छठी मइया के जयकारों से गूंजा बिलासपुर के विशाल छठ घाट पर उमड़ी आस्था की बाढ़……

बिलासपुर–एशिया के सबसे बड़े छठ घाट ने एक बार फिर आस्था का विराट संगम देखा। डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने हजारों श्रद्धालु घाट पर जुटे, जहां हर ओर “छठी मइया के जयकारे” गूंजते रहे। चार दिनों तक चलने वाला यह पर्व श्रद्धा, अनुशासन और पवित्रता का अनोखा उत्सव बन गया है।

महिलाओं की अटूट आस्था — “छत्तीसगढ़ में भी छठ अब पर्व नहीं, परंपरा बन गया है….

बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल में मनाया जाने वाला छठ पर्व अब छत्तीसगढ़ की मिट्टी में भी गहराई से रच-बस गया है। बिलासपुर के विशाल घाट पर पूजा करने पहुंचीं व्रती महिलाओं ने बताया कि यह पर्व उनके जीवन का सबसे पवित्र हिस्सा है।

35 वर्षों से छठ व्रत कर रहीं सोनी सिंह कहती हैं, “हमने कभी नहीं सोचा था कि छत्तीसगढ़ में इतनी भव्यता से छठ मनाया जाएगा। आज बिलासपुर का घाट हमारे गर्व का प्रतीक बन गया है। सूर्य देवता के इस पर्व में शामिल होना सौभाग्य की बात है।

वहीं नीलिमा सिंह ने मुस्कुराते हुए कहा कि, छठ खत्म होते ही अगले साल की तैयारी शुरू हो जाती है। यह केवल पूजा नहीं, बल्कि जीवन का उत्सव है। घर की सफाई, सजावट, नए वस्त्र, फल-फूल—सब कुछ श्रद्धा के साथ तैयार किया जाता है।”

नियमों में अनुशासन, भावना में भक्ति

छठ पूजा का प्रत्येक चरण पवित्रता और संयम का प्रतीक है —
पहले दिन नहाय-खाय दूसरे दिन खरना तीसरे दिन संध्या अर्घ्य और चौथे दिन उषा अर्घ्य
व्रती महिलाएं इस दौरान पूर्ण उपवास रखती हैं और परिवार की खुशहाली, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए सूर्य देव और छठी मइया से प्रार्थना करती हैं।

बिलासपुर का छठ घाट बना श्रद्धा का केंद्र…..

बिलासपुर का विशाल छठ घाट अब पूरे देश में चर्चा का विषय है। यहां बिहार-उत्तर प्रदेश के साथ छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों से श्रद्धालु पहुंचते हैं। प्रशासन ने सुरक्षा, सफाई और सजावट की उत्कृष्ट व्यवस्था की है ताकि भक्त निर्बाध रूप से पूजा कर सकें।

बिलासपुर का यह छठ घाट अब सिर्फ एक जगह नहीं, बल्कि आस्था और एकता का प्रतीक बन चुका है — जहां सूर्य की रोशनी के साथ पूरे छत्तीसगढ़ की श्रद्धा दमकती है।

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