को कम होते देख प्रशानिक अमले का सहारा लेकर अपनी राजनीति को चमकाया तो नही जा रहा है।

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