
छत्तीसगढ़ में धान खरीदी पर बड़ा संकट… सरकार और प्रशासन की नाकामी से सिस्टम ठप…..कई खरीदी केंद्रों में ताले लटके—किसान बेहाल……
बिलासपुर– छत्तीसगढ़ में सहकारी समितियों के प्रबंधकों, खरीदी प्रभारियों और ऑपरेटरों की अनिश्चितकालीन हड़ताल लगातार जारी है, लेकिन राज्य सरकार और जिला प्रशासन अब तक स्थिति को संभालने में पूरी तरह विफल साबित हो रहे हैं। शनिवार तक पूरे प्रदेश में 15,000 से अधिक कर्मचारी अपनी चार सूत्रीय मांगों को लेकर धरने पर डटे हुए हैं, जबकि सरकार समाधान निकालने के बजाय सिर्फ खरीदी शुरू करने की तारीखें दोहराने में व्यस्त है।
सरकार दावा कर रही है कि धान खरीदी 15 नवंबर से हर हाल में शुरू कर दी जाएगी, लेकिन वास्तविकता इससे बिल्कुल उलट है। राज्य के अधिकतर धान खरीदी केंद्रों में न तो धान खरीदी सॉफ्टवेयर का ट्रायल रन हो पाया है, न ही किसानों को टोकन जारी किए जा सके हैं। हालात इतने खराब हैं कि कई खरीदी केंद्रों में ताले लटके हुए हैं, और बारदाना की आपूर्ति भी नदारद है।
3 नवंबर से जारी हड़ताल ने धान खरीदी की पूरी व्यवस्था को जकड़ लिया है, लेकिन प्रशासन ने न कर्मचारियों से बातचीत की कोशिश की, न ही किसी वैकल्पिक स्टाफ की तैनाती की। इससे कई जिलों में खरीदी केंद्र पूरी तरह वीरान पड़े हैं। किसान रोज केंद्रों का चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन वहां न अधिकारी हैं, न कोई कर्मचारी सिर्फ सूने पंडाल और बंद कमरे दिखाई दे रहे हैं।
जिला प्रशासन और सरकार की उदासीनता का सीधा असर अब किसानों पर पड़ रहा है। धान तैयार है, खेतों में जगह नहीं बच रही, लेकिन खरीदी केंद्र बंद होने के कारण किसान परेशान होकर गांवों में इसका ढेर लगा रहे हैं। उधर, सरकार लगातार खरीदी की तय तारीख दोहराकर स्थिति की गंभीरता से बचने की कोशिश कर रही है, जबकि जमीनी हकीकत यह है कि पूरे सिस्टम के ठप होने से 15 नवंबर को खरीदी शुरू होना लगभग असंभव दिख रहा है।प्रशासनिक लापरवाही, तैयारी की कमी और संवादहीनता ने इस बार की धान खरीदी को बड़े संकट में डाल दिया है,और इसका सबसे बड़ा खामियाजा किसान झेल रहे हैं।



