रेल चलवाने के लिए कांग्रेसियो ने की सड़क जाम..क्या कांग्रेस चलवा पाएगी सिटी बस ..? प्रदर्शन राजनीतिक स्टंट या जनता के लिए ?

बिलासपुर–एक तरफ जहां आज शुक्रवार को मुख्यमंत्री के कड़े तेवर के बाद कर्मचारियों ने पिछले 12 दिनों से चल रही हड़ताल को खत्म करके जनता को बड़ी राहत दी है। वही बिलासपुर के नेहरू चौक में कांग्रेस रेलवे द्वारा लगातार ट्रेनों को रद्द किए जाने का विरोध कर रही थी।इस विरोध की वजह से कांग्रेसियों ने नेहरू चौक को पूरा जाम करके रखा हुआ था। पुलिस ने भी सांसद के बंगले की सुरक्षा के मद्देनजर बैरिकेट्ड लगाकर नेहरू चौक से सांसद के घर की ओर जाने वाले मार्ग को पूरी तरह बंद कर दिया था।जिसके चलते आम जनता को घंटों परेशान होना पड़ा।

कांग्रेस के नेतृत्व में जिस प्रकार ट्रेनों के मुद्दे पर आंदोलन किया गया और नेहरू चौक में कांग्रेस के तमाम बड़े नेता विधायक पदाधिकारी कार्यकर्ताओं ने हल्ला बोल कार्यक्रम किया। उसके कारण जनता को आम लोगों को आने जाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

रेल के पहिए रुक जाने से यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।लेकिन यह भी सच है कि कांग्रेस राज्य में पिछले 3 सालों से सिटी बसें बंद है। लोगों को सिटी बसों का फायदा नहीं मिल रहा है।करोड़ों की लागत से सिटी बसें खरीदी गई थी।जिसमें केंद्र का भी पैसा लगा हुआ था। बसों के परिचालन को लेकर लोगों में काफी आक्रोश देखा भी गया था। लोगों ने बंद बस को चालू करवाने के लिए काफी बार मांग भी की लेकिन कांग्रेस को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा और आज तक यह सिटी बसें कंडम हालत में खड़ी हुई नजर आती हैं आज भी आंदोलन को लेकर कांग्रेस ने प्रदर्शन किया जरूर वह जनता से जुड़ा हुआ था।

लेकिन कांग्रेस को यह भी याद रखना चाहिए कि सिटी बस भी जनता की आज आवागमन का एक महत्वपूर्ण भाग है।उसके पहिए थमे हुए हैं उसके खिलाफ आखिर कांग्रेसियों ने मौन रखा है।जबकि छत्तीसगढ़ में उनकी खुद की सरकार है बिलासपुर में उनका खुद का महापौर विधायक और बड़े नेता मौजूद है उन्होंने कभी भी बिलासपुर वासियों की इस मांग पर कभी ध्यान नहीं दिया इससे साफ जाहिर होता है कि कांग्रेस सिर्फ राजनीति करती है जनता के मुद्दों से उनका कोई लेना देना नहीं है वही वही इस प्रदर्शन का नेतृत्व एक छपास नेता कर रहे थे जहां एक तरफ पिछली छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने ऐतिहासिक प्रदर्शन करते हुए सत्ता पर कब्जा किया था वही बिलासपुर के ग्रामीण क्षेत्रों की सीटों पर कांग्रेस को शर्मनाक पराजय का सामना करना पड़ा था और बड़ी मुश्किल से एक तखतपुर की सीट कांग्रेस जीतने में कामयाब रही थी।

जिला ग्रामीण कांग्रेस अध्यक्ष विजय केसरवानी के कंधों पर जिम्मेदारी थी विधानसभा को जिताने की लेकिन वे जीत नहीं दिलवा सके कांग्रेस को उसके बाद भी कांग्रेस ने उन्हें पद से नहीं हटाया इसकी जिम्मेदारी विजय केसरवानी ने इस हार की जिम्मेदारी विजय केसरवानी ने कभी भी नहीं ली और ना ही कांग्रेस के प्रति समर्पित करते हुए अपने पद को छोड़ने की इच्छा जताई उल्टे महापौर का ख्वाब देखने वाले ग्रामीण जिला अध्यक्ष पार्षद का चुनाव लड़े जरूर लेकिन उनका महापौर का बनने का सपना धरा का धरा रह गया सच्चाई यही है कि लिंगयाडी के जिस वार्ड से उन्होंने चुनाव लड़ा था वहां की हालत काफी खराब है वहां के क्षेत्रवासी को पार्षद के दर्शन के लिए महीनों तरसना पड़ता है ।
कांग्रेस के इस नेता को छपास नेता भी कहा जाता है । मीडिया में छपने के लिए इनकी आतुरता की कानाफूसी भी कांग्रेस के छोटे से बड़े आपस मे चर्चा का एक महत्वपूर्ण चर्चा बनी हुई है । आज के इस प्रदर्शन मे अभि तक प्रसारित और प्रचारित खबरों में इनकी अहमियत से आप अंदाजा लगा सकते है कि विधानसभा के चुनाव में इनके नेतृत्व में मिली शर्मनाक हार के बाद भी इनका कद कम होने की वजाय बढ़ता ही जा रहा है ।वही इनकी मीडिया छपास की छबि से कांग्रेसी भी परेशान है सूत्रों की माने तो अब कई कांग्रेसी भी इन्हें छपास नेता कहने में कोई गुरेज नही करते हैं ।

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