मृतात्मा की शांति के लिए श्रीरामकथा का कल 16 अप्रैल को हवन के साथ होगा समापन

बिलासपुर-कहते हैं कि श्वांस है तो शरीर का हक बनता है कि उसे भोजन, पानी, पहनने को कपड़ा और रहने को मकान मिले। लेकिन जैसे ही श्वांस की डोर टूटी तो इंसान लाश बन जाता है। कभी कभी कुछ अभागे होते हैं, जिनके शव को दो गज जमीन या कुछ सूखी लकड़ियों के साथ अंतिम संस्कार नसीब नहीं होता। कुछ इतने बदनसीब होते हैं कि उन्हें कफन और अपनों के कंधों तक का सारा नहीं मिल पाता। ऐसे शवों को ‘लावारिस’ करार दे दिया जाता है। धार्मिक मान्यता के मुताबिक ऐसे लोगों की आत्मा की मुक्ति और मोक्ष प्राप्त नही होता।और ऐसे लोगों के लिए मृत्यु के बाद जिन्हें परिवार ने भुलाया, उनके मोक्ष के लिए मित्र मंडली के द्वारा सरकण्डा मुक्ति धाम में 7 अप्रैल से श्रीरामकथा प्रारंभ किया गया जो पूरे नव दिन के बाद दसवें दिन 16 अप्रैल को -हवन और भंडारा के साथ समापन होगा।

मित्र मंडली के द्वारा इस बार पंडित अमर कृष्ण शुक्ल महाराज को बुलाया गया है जो इस कार्यक्रम में इनके द्वारा कथा सुनाया जा और आत्माओं की शांति के लिए पारायण किया जा रहा है।मित्र मंडली, कोरोना से मृत लोगों के नाम पर भी पूजा कराई गई।आपको बताते चले कि बिलासपुर में ऐसे लोगों की मुक्ति के लिए कुछ लोगों ने पुण्य कार्य का बीड़ा उठाया है।जो लावारिस शवों या जिनकी विधि विधान से अंत्येष्टि नहीं हुई, उनके लिए एक मित्र मंडली काम कर रही है, जो कोविड काल या अन्य कारणों से परलोक सिधार चुके लोगों की आत्मा की शांति, मुक्ति के लिए हर दो साल में हवन, पूजन करवा रही है। इस मंडली ने अब तक हजारों आत्माओं की मुक्ति के लिए कार्य कराया है। खास बात यह है कि प्रचार के इस दौर में भी मित्र मंडली ने को नाम छापने से परहेज करते हुए अपने कार्यों पर ज्यादा जोर दिया।मित्र मंडली के सदस्यों ने बताया की अभी तक 500 मृतात्मा की शांति और उनके मोक्ष के लिए कथा कराई जा रही है।

ऐसे शुरू हुआ मित्र मंडली का स्तुत्य प्रयास पूजन का खर्च मंडली करती है 9 दिनों तक कथा फिर हवन-साल 2017 में मित्र मंडली को एक लावारिस शव मिला, मित्र मंडली ने इसे दफन किया। पर इनके मन में उसी दिन से ये विचार उत्पन्न हुआ कि ऐसे कितने लोग होंगे? जिनकी आत्मा को मुक्ति नहीं मिल पाती होगी। मित्र मंडली के 30 सदस्यों ने इस पर मंथन किया और ऐसे लोगों को मोक्ष दिलाने पंडितों से बात की तो उन्होंने पारायण कराने की सलाह दी। साथ ही श्रीमद्भागवत, शिव पुराण या फिर श्रीराम कथा कराने कहा। मित्र मंडली ने इस काम का बीड़ा उठा लिया और 2018 में सरकंडा मुक्तिधाम में श्रीमद् भागवत कथा की शुरुआत की। इसमें मंडली ने सभी ऐसे लोगों से अपील की कि वे जिन्हें जानते हैं, जो किसी भी कारण से परलोक सिधार गए हैं, उनकी आत्मा की शांति व मोक्ष के लिए उनका नाम, फोटो और गोत्र मंडली के पास भेजें। 2018 में 864 लोगों का मंडली द्वारा पारायण कराया गया।

मित्र मंडली के पदाधिकारियों ने बताया कि वे सभी सदस्य 12वीं कक्षा के सहपाठी हैं। उन्होंने बताया कि एक बार की पूजा में लगभग 5 लाख रुपए का खर्च आता है। हम सभी 30 सदस्य व परिवार के लोग इसे वहन करते हैं। हालांकि अन्य लोग भी अपनी स्वेच्छा से इसमें सहयोग कर रहे हैं।

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