धर्मांतरण के जाल में फंसी शिक्षिका…. इंजीनियर पति की शिकायत पर प्रिंसिपल समेत दो पर एफआईआर…..

बिलासपुर– छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर में धर्मांतरण का मुद्दा थमने का नाम नहीं ले रहा है।धर्म परिवर्तन दबाव को लेकर एक अत्यधिक संवेदनशील और गंभीर मामला सामने आया है। इंजीनियरिंग पढ़े एक बेरोजगार युवक मंयक पाण्डेय ने अपनी पत्नी रंजना पाण्डेय और डीएवी मुख्यमंत्री पब्लिक स्कूल, कुम्हारी मरवाही की प्रिंसिपल केरोलाईन मैरी के खिलाफ चकरभाठा थाने में भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 299 और 3(5) के तहत प्राथमिकी दर्ज करवाई है। आरोप है कि उसे ईसाई धर्म अपनाने के लिए दबाव डाला गया और समझौते के बदले पैसों का लालच भी दिया गया।

क्या है पूरा मामला

मंयक पाण्डेय ने अपनी शिकायत में बताया कि उसकी शादी 10 फरवरी 2019 को मध्य प्रदेश के अनुपपुर जिले की रंजना पाण्डेय से हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार हुई थी। दोनों का वैवाहिक जीवन विवादों से घिरा रहा और फिलहाल कोतमा न्यायालय (अनुपपुर) में पारिवारिक विवादों से जुड़ा मामला लंबित है।

पेशी के दौरान 10 मार्च 2025 को जब मंयक अपनी पत्नी से समझौते की बात करने गया, तो उसने चौंकाने वाला खुलासा किया। मंयक के अनुसार, उसकी पत्नी ने बताया कि डीएवी स्कूल की प्रिंसिपल केरोलाईन मैरी ने उसका “बेप्टिस्मा” (ईसाई धर्म में बिना धार्मिक संस्कार के जबरन परिवर्तन) कराया है और अब मंयक को भी धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित किया जा रहा है। आरोप है कि प्रिंसिपल केरोलाईन ने मंयक को धर्म बदलने पर 50,000 रुपये नगद और नौकरी का लालच भी दिया।

धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप

मयंक का दावा है कि वह हिंदू धर्म में आस्था रखता है और धर्म परिवर्तन के लिए किसी भी प्रकार का दबाव उसे मानसिक रूप से आहत कर रहा है। उसने कहा कि उसकी पत्नी अपनी नौकरी बचाने के लिए दबाव में आकर ईसाई धर्म अपना चुकी है और अब उस पर भी धर्म बदलने का दबाव बना रही है। यह सीधा-सीधा धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार और भावनाओं का उल्लंघन है। थाना चकरभाठा द्वारा इस मामले में भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 299 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना) और 3(5) के तहत एफआईआर क्रमांक 003/25 दर्ज की गई है।जहां मयंक की शिकाय पर पत्नी रंजना पांडे और स्कूल की प्रिंसिपल केरोलाइन मैरी के खिलाफ मामला पंजीबद्ध कराया गया है।अब यह मामला पुलिस जांच में है।

क्या वाकई स्कूल प्रिंसिपल जैसे जिम्मेदार पद पर बैठे कोई व्यक्ति इस तरह धर्मांतरण के लिए आर्थिक प्रलोभन देता है?क्या यह मामला सिर्फ एक पारिवारिक विवाद है या इसके पीछे संगठित धर्मांतरण का कोई गहरा तंत्र सक्रिय है?क्या प्रशासन और शिक्षा विभाग इस मामले की निष्पक्ष जांच कर धर्मनिरपेक्ष मूल्यों की रक्षा करेगा?यह मामला अब सिर्फ मंयक पाण्डेय का नहीं रहा, बल्कि धार्मिक स्वतंत्रता, नैतिकता और शिक्षा प्रणाली में विश्वास से जुड़ा एक बड़ा सवाल बन गया है।

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