पशुओं के लिए पौष्टिक हरा चारा उपलब्ध कराने, 45 गौठानों के 114 एकड़ में चारागाह विकास,साढ़े 3 हजार क्विंटल से अधिक हरे चारे का उत्पादन
बिलासपुर – किसानों के फसल को चराई से बचाने और गौठान में आने वाले पशुओं को पौष्टिक हरा चारा उपलब्ध कराने के लिए जिले के 45 गौठानों के 114 एकड़ क्षेत्र में चारागाह विकास किया गया है। इन चारागाहों में गत वर्ष साढ़े 3 हजार क्विंटल से अधिक हरे चारे का उत्पादन किया गया। जिससे लगभग 4 हजार 900 पशुओं को पौष्टिक चारा उपलब्ध हुआ। इन चारागाहों में साढ़े 9 लाख नैपियर घास रूट उपलब्ध है। जिसे अन्य चारागाहों में रोपित किया जा रहा है। वर्तमान में 40 और चारागाहों में पौष्टिक चारे के रोपण का कार्य प्रगति पर है।
छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, घुरवा एवं बाड़ी के तहत जिले के 135 गौठानों में चारागाह विकास स्वीकृत किया गया है। योजना अंतर्गत गौठानों के परिसर अथवा उससे लगी हुई भूमि आरक्षित कर राष्ट्र्रीय पशुधन मिशन एवं मनरेगा के तहत चारागाह का निर्माण किया जा रहा है। चारागाह हेतु आरक्षित भूमि को तार या बाड़ा से फेंसिंग कर संरक्षित किया जा रहा है तथा सिंचाई की सुविधा भी उपलब्ध कराई जा रही है।
संयुक्त संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं बिलासपुर से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले के बिल्हा विकासखण्ड में संचालित 9 गौठानों में 72 एकड़ भूमि चारागाह के लिए आरक्षित की गई है। जिसमें गत वर्ष में 27 एकड़ में चारागाह विकास कर 908 क्विंटल नैपियर घास का उत्पादन किया गया। इसी तरह कोटा के 11 गौठानों में 57 एकड़ भूमि चारागाह के लिए आरक्षित की गई है। जिसमें 35.5 एकड़ चारागाह विकास किया गया है। जिसमें गत वर्ष 264 क्विंटल चारा उत्पादन कर पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था की गई। मस्तूरी विकासखण्ड में 16 गौठानों के 68 एकड़ में चारागाह विकास किया जाएगा। गत वर्ष 28 एकड़ में 120 क्विंटल चारा उत्पादन कर प्रतिदिन लगभग 500 पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था की गई।
तखतपुर विकासखण्ड के 9 ग्रामों में 52 एकड़ रकबा चारागाह के लिए आरक्षित किया गया है। जिसमें से 23.5 एकड़ में 432 क्विंटल नैपियर घास उत्पादन कर प्रतिदिन औसत 664 पशुओं के लिए चारा उपलब्ध कराया गया।