
बिलासपुर सेंट्रल यूनिवर्सिटी में फिर सनसनी….छात्र की मौत के 15 दिन बाद प्रोफेसर की संदिग्ध मौत, अवसाद में रहने की चर्चा…..
बिलासपुर– गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी एक बार फिर चर्चा में है। छात्र की मौत के महज 15 दिनों बाद अब विश्वविद्यालय कैंपस के स्टाफ क्वार्टर में बॉटनी विभाग के प्रोफेसर डॉ. नरेंद्र कुमार मिश्रा की संदिग्ध मौत ने सभी को स्तब्ध कर दिया। विभाग के भीतर यह चर्चा है कि जूनियर प्रोफेसर को एचओडी बनाए जाने से वे गहरे अवसाद में थे।

सुबह कराहने की आवाज, दरवाजा तोड़कर निकाला गया प्रोफेसर को
मंगलवार सुबह करीब 6:45 बजे*फिजिक्स विभाग के डीन डॉ. एच.एस. तिवारी ने प्रोफेसर मिश्रा के क्वार्टर से कराहने की आवाज सुनी।
सूचना पर गार्ड प्रभारी बाबूराम खत्री मौके पर पहुंचे। दरवाजा अंदर से बंद था, इसलिए खिड़की का कांच तोड़कर दरवाजा खोला गया।
उन्हें तुरंत सिम्स अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।

पापा तनाव में थे – बेटे ने जताई चिंता, क्वार्टर को किया गया सील
मृतक प्रोफेसर का बेटा अवनीश मिश्रा, जो दिल्ली में रहते हैं, ने बताया कि पिता बीते कुछ समय से मानसिक तनाव में थे। उन्होंने पुलिस से कहा कि जब तक वे बिलासपुर नहीं पहुंच जाते, तब तक क्वार्टर न खोला जाए और पोस्टमार्टम भी न किया जाए।
इसके बाद सीएसपी गगन कुमार ने स्टाफ क्वार्टर को सील करवा दिया।

एचओडी पद से वंचित होना बना तनाव का कारण?
सूत्रों के अनुसार कुछ दिन पहले कुलपति ने बॉटनी विभाग के एचओडी प्रोफेसर संतोष प्रजापति को हटाकर जूनियर एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सुधीर पांडे को विभाग का नया प्रमुख बना दिया था। जबकि सीनियरिटी लिस्ट में डॉ. नरेंद्र मिश्रा पांचवें स्थान पर, और सुधीर पांडे छठे स्थान पर थे।
यूनिवर्सिटी में यह भी चर्चा थी कि उच्च अधिकारियों के दबाव में प्रोफेसर मिश्रा से यह पत्र लिखवाया गया था कि वे एचओडी नहीं बनना चाहते।

मौत के बाद भी चलता रहा ‘एल्डरली इश्यूज’ कार्यक्रम
सुबह मौत की खबर फैलने के बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपने तय कार्यक्रम को रद्द नहीं किया। एल्डरली इश्यूज’ पर आयोजित कार्यक्रम में कुलपति, कुलसचिव और अतिथि मौजूद रहे।
ऑडिटोरियम में रंगारंग कार्यक्रम हुए, विद्यार्थियों को भी कक्षाएं स्थगित कर बुलाया गया। किसी शोक सभा या मौन धारण का आयोजन नहीं किया गया।
कार्यक्रम पूर्व निर्धारित था’ – मीडिया प्रभारी का बयान
विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी **प्रो. मनीष श्रीवास्तव** ने कहा, “कार्यक्रम पहले से तय था और अतिथि पहुंच चुके थे। किसी की मौत होने से हम कार्यक्रम रद्द नहीं कर सकते। न ही इससे क्लास बंद की जा सकती है।”
मौत पर उठे सवाल – संवेदनशीलता पर भारी पड़ी औपचारिकता
छात्रों और कर्मचारियों के बीच यह चर्चा का विषय है कि क्या विश्वविद्यालय प्रशासन की प्राथमिकता मानवीय संवेदनाएं नहीं रह गईं? एक ओर विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर की मौत हुई, वहीं दूसरी ओर उसी दिन मंच से तालियां गूंजती रहीं।




