तहसीलदार गवेल के बिदा होते ही मित्तर हुए कलेक्टर,आका के गुनाहों के चलते दफ्तर में लगी स्टाफ के सामने फटकार,जानिए क्या है पूरा मामला
दिलीप अग्रवाल की रिपोर्ट
बिलासपुर-सवाल करना तो हक है जनता का,कि, क्यो गवेल साहब के कार्यकाल में तहसील नही गए श्रीमान कलेक्टर महोदय, आखिर क्या वजह है कि तत्कालीन तहसीलदार गवेल के खिलाफ सेंकडो शिकायत होने के बावजूद आज तक कलेक्टर महोदय ने उनके खिलाफ कभी जांच करने की जहमत भी नही उठायी ?एक आईएएस को किस बात का डर ?
जबकि तमाम सैकड़ो शिकायते पूरे दस्तावेजों के साथ शिकायतकर्ताओं ने कलेक्टर से भी की हुई है । ACB से लेकर राजस्व मंत्री भी इन शिकायतो को गंभीरता से नही ले रहे है । खैर भले देर से जागे लेकिन कलेक्टर के तहसील आफिस के औचिक निरीक्षण और तहसीलदार राजकुमार साहू को लगाई गई फटकार की पीड़ित जनता तारीफ कर रही है । तो सूत्रों की माने तो सभी प्रमुख मीडिया के माध्यम से उजागर हुई खबरों से तहसीलदार असन्तुष्ट नजर आ रहे है । सूत्रों की माने तो अपने आका गबेल की मेहरबानी से कुर्सी पर काबिज होने के चंद दिनों बाद ही अपने ही दफ्तर में भरी मीडिया और स्टाफ के सामने जिस तरह कलेक्टर साहब ने घुड़की दी है उससे राजकुमार साहू ना तो सच उगल पा रहे थे और ना ही झूठ निगल पा रहे है । कलेक्टर साहब से मिली फटकार के बाद दबी जुबान तहसील परिसर में ये ही चर्चा चल रही कि साहू साहब अभी अभी कुर्सी में आये है और पेंडिंग मामले पुराने है ।
ऐसे में कही उनको ही बलि का बकरा बनाने के लिए कुर्सी पर तो नही बैठाया गया है ? ये तो आने वाला समय ही बताएगा । किसी और के पापो की वजह से अपनो के बीच अपमान का घुट पीए राजकुमार साहू अब आर पार की लड़ाई के मूड में नजर आ सकते है ऐसी जानकारी मिल रही है ।
तमाम शिकायतों और हजारो पेंडेन्सी के बाद गवेल के खिलाफ कार्यवाही क्यो नही की गयी ? ऐसे अनेको सवाल है ?जिनका जबाब वो तमाम लोग पूछना चाहते है जो शिकायत कर करके थक गये है ?
बिलासपुर कलेक्टर, श्रीमान सारांश मित्तर ने तहसील कार्यालय का औचक निरीक्षण किया। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कलेक्टर ने जब बिलासपुर तहसील में जांच किया तो क्या पाया। पूर्व तहसीलदार नारायण गवेल के समय के ऐसे हजारो मामले पेंडिंग थे जो सालों साल से चल रहे थे और जिनके चलने का कोई औचित्य नहीं। लेकिन क्या कलेक्टर ने पूर्व तहसीलदार को नोटिस जारी कर पूछा कि उनके समय में पेंडनेसी इतनी क्यों है। मामले को क्यो समय सीमा में निराकृत नहीं किया गया। क्यों न इस गंभीर लापरवाही के लिए गवेल को निलंबित कर विभागीय कार्यवाही किया जाए।
आम जनता से लेकर वकील नेता सब नारायण गवेल के कार्यकाल में परेशान थे। गवेल के चार साल के कार्यकाल में तहसील का काम ठप्प पड़ा था केवल विवादित जमीनों और भूमाफियाओं के काम होते थे। वही किसान तंग आकर तहसील जाना ही छोड़ दिया था। अब देखना यह होगा कि राजस्व विभाग के उच्च अधिकारी गवेल के खिलाफ कोई कार्यवाही करते है ?
जब भी राजस्व मंत्री और प्रभारी मंत्री बिलासपुर आते रहे है । तब तब जमीनों से सम्बमधित शिकायतो और सवालों पर मीडिया से उनकी हुई नोकझोक भी चर्चा का विषय बन चुकी है । लेकिन उसके बाद भी दोषी के खिलाफ कार्यवाही नही होने से कांग्रेस सरकार के ऊपर सवाल खड़े हो गए है।
कलेक्टर साहब के इस नए तेवर को देख उम्मीद है की गबेल के विरुद्ध सेंकडो शिकायतों पर गम्भीरता से कड़ी कार्यवाही कर कलेक्टर सारांश मित्तर जनता और पीड़ितों की इंसाफ दिलायेंगे या हर बार की तरह कलेक्टर साहब के निरीक्षण सख्त कार्यवाही के अभाव में मात्र औपचारिकता ही कहलाएगी !