बिलासपुर के उद्यानों में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाई गई आंवला नवमी…..

बिलासपुर –छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में इस वर्ष भी परंपरागत रूप से आंवला नवमी का पर्व श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ मनाया गया। रविवार को शहर के प्रमुख उद्यानों में महिलाओं ने आंवला वृक्ष की पूजा-अर्चना कर परिवार एवं प्रदेश और देश की सुख-समृद्धि की कामना की।

आंवला वृक्ष के नीचे पूजा और पारंपरिक भोजन

सवेरे से ही महिलाएं पूजन सामग्री के साथ उद्यानों में एकत्रित हुईं। उन्होंने विधि-विधान से आंवला वृक्ष की पूजा की और मान्यता के अनुसार, वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन ग्रहण किया। इस मौके पर परिवार की खुशहाली और समृद्धि के लिए आंवला वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व बताया गया।

अक्षय नवमी का शुभ अवसर

शारदा गुप्ता ने बताया कि सनातन धर्म में अक्षय नवमी का दिन अत्यंत शुभ माना जाता है। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाए जाने वाले इस पर्व पर भगवान विष्णु की पूजा का महत्व है। मान्यता है कि इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे भगवान विष्णु का ध्यान करने से अक्षय पुण्यफल मिलता है और साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

रेखा पांडेय ने कहा कि, परशुराम महिला ब्राह्मण कल्याण परिवार समिति द्वारा आयोजित कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महिलाओं उपस्थित हुई है।श्रीमती पांडेय ने बताया कि, इस अवसर पर भजन-कीर्तन भी किए जा रहा है। सभी महिलाओं ने अपने सुहाग की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना की। साथ ही कार्यक्रम में भोजन की विशेष व्यवस्था भी की गई है, जिससे सभी ने श्रद्धा और समर्पण के साथ भाग लिया।

वही परशुराम महिला ब्राह्मण कल्याण परिवार समिति की संस्थापिका राजेश्वरी मिश्रा ने बताया कि आज का यह दिन बहुत ही विशेष और महत्वपूर्ण माना जाता है।आज के दिन को अक्षय नवमी के रूप में जाना जाता है।आज के दिन जो भी कार्य किए जाते है वह छय नहीं होता।इसलिए अक्षय नवमी को समस्त सनातनी महिलाएं और बच्चे इसे मिलकर मनाते है।वही उक्त अवसर पर श्रीमती मिश्रा ने कहा कि यह सनातन धर्म की जो मान्यता है। शास्त्रों में वेदों में।जो कहा गया है,उस परंपरा को कायम रखने के लिए हम सब यहां पर आय है।और अपने परिवार के साथ साथ समाज के।बच्चो को वह संस्कार मिले जो समय की आधुनिकता और पश्चिम सभ्यता से ज्यादा प्रभावित हो रहे है उन्हें अपनी सनातन परंपरा की धारा से जोड़ना है।

धार्मिक कथा और आस्था का संगम

पूजा के साथ ही महिलाओं ने आंवला नवमी के महत्व को लेकर कथा का श्रवण भी किया। धार्मिक आयोजनों में आस्था रखने वाले देश में, आंवला नवमी का पर्व एकता और श्रद्धा का प्रतीक है।पूरे भक्त भाव से यह पर्व को मनाया गया है।

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