आधारशिला विद्या मंदिर न्यू सैनिक स्कूल में एडवाइजरी कमेटी बैठक एवं “सार्थक शिक्षा कैसे” विषय पर परिचर्चा का हुआ आयोजन…..

बिलासपुर–आधारशिला विद्या मंदिर न्यू सैनिक स्कूल में शनिवार को विद्यालय सलाहकार समिति की बैठक तथा “सार्थक शिक्षा कैसे” विषय पर एक महत्वपूर्ण परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विद्यालय सलाहकार समिति के सदस्य ग्रुप कैप्टन वाई. श्रीनिवास, शिक्षाविद विवेक जोगलेकर, कमांडर हरीश चंद्र तिवारी, नम्रता शिंदे ,यूरोलॉजिस्ट एवं पूर्व सैनिक स्कूल छात्र डॉ. कमलेश मौर्य, संस्कृत व्याख्याता रत्ना मिश्रा, विद्यालय के चेयरमैन डॉ. अजय श्रीवास्तव, प्राचार्या श्रीमती जी. आर. मधुलिका, उपप्राचार्य श्री जोशी जोश तथा समस्त शिक्षकगण उपस्थित रहे।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अमिताभ शिंदे एवं नम्रता शिंदे रहे, जो विद्यालय की सलाहकार समिति के भी सदस्य हैं। उनका स्वागत विद्यालय परिवार द्वारा सैपलिंग भेंट कर किया गया।इसके अतिरिक्त ऑनलाइन माध्यम से गुजरात से ममता बालासुब्रमण्यम तथा ‘फार्मर्स प्राइड’ संस्था से श्रद्धा एवं संदीप ने भी कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।कार्यक्रम की शुरुआत विद्यालय की प्राचार्या जी. आर. मधुलिका के स्वागत उद्बोधन से हुई, जिसमें उन्होंने विद्यालय की स्थापना, मूलभूत दृष्टि और मिशन के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उपप्राचार्य श्री जोशी जोश ने विद्यालय की यूनिक मेथडोलॉजी, मॉड्यूल क्लासेस और शैक्षणिक कार्यप्रणाली को विस्तार से प्रस्तुत किया।शिक्षिका रजनी सिंह ने न्यू सैनिक स्कूल की स्थापना और कार्य प्रणाली का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया, जबकि शिक्षिका श्रीमती गुरुदीश कौर ने सैनिक स्कूल शिक्षकों के लिए आयोजित टीचर्स ट्रेनिंग कार्यक्रमों की जानकारी साझा की।विद्यालय के फैकल्टी एक्सपर्ट श्री विकास शुक्ला ने स्कूल इंटीग्रेटेड प्रोग्राम के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस प्रोग्राम के अंतर्गत छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के साथ-साथ बोर्ड परीक्षा की भी श्रेष्ठ तैयारी कर सकते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस प्रोग्राम को ज्वाइन करना छात्रों के लिए भविष्य में अनेक अवसरों के द्वार खोल सकता है।मुख्य अतिथि अमिताभ शिंदे ने शिक्षा के चार प्रमुख स्तंभ विद्यार्थी, शिक्षक, अभिभावक और प्रबंधन के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने शिक्षक को विद्यार्थियों के लिए आदर्श बताया और सैनिक जीवन के अनुशासन तथा नेतृत्व विकास पर प्रेरक विचार प्रस्तुत किए।ग्रुप कैप्टन वाई. श्रीनिवास ने बच्चों के जीवन निर्माण में माता-पिता और शिक्षकों के योगदान को महत्वपूर्ण बताया तथा विद्यालयों में वार्षिक “इंडक्शन प्रोग्राम” की अनिवार्यता पर बल दिया।डॉ. कमलेश मौर्य ने कहा कि बच्चों को प्रतियोगिता एवं एक्सपोजर के माध्यम से सशक्त बनाना चाहिए। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि बिलासपुर में सैनिक स्कूल की स्थापना एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। अब धीरे-धीरे लोग यह जानने लगे हैं कि बिलासपुर में भी एक सैनिक स्कूल है, जो बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए अत्यंत फायदेमंद सिद्ध हो रहा है।शिक्षाविद विवेक जोगलेकर ने कहा कि एक शिक्षक का कर्तव्य है कि वह बच्चों को उनके स्तर से ऊपर उठाए। उन्होंने गुरु और शिक्षक के बीच अंतर बताते हुए शिक्षा में संवाद और सम्मान की आवश्यकता को स्पष्ट किया।संस्कृत व्याख्याता रत्ना मिश्रा ने कहा कि ज्ञान का सदुपयोग ही सार्थक शिक्षा का मूल है। छात्रों को सही और गलत का निर्णय स्वयं करना सीखना चाहिए।विद्यालय के एक्सपर्ट फैकेल्टी विकास शुक्ला ने कहा कि प्रत्येक विद्यार्थी की अधिगम शैली और रुचि भिन्न होती है, अतः शिक्षण उसी के अनुरूप होना चाहिए। उन्होंने सकारात्मक सोच और उद्देश्यपूर्ण शिक्षण पर बल दिया।चेयरमैन डॉ. अजय श्रीवास्तव ने सभी अतिथियों, वक्ताओं और आयोजन समिति का धन्यवाद करते हुए कहा कि, “विद्यालय का लक्ष्य न केवल शैक्षणिक उत्कृष्टता प्राप्त करना है, बल्कि बच्चों में जीवन मूल्यों, नेतृत्व, और सामाजिक चेतना को भी विकसित करना है।” उन्होंने यह भी कहा कि विद्यालय भविष्य में और अधिक नवाचारपूर्ण शैक्षणिक पहल की दिशा में कार्य करेगा।कार्यक्रम के अंत में शिक्षिका प्रिया गोरख ने सभी अतिथियों, शिक्षकों, विद्यालय प्रबंधन का धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।यह आयोजन विद्यालय में गुणवत्तापूर्ण और जीवनोपयोगी शिक्षा को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ। सभी प्रतिभागियों ने इस परिचर्चा से नवीन प्रेरणा एवं दृष्टिकोण प्राप्त किया।

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