सिम्स मरच्यूरी में लापरवाही: 18 लाख के नए फ्रीजर दो माह से बंद, शवों के संरक्षण में परेशानी

बिलासपुर–छत्तीसगढ़ के दूसरे सबसे बड़े अस्पताल, सिम्स की मरच्यूरी में शवों के सुरक्षित संरक्षण को लेकर गंभीर लापरवाही सामने आई है। प्रबंधन द्वारा करीब 18 लाख रुपये की लागत से अत्याधुनिक तकनीक वाले दो नए फ्रीजर मंगवाए गए हैं, लेकिन इंस्टॉलेशन में जरूरी केबल और उपकरण न भेजे जाने के कारण ये मशीनें अब तक चालू नहीं हो सकीं।जानकारी के अनुसार, ये फ्रीजर पिछले दो महीनों से मरच्यूरी में बिना उपयोग के पड़े हैं। शुरुआत में इन्हें खुले आसमान के नीचे रखा गया, बाद में एक कमरे में शिफ्ट किया गया। हालांकि, तकनीशियन की अनुपलब्धता और सप्लाई कंपनी की लापरवाही के चलते इन्हें अभी तक इंस्टॉल नहीं किया जा सका है।इधर पुराने फ्रीजर पूरी तरह से खराब हो चुके हैं। उनके कंप्रेशर काम नहीं कर रहे और ढक्कन भी सही से बंद नहीं होते, जिससे बदबू फैलने लगी है। परिजनों द्वारा कई बार इस स्थिति की शिकायत डॉक्टरों और स्टाफ से की जा चुकी है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।आपको बता दें कि, गर्मी के मौसम में मरच्यूरी में शवों को सुरक्षित रखना बड़ी चुनौती बन चुका है। खराब कूलिंग व्यवस्था के चलते शव तेजी से डिकंपोज हो रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, इन हालात में शवों को विशेष साफ-सफाई और सावधानी से संरक्षित करने की जरूरत होती है, लेकिन फिलहाल की स्थिति इसके विपरीत है।बताया जा रहा है कि, नए फ्रीजरों की क्षमता 10 शवों की है—एक में 6 रैक और दूसरे में 4 रैक हैं। ये हाई-कूलिंग सिस्टम से लैस हैं, जिससे शवों को लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है। इन मशीनों के चालू हो जाने के बाद पुराने फ्रीजरों की मरम्मत भी कराई जा सकती है, जिससे मरच्यूरी की व्यवस्था सुधर सकती है।सिम्स अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक लखन सिंह ने बताया कि संबंधित कंपनी को पत्र भेजकर इंस्टॉलेशन की मांग की गई है, लेकिन अब तक कोई तकनीशियन नहीं आया है।स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता के लिए शवों के संरक्षण की समुचित व्यवस्था अत्यंत जरूरी है। सिम्स मरच्यूरी की यह स्थिति न केवल अव्यवस्था को दर्शाती है, बल्कि संवेदनशीलता की कमी का भी उदाहरण है। आवश्यक है कि संबंधित अधिकारी तत्काल हस्तक्षेप कर व्यवस्था सुधारें।

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