
डिजिटल इंडिया की दौड़ में पिछड़ रहे हैं किसान…..एटीएम कार्ड तो हैं…. पर जानकारी नहीं…..
बिलासपुर–डिजिटल युग में जब देशभर में नगद लेन-देन की जगह डिजिटल भुगतान को बढ़ावा दिया जा रहा है, तब बिलासपुर जिले के हजारों किसान तकनीकी जानकारी के अभाव में सहकारी बैंकों की शाखाओं में लंबी कतारों में खड़े नजर आते हैं।जिले में सहकारी बैंक द्वारा किसानों को बड़ी संख्या में एटीएम कार्ड जारी किए गए हैं। आंकड़ों के मुताबिक, अब तक 2 लाख 26 हजार किसानों को केसीसी ऋण के अंतर्गत एटीएम कार्ड दिए जा चुके हैं। लेकिन इनमें से सिर्फ 1 लाख 60 हजार किसान ही इन कार्ड्स का उपयोग कर पा रहे हैं। बाकी किसानों के पास कार्ड तो हैं, लेकिन उनका उपयोग कैसे करें, इसकी जानकारी नहीं है।
बैंक बुलाता है, किसान नहीं आते…..बैंक अधिकारियों का कहना है कि किसानों को एटीएम कार्ड लेने के लिए कई बार बुलाया जाता है, लेकिन जानकारी के अभाव और भ्रम के कारण वे शाखाओं तक नहीं पहुंच पाते। जिन किसानों के पास कार्ड हैं, वे पिन जनरेशन, ट्रांजैक्शन प्रक्रिया और बैलेंस चेक जैसे जरूरी कदमों से अनभिज्ञ हैं। परिणामस्वरूप उन्हें नकदी निकालने के लिए बैंक शाखाओं का ही रुख करना पड़ता है, जिससे शाखाओं पर दबाव बढ़ता है।सुविधाएं मौजूद, उपयोग सीमित….सहकारी बैंक ने किसानों के लिए माइक्रो एटीएम, मोबाइल एटीएम, रूपे कार्ड, चेकबुक और डिजिटल भुगतान जैसी आधुनिक सुविधाएं मुहैया करवाई हैं। समिति स्तर पर ₹20,000 से लेकर ₹50,000 तक की नकद निकासी की सुविधा भी दी जा रही है। फिर भी, जागरूकता की कमी के कारण किसान इन सेवाओं का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं।बैंक कर रहा प्रयास, लेकिन समाधान किसानों की समझ में……जिला सहकारी बैंक के सीईओ सुनील सोढ़ी ने बताया कि किसानों को डिजिटल लेन-देन की जानकारी देने के लिए जागरूकता शिविर और सूचनात्मक पोस्टर लगाए जा रहे हैं। यदि किसानों को प्रशिक्षण और निरंतर मार्गदर्शन मिले तो बैंकिंग प्रक्रिया उनके लिए काफी आसान हो सकती है। साथ ही, बैंक कर्मियों पर बढ़ता दबाव भी घटेगा।डिजिटल जानकारी नहीं, तो तकनीक भी बेकार….विशेषज्ञों का मानना है कि तकनीकी जानकारी की कमी केवल एक बैंकिंग समस्या नहीं, बल्कि कृषि क्षेत्र की प्रगति में भी एक बड़ी रुकावट है। जब तक किसानों को डिजिटल तकनीक अपनाने के लिए प्रेरित नहीं किया जाएगा, तब तक वे नई संभावनाओं से वंचित रहेंगे।