
कप्तान और थाने की शिकायत में कांग्रेस नेता के पुत्र और आदतन बदमाश के नाम हुआ जिक्र……न्याय की गुहार पर कप्तान के फरमान के बाद एफआईआर से कांग्रेस नेता के पुत्र का नाम हुआ गायब…..आखिर किसके दबाव में हुआ खेला….?थाना प्रभारी की कार्रवाई संदिग्ध….?
बिलासपुर–छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर में कांग्रेस नेता के पुत्र और उसके साथी आदतन गुंडा बदमाश की करतूत सामने आने के बाद भी तोरवा पुलिस की कार्रवाई संदेह घेरे में नजर आ रही है।एक तरफ जहां पर प्रार्थी की लिखित शिकायत में नाम का उल्लेख होने के बाद और सीसीटीवी फुटेज में आदतन बदमाश के साथ कांग्रेस नेता के पुत्र का वीडियो सामने आने के बाद भी तोरवा पुलिस थाने के थानेदार बता रहे कि कांग्रेस नेता का एफआईआर में नाम नहीं है।
तो वही दूसरी तरफ जहां पर अपराध पर नकेल कसने के लिए पुलिस कप्तान लगातार कार्रवाई करने पर जोर दे रहे है तो वही दूसरी ओर थाने में बैठे थानेदार अपनी ही थानेदारी चलाने में मशगूल है।आखिर ऐसी क्या वजह हुई कि इस कांग्रेस नेता के बेटे का नाम इस पूरे घटनाक्रम से गायब कर दिया गया।वही जबकि इस पूरे मामले में दबंगई और गुंडागर्दी का वीडियो के साथ लिखित शिकायत सामने आने के बाद भी।
क्या है घटनाक्रम……
आपको बताते चले कि देवरीखुर्द निवासी सुगम निषाद 25 वर्षीय ने तोरवा थाने पहुंचकर लिखित शिकायत दर्ज कराई कि 27 फरवरी को वह देवरीखुर्द स्थित कैफे एरिना नामक स्नूकर क्लब में।रात साढ़े ग्यारह बजे के लगभग वह स्नूकर खले रहा था।तभी अविनाश सोनकर उर्फ दद्दू और अमितेश राय दोनों आए और मारपीट करते हुए जान से मारने की धमकी देते हुए गोली से मारने की बात कहे।

उस क्लब में लगभग दस से पंद्रह मिनट तक इनकी दबंगई और गुंडागर्दी चलती रही जिसके बाद इस बात को लेकर पीड़ित थाना पहुंच कर लिखित शिकायत दिया।

लेकिन इस मामले में थाना तोरवा ने कोई कार्रवाई करना उचित नहीं समझा और शिकायत लेकर पीड़ित को चलता कर दिया।इसके बाद दूसरे दिन 28 फरवरी को पीड़ित न्याय के लिए बिलासपुर पुलिस अधीक्षक के कार्यालय पहुंचकर शिकायत देकर आप बीती से अवगत कराया।जहां इसके बाद पुलिस कप्तान ने अपराध दर्ज कर इस मामले में शामिल सभी बदमाशों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया।कप्तान के फरमान के बाद अपराध दर्ज किया गया।लेकिन उसमें से एक नाम को गायब कर दिया गया।इस पूरे घटनाक्रम में कांग्रेस नेता के पुत्र का नाम को हटा दिया गया।

आखिर किसके इशारे में हुआ खेला….
एफआईआर में नाम नहीं होने के बाद यह मामला ओर गरमा गया।जहां एक तरफ पीड़ित को जान से मारने की धमकी और मारपीट की गई।जिसके बाद वह न्याय के लिए पुलिस की शरण में गया तो वहां पर भी उसके साथ इंसाफ नहीं हुआ।

बल्कि उसके ऊपर दबाव बनाया गया।आखिर किसके सरंक्षण में यह पूरा खेल खेला गया।इस भी एक सवालिया निशान है।जबकि इस मामले पुलिस कप्तान के द्वारा कार्रवाई के लिए आदेशित भी किया गया उसके बाद भी कार्रवाई में थाना प्रभारी ने हिला हवाला करते हुए कोताही बरती और कांग्रेस नेता के पुत्र को इस पूरे मामले से बाहर कर दिया।जो पूरी तरह से संदेह के घेरे में नजर आ रही है।
बहरहाल इस पूरे मामले में कही ना कही अपराधियों और बदमाशों के पीछे राजनीतिक रसूख के आगे पुलिस अपनी कार्रवाई में एक कदम पीछे करके इस पूरे मामले को मैनेज करती हुई नजर आ रही है।अब देखना यह होगा कि भाजपा के सुशासन में पीड़ित को न्याय दिलाने में थाने की पुलिस आगे क्या कार्रवाई करती है।
इस मामले को लेकर थानाप्रभारी अभय सिंह ने बताया कि कांग्रेस नेता का पुत्र मौके पर मौजूद था लेकिन इस घटना में वह शामिल नहीं था। सीसीटीवी फुटेज में वह जरूर दिख रहा पर वह अपराध नहीं किया।वही इस मामले में कांग्रेस नेता के पुत्र को थाना तलब नहीं किया गया। नाही कोई पूछताछ की गई।