तीन दिवसीय राष्ट्रीय रंग संगम नाट्य महोत्सव 2024 के अंतिम दिन नाटक शबरी के मंचन के साथ परदा गिरा….
बिलासपुर–संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से संगम नाटय समिति के द्वारा तीन दिवसीय राष्ट्रीय रंग संगम नाट्य महोत्सव 2024 सामुदायिक भवन, नर्मदा नगर, मंगला चौक बिलासपुर में किया गया।। नाट्य महोत्सव का शुभारंभ दीप प्रज्वलित कर किया गया।इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में हमारे बीच भोपाल से पधारे आनंद मिश्रा ने इस कार्यक्रम की संपन्नता हेतु सभी आयोजकों को बधाई दी एवं शहर में ऐसी गतिविधियां निरंतर होती रहे इसके लिए सुविधायुक्त रंगमंचीय सभागार होने की बात रखी। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. रश्मि बुधिया के द्वारा की गई। उन्होंने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि समाज को नई दिशा और कई महत्वपूर्ण विचारों को नाटक के माध्यम से मंच पर जीवंत किया जाता है।ऐसे कार्यक्रमों से युवा वर्ग को जुड़ने की आवश्यकता है। विशिष्ट अथिति के रूप में प्रकाश सोंथालिया ने पर्यावरण जागरूकता की बात की और शहर में हो रहे इस गरिमामय आयोजन के लिए बधाई दी।ज्ञात हो नाट्य महोत्सव में आमंत्रित अतिथि में सम्मानित कलाविद पद्मश्री अनूप रंजन पांडेय, सतीश जायसवाल, मधुकर गोरख, सचिन, काशी राम साहू, डॉ. योगेंद्र चौबे, लखन लाल गंधर्व, सत्येंद्र सेंगर रीवा, मयंक विश्वकर्मा, नीतीश प्रियदर्शी,सीतामढ़ी बिहार आदि शामिल हुए।। इस कार्यक्रम को गति देने और शहर में सामाजिक जन चेतना को पुनर्जीवित करने के लिए श्री सतीश जायसवाल जी ने महोत्सव के निर्देशक को शुभकामनाएं दी।साथ ही इस महोत्सव के निर्देशक और सचिव शैलेंद्र मणि कुशवाहा ने महोत्सव में संस्था के द्वारा रंग भूमि सम्मान की घोषणा की जिसमें महोत्सव के प्रथम दिन काशीराम साहू,(संगीत नाटक अकादमी अवार्डी, भारत सरकार) दूसरे दिन डॉ योगेंद्र चौबे (संकाय अध्यक्ष,नाट्य कला विभाग, इंदिरा कला संगीत विवि, खैरागढ़) तथा अंतिम दिन श्री लखन लाल गंधर्व जी (लोक नाट्य गम्मत के कला मर्मज्ञ) को रंग भूमि सम्मान 2024 से सम्मानित किया गया।
आज महोत्सव के अंतिम दिन *रंग त्रिवेणी साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समिति भोपाल* की प्रस्तुति *नाटक शबरी*
रचना मिश्र के निर्देशन में सफल हुआ।
नाटक शबरी रामायण के एक अंश को प्रस्तुत करता है। नाटक में भगवान राम कण-कण में बसने वाले राम सबके मन में बसने वाले राम भगवान राम ने अपनी लीला में प्रकृति एवं प्रकृति वासियों के जीवन स्वरूप को रेखांकित करने के लिये 14 वर्ष का वनवासी जीवन स्वीकार किया। भगवान राम में लीला के दौरान मित्र निषादराज केवट जिसने गंगा पार करवाया मुनियो की तपस्या जीव जन्तुओं का प्रेम माता सीता को ढूढने के लिये वानरो का प्रेम अपनी लीला के दौरान वर्णित किया। भगवान राम एक आदर्श स्वरूप को प्रतिबिंबित करने के लिये यह लीला की थी। इसी लीला के दौरान ही आदर्श रामराज का स्वरूप स्थापित किया था। शबरी ने सार्थक प्रतिक्षा जो अपने गुरू के आदेश अनुसार भगवान राम का भजन गाते-गाते प्रतिक्षा करती है। और अंत में भगवान के साक्षात आदर्श पुरूष के रूप में दर्शन प्राप्त होते है। जिसमे सभी कलाकारों में अपने अहम भूमिका अदा किया। जिसे स्देशकों ने खूब सराहा। राम की भूमिका शिवम, शबरी की भूमिका में वंशिका बाथम, मतंग ऋषि में मुकेश गौर, बाल जानवर की भूमिका में अनंतिका मिश्रा ने चरित्र के साथ न्याय करते हुए उम्दा अभिनय किया।
नाटक में मंच पर कलाकर थे-
राम – शिवम रघुवंशी
लक्ष्मण – पंकज पटेल
सीता / सखी / शिष्य- रोहणी विश्वकर्मा
बूढी शबरी – वंशिका बाथम
शबरी / श्रमणा – भूमिका ठाकुर
नट – अंश द्विवेदी
नटी – मोनिका विश्वकर्मा
भील राजा / युवक – देवांश सिंह बघेल
मंतग ऋषि- मुकेश गौर
देवी / सखी/शिष्य :- आनन्दी मिश्रा
भील युवक- नवीन मिश्रा
सखियां / शिष्य – पलक, वर्षा, मेघा, आनंदी, रोहिणी।
बाल जानवर – अनंतिका मिश्रा, ऐन्जल बाथम
मंच परे
मंच व्यवस्था:- मोनिका, भूमिका संगीत – सुरेन्द्र वानखेडे
पाश्व संगीत – संकेत भारत
स्वर – प्रभाकर द्विवेदी, उदयभान यादव, विवेक, वंशिका, मोनिका, देवांश, अंश, रोहणी, संकेत।
प्रकाश – आनंद मिश्रा
रूप सज्जा – शीलू, शीला चौरागड़े
वेशभूषा – रचना मिश्रा
वेशभूषा सहायक – भूमिका, मोनिका,
पेंटिंग – प्रमोद गायकवाड
रिर्काडिस्ट – सचिन
रिकार्डिंगं स्टूडियो – आरध्या
लेखक – सुनील मिश्र ने किया था।। कार्यक्रम में विशेष सहयोग श्री विजय देशमुख जी (विजय एडवरटाइजिंग), डॉ. किरण चावला जी, (संचालक, कैरियर पॉइंट स्कूल), श्री पंकज खंडेलवाल जी ( एन. एच. आई. न्यूज़), प्रशांत संथालिया जी (होटल गीता लॉज), डॉ. मोहन लाल पटेल जी (प्राचार्य शा. उ. मा. वि. राजेन्द्र नगर) श्री हबीब खान जी ( डी. पी. चौबे स्मृतिप्रेस क्लब) श्री सुरेंद्र वर्मा जी, डॉ. रश्मि बुधिया जी, रोहित वैष्णव, मनीषा पाल, संस्कृति सिंह, आदर्श श्रीवास, मन्नालाल गंधर्व, मोहित वंशीवाल, गोविंदा गंधर्व, प्रेमलता गंधर्व, आदि का रहा।