छत्तीसगढ़ का गौरव बिलासपुर की बेटी रंजीता दास विगत 7 वर्षों से समाज सेवा कर रही हैं

बिलासपुर–जीना इसी का नाम है आज हर कोई दिन दुखियों के विषय पर चर्चा करता है लेकिन क्या वास्तव में दीन दुःखी केवल चर्चा का ही विषय है हम उनके लिए क्या कर सकते हैं कल्पना करिए यदि कोई ऐसी युवती मिले जो दीन दुखियों की सेवा के लिए अपनी नौकरी छोड़ अपना सब कुछ समर्पित कर विगत कई माह से उनकी सेवा कर रही हो, कुछ ऐसी ही है हमारे बिलासपुर की बेटी हैं ।सामाजिक कार्यों में विशेष रुचि रखने वाली मन मे सेवा भाव लिए हमेशा जरूरतमंदों की सेवा शुरू से ही उनके जीवन का अहम हिस्सा रहा है। जिन्होंने कुछ ऐसा कर दिया जो आज पूरे प्रदेश के लिए मिसाल बन चुकी है जी हां हम बात कर रहे हैं।

रंजीता दास का जिन्होंने प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते हुए सेवा करती रही थी लेकिन सेवा कार्यो और नौकरी दोनों में जब किसी एक को चुनना पड़ा तब रंजीता ने सेवा कार्यो को चुनते हुए आगे बढ़ी,जुनून ऐसा बड़ा की नौकरी छोड़ कर विगत 1 सालों से शहर की पिछड़ी बस्तियों में, स्लम एरिया में पन्नी, कबाड़ी उठाने वाले बच्चों को शिक्षा के साथ संस्कारवान बनाने का बीड़ा उठाया है प्रतिदिन ऐसे बच्चों के पास जाकर उन्हें शिक्षा और साथ ही सभ्य समाज में रहने हेतु संस्कारवान भी बना रही है ।वर्तमान में रंजीता के द्वारा शहर में अनेक पिछड़ी बस्तियों पर चार संस्कारशाला संचालित की जा रही है जिसमें सर्वप्रथम रेलवे इंस्टिट्यूट के पीछे बसी बस्ती जिसे मुर्रा भट्ठा के नाम से जाना जाता है वहां विगत 12 माह से निशुल्क संस्कारशाला संचालित कर रही है ,ब्रम्ह विहार,नहर पारा देवरीडीह,बर खदान देवरीखुर्द में इनके द्वारा संस्कार शाला चलाया जा रहा है। 7 बच्चो से शुरुवात की संस्कारशाला में अब आने वाले बच्चों की संख्या 346 हो चुकी हैं रंजीता ने बताया की इस सेवा कार्य में उन्हें समाज के परिवार के और उनके मार्ग दर्शकों का भरपूर सहयोग प्राप्त हो रहा है रंजीता ने बताया कि जब नौकरी छोड़ कर इस काम में जुड़ी तो लोग उनकी अवहेलना करते थे लोग उनका मजाक उड़ाते थे मगर दृढ़ इच्छाशक्ति और समाज के लिए समर्पित भाव उनके रगों में बहने लगा था उन्होंने निर्णय लिया कि अब नौकरी छोड़ कर समाज के लिए और नन्हे नन्हे बच्चे जो देश के भावी युवा पीढ़ी, भावी भविष्य बनेंगे उन्हे नशे से मुक्त कर शिक्षा के साथ संस्कारवान बनाना भी बहुत आवश्यक है पर्याप्त साधन ना होने के बावजूद भी समाज के सहयोग से उन्होंने लगातार इस कार्य को आगे बढ़ा रही हैं ज्ञात हो रंजीता पिछले 7 वर्षों से सामाजिक जीवन में है उनके द्वारा अनेकों स्कूलों (सरकारी व गैर सरकारी) में वनांचल क्षेत्रों में ग्रामीण क्षेत्र में जाकर महिलाओं एवं युवतियों को मासिक धर्म के प्रति जागरूक कर उनके मन में बैठे मिथ्या ,समस्या को दूर कर समाधान का उपाय भी बताया साथ ही इन 7 वर्षों में हजारों सेनेटरी नैपकिन का निशुल्क वितरण भी किया है इस 7 वर्ष के दौरान उन्होंने अनेक कन्याओं के विवाह में आर्थिक मदद की और कोरोना काल के दौर में जब लोग अपने परिजनों के अंतिम संस्कार नहीं कर पाते थे ऐसे दौर में समूह बनाकर अनेक मृत व्यक्तियों का अंतिम संस्कार और उस दौरान लकड़ी की कमी होने पर 25 टन से अधिक गौकाष्ठ भी नगर निगम को उपलब्ध कराया था उनके इस पूरे कार्य में उनके पिता जी का और माता जी का भरपूर सहयोग प्राप्त होता है उन्होंने कहा है कि तन समर्पित मन समर्पित जीवन का कण कण समर्पित हैं मातृभूमि तुझे कुछ और भी दूं।

सामाजिक कार्य(1)- 7 वर्षों से मासिक धर्म के प्रति स्कूलों एवं ग्रामीण अंचल की किशोरी बालिकाओं एवं महिलाओं को जागरूक कर रही हैं।
(2) छोटे बच्चों को अच्छा स्पर्श बुरे स्पर्श के प्रति जागरूक कर रही हैं।
(3) आत्मरक्षा के तत्काल सरल तरीके द्वारा जन जागरूकता ला रही हैं।
(4) झुग्गी झोपड़ी क्षेत्र के किशोर किशोरियों को नशा मुक्त बनाने के लिए प्रेरित कर रही हैं।
(5) स्कूली बच्चियों को मासिक धर्म के लिए मिथ्या समस्या समाधान पर उचित परामर्श प्रदान कर रही हैं।
(6) पिछले 12 महीनों से स्लम एरिया झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले भिक्षा मांगने वाले बच्चों को शिक्षा एवं संस्कारवान बना रही हैं । एवं 346 बच्चों को निशुल्क शिक्षा दे रही हैं।
(7) कारोना काल में गौकाष्ठ द्वारा अंतिम संस्कार कराया गया हैं।
(8) प्रसव पीड़ा के दौरान महिला एवं बच्चे की जान बचाया गया हैं।
(9) निर्धन कन्या विवाह में सहयोग किया गया हैं।
(10) निशुल्क सिलाई प्रशिक्षण देकर जरूरतमंद को स्वलम्बी बनाया गया है।
(11)मूक जानवरों एवं गौसेवा किया जाता हैं।
(12)जरूरतमंदों को ठंड से बचने हेतु गर्म कपड़े,कम्बल,शॉल,स्वेटर,मोजा,इत्यादि का वितरण किया जाता हैं।
(13)भीषण गर्मियों से बचने के लिए पक्षियों के लिए सकोरा वितरण कर लोगो पक्षियों के दाना पानी देने के लिए जागरूक किया जाता हैं।

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