सयुंक्त पंजीयक सुनील तिवारी आचरण मामले में हुई सुनवाई,उच्च न्यायलय ने शासन को नोटिश जारी कर चार हफ़्तों में मांगा जवाब
बिलासपुर संभाग के सहकारिता विभाग के संयुक्त पंजीयक सुनील तिवारी द्वारा सिविल सेवा आचरण नियम के उल्लंघन मामले में मंगलवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई । हाईकोर्ट ने आज इस मामले में सुनवाई करते हुए अनावेदक समेत छत्तीसगढ़ सरकार को नोटिस जारी कर 4हफ्ते में जवाब तलब किया है ।
आपको जानकारी दें कि इस मामले में शिकायतकर्ता विनय शुक्ला ने बीते वर्ष अक्टूबर माह में शासन से शिकायत की कि सुनील तिवारी इस पद पर वर्ष 2018 से पदस्थ हैं।उनकी शादी वर्ष 1994 में उपासना तिवारी के साथ हुआ था। दिनांक 09/12/2011 को कुटुम्ब न्यायालय के निर्णय में भी सुनील तिवारी और उनकी पहली विवाहिता के बीच विवाहित जीवन साबित हुआ।इस प्रकार यह स्थापित है।
कि सुनील तिवारी का प्रथम पत्नी से 17 वर्ष 5 माह तक विवाह कानूनन स्थापित रहा। न्यायालयीन निर्णय के कंडिका-3 के अवलोकन से स्पष्ट है कि विवाहित पत्नी उपासना एवं पति सुनील तिवारी जून 1997 तक प्रत्यक्ष दाम्पत्य जीवन में रहे हैं। इसके पश्चात् ही वे साथ नहीं रह पाए । किन्तु वैधानिक रूप से विवाह कायम रहा है। वर्ष 1997 के बाद सुनील तिवारी ने सुमित्रा नामक महिला से अवैधानिक रूप से विवाह किया । दिनांक 17/05/2016 को सुनील तिवारी संयुक्त पंजीयक के द्वारा अपनी दूसरी पत्नी सुमित्रा तिवारी को जीपीएफ और ग्रेच्युटी एवं समूह बीमा योजना की 100 प्रतिशत राशि को देना तय किया है एवं द्वितीय विकल्प में अपने दूसरी पत्नी से हुए पुत्र अंश तिवारी का नाम लिखा है,जिसे उसकी सर्विस बुक से सत्यापित किया जा सकता है। उपरोक्त तथ्यों से पूर्णतः स्पष्ट है कि संयुक्त पंजीयक सुनील तिवारी के द्वारा अपनी विवाहित पत्नी उपासना को विधिवत तलाक दिए बिना दूसरी स्त्री सेअवैधानिक विवाह किया एवं उससे पुत्र भी उत्पन्न किया।
शासकीय सेवकों को लागू सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम 22 के अनुसार किसी लोक सेवक द्वारा द्वि-विवाह किए जाने को गंभीरतम माना गया है। इस पर सुनवाई करते हुए आज जस्टिस गौतम भादुड़ी ने शासन सहित अनावेदक को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब तलब किया है ।