आईआईटी मद्रास की मेज़बानी में स्पिक मैके का 9वां अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन……20-26 मई 2024 तक होगा आयोजन…..एक सप्ताह चलने वाले भारतीय संस्कृति के इस महाकुंभ में पूरे भारत के 1,500 से अधिक विद्यार्थी और वॉलेंटियर आएंगे और दुनिया देखेगी भारतीय संस्कृति, विरासत और नैतिकता का नायाब नज़रिया

चेन्नई–भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (आईआईटी मद्रास) सोसायटी फॉर द प्रमोशन ऑफ इंडियन क्लासिकल म्यूजिक एंड कल्चर अमंगस्ट् यूथ (स्पिक मैके) के 9वें वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन की मेजबानी करेगा। आयोजन 20 से 26 मई 2024 तक चलेगा। संस्थान पहले भी दो बार 1996 और 2014 में यह आयोजन कर चुका है। एक सप्ताह के इस भारतीय संस्कृतिक महोत्सव में भारत और दुनिया के 1,500 से अधिक छात्र और वॉलेंटियर एकत्र होंगे। प्रतिभागियों को महान कलाकारों के साथ बात करते हुए भारतीय संस्कृति, विरासत और नैतिकता का अद्भुत नज़रिया मिलेगा।

इस कन्वेंशन में स्कूल और कॉलेज के सिर्फ वे विद्यार्थी भाग लेंगे जिन्होंने कार्यक्रम में रजिस्ट्रेशन कराया है। उनके आवास और भोजन का निःशुल्क प्रबंध किया जाएगा। वे पूरे एक सप्ताह भारत की सर्वात्तम शास्त्रीय कलाओं के पूर्ण गौरव का प्रत्मक्ष अनुभव प्राप्त करेंगे।

आयोजन के प्रति उत्साहित आईआईटी मद्रास के निदेशक प्रोफेसर वी. कामकोटि ने कहा, “संस्कृति किसी देश की असली बुनियाद होती है। हमें भी पूरे भारत की विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों पर गर्व है। स्पिक मैके उन सभी के संग हमारे आईआईटी मद्रास कैम्पस में आ रहा है। मुझे आयोजन का बेसब्री से इंतज़ार है।

स्पिक मैके न्यूज़लेटर मई 2024 अंक, जो 9वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन पर केंद्रित है, आप निम्मलिखित लिंक के माध्यम से देख और डाउनलोड कर सकते हैं

https://drive.google.com/file/d/1SYuB1IRjWOdBFOoQ3fE_Re8dFp5alznm/view? usp=sharing

आयोजन के बारे में संस्थान के डीन (विद्यार्थी) प्रो. सत्यनारायण एन. गुम्मदी ने कहा, “आईआईटी मद्रास तीसरी बार स्पैिक मैके कार्यक्रम का सह-आयोजन कर रहा है। फैकल्ट्री, यूजी, पीजी के विद्यार्थी और रिसर्च स्कॉलर कुल मिला कर लगभग 150 और इससे भी अधिक लोगों की टीम इस आयोजन को सफल बनाने में लगी है। यह आईआईटी मद्रास समुदाय के लिए एक सप्ताह तक शानदार सांस्कृतिक उत्सव का आनंद लेने का अवसर होगा।

इस सम्मेलन में शास्त्रीय संगीत और नृत्य संगीत कार्यक्रम, लोक कला प्रदर्शन, शिल्प कार्यशालाएं और फिल्मों की स्क्रीनिंग से लेकर हेरिटेज वॉक, श्रमदान, सुबह-सवेरे योगा के कार्यक्रम होंगे और संपूर्ण आहार का आनंद मिलेगा। स्पिक मैके के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री राधा मोहन तिवारी ने ने इस वर्ष के सम्मेलन की विशिष्टताएं बताते हुए कहा, “एक युवा

आंदोलन के रूप में स्पिक मैके के सफर का 47 वां वर्ष पूरा हो रहा है। इसमें आईआईटी मद्रास की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही है। हम आईआईटी मद्रास और अन्य समर्थकों की मदद से सभी प्रतिभागियों को आवास से लेकर भोजन और फिर कार्यशालाओं में भागीदारी तक सब कुछ निःशुल्क उपलब्ध कराने में सक्षम हैं। हम पूरे भारत से आने वाले लगभग 1300 प्रतिभागियों में से प्रत्येक को हर दिन एक कला सीखने और भारत के शीर्ष कलाकारों की प्रस्तुति का अनुभव करने का अवसर देंगे। मुझे विश्वास है कि यह कन्वेंशन अपना उद्देश्य पूरा करने में सफल रहेगा और युवाओं के जीवन में सार्थक बदलाव लाएगा।” बुनियादी आधार हैं-

इस सिलसिले में स्पिक मैके की वाइस चेयरपर्सन सुश्री सुमन डूंगा ने कहा, “स्पिक मैके के चार कलाकार, संस्थान, प्रायोजक और वॉलेंटियर। हमारे अभियान में आईआईटी मद्रास जैसे प्रतिष्ठित संस्थान ने बुनियादी भूमिका निभाई है। यह उन संस्थानों में शामिल है जहां एक जीवंत सांस्कृतिक परिवेश दिखता है और यह शास्त्रीय संगीत और नृत्य के कई कार्यक्रमों की मेज़बानी करता है। आईआईटीएम के सहयोग से यह आयोजन कर हम बेहद खुश हैं और हम चाहते हैं कि यह संबंध इसी तरह बना रहे।

इस आयोजन का मकसद नई पीढ़ी को आश्रम जैसा अद्भुत परिवेश देकर उन्हें विरासत के बारे में संवदेनशील बनाना है। इसमें स्पिक मैके के बुनियादी मूल्य की गंज सुनाई देती है जो प्रत्येक बच्चे को देश-दुनिया से प्रेरणा लेने और मिस्टिसिज्ज्म का अनुभव करने का अवसर देना है। स्पिक मैके 2030 तक हर बच्चे तक पहुंचने के लक्ष्य से अग्रसर है। इस सम्मेलन का मुख्य सपोर्टर टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज है और यह स्पिक मैके का अग्रणी आयोजन है जो हर साल देश के किसी विशिष्ट शैक्षिक संस्थान में होता है।

हर साल की तरह इस सम्मेलन में भी पूरे देश के कुछ बेहतरीन और सर्वश्रेष्ठ कलाकार शामिल होंगे। सम्मेलन में हरि प्रसाद चौरसिया (हिन्दुस्तानी बांसुरी), उस्ताद अमजद अली खान (सरोद), विदु. पद्मा सुब्रह्मण्यम (भरतनाट्यम), विदु. सुधा रगुनाथन (कर्नाटक गायन), विदु. शेषमपट्टी टी. शिवलिंगम (नादस्वरम), विदुषी ए. कन्माकुमारी (कर्नाटक वायलिन), पं. उल्हास कशालकर (हिन्दुस्तानी गायन), पं. एम. वेंकटेश कुमार (हिंदुस्तानी गायन), उस्ताद शाहिद परवेज़ खान (सितार), विदुषी सुनयना हजारीलाल (कथक) उस्ताद वासिफुद्दीन (ध्रुपद), विद. जयंती कुमारेश (सरस्वती वीणा), विद. अश्विनी भिड़े देशपांडे (हिंदुस्तानी गायन), श्री मार्गी मधु चव्यार (कुडियाट्टम) और विद्वान लालगुडी जीजेआर कृष्णन (कर्नाटक वायलिन) जैसे गणमान्स कलाकारों की प्रस्तुति होगी। सम्मेलन में पांच दिनों की कार्यशाला भी होगी। इसमें कई प्रख्यात कलाकारों और शिल्पकारों की भागीदारी होगी जैसे

विद्वान नेवेली संथानगोपालन का कर्नाटक गायन, डॉ. अलंकार सिंह की गुरबानी, गुरु गोपीराम बुरहा भक्त की प्रस्तुति सत्रिया, विदुषी सुनयना हजारीलाल की कथक प्रस्तुति, डॉ नीना प्रसाद की प्रस्तुति मोहिनीअट्टम, विदुषी माधवी मुद्गल की ओडिसी प्रस्तुति, खुमुकचम रोमेंद्रो सिंह की प्रस्तुति पुंग चोलोम, श्री तारापद रजक की प्रस्तुति पुरुलिया छाऊ, स्वामी त्यागराजानंद सरस्वती की प्रस्तुति हठ योग, सुदीप गुप्ता की प्रस्तुति कठपुतली, उस्ताद वासिफुद्दीन डागर की प्रस्तुति धुरपद। कई अन्य शिल्प प्रस्तुतियां भी होंगी जैसे श्री अशोक कुमार विश्वास की टिकुली पेंटिंग (बिहार), श्री भज्जू श्याम की गोंड आदिवासी पेंटिंग (मध्य प्रदेश), जनाब शाकिर अली की मुगल लघु चित्रकला (राजस्थान), जनाब अब्दुल गफूर खत्री की रोगन कला (गुजरात), श्री हेमचंद्र की प्रस्तुति मास्क मेकिंग (माजुली असम), श्री वीके मुनुसामी कीटेराकोटा (तमिलनाडु) कला प्रस्तुति।

स्पिक मैके का परिचय

स्पिक मैके भारतीय शास्त्रीय संगीत, नृत्य और संस्कृति के अन्य पहलुओं जैसे लोक कला, ध्यान, योग, सिनेमा स्क्रीनिंग, विशिष्ट व्यक्तियों से बातचीत, विरासत भ्रमण और विश्वविद्यालय एवं स्कूली छात्रों के लिए शिल्प कार्यशालाओं को बढ़ावा देने लिए कार्यरत 47 साल पुराना संगठन है। इस गैर-राजनीतिक, गैर-आर्थिक लाभ संगठन के संचालन में वॉलेंटियरों की अहम भूमिका रही है। संगठन की कोशिश किशोरों और युवाओं की औपचारिक शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लक्ष्म से उन्हें भारतीय विरासत के विभिन्न पहलुओं के बारे में अधिक जागरूक करना और अंतर्निहित भारतीय मूल्यों को अपनाने के लिए प्रेरित करना है। स्पिक मैके के वॉलेंटियर हर साल भारत और विदेशों के 100 शहरों में लगभग 5000 कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। महामारी के दौरान स्पिक मैके ने 1000 कार्यक्रमों का ऑनलाइन आयोजन किया।

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आईआईटी मद्रास का परचिय

भारत सरकार ने ‘राष्ट्रीय महत्व के संस्थान’ के रूप में 1959 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (आईआईटीएम) की स्थापना की। संस्थान के 18 शिक्षा विभागों और कई आधुनिक अंतः विषय अनुसंधान शिक्षा केंद्रों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों में शिक्षा-शोध कार्य किए जाते हैं। यहां विभिन्न विशेषज्ञताओं में बी.टेक., एम.एससी., एम.बी.ए., एम.टेक., एम. एस. और पीएच.डी. डिग्री के लिए अंडरग्रैजुएट और पोस्ट् ग्रैजुएट प्रोग्राम हैं। आईआईटीएम एक आवासीय संस्थान है जिसमें 600 से अधिक फैकल्टी और 9,500 विद्यार्थी हैं। यहां 18 देशों के विद्यार्थी पढ़ते हैं। आईआईटीएम एक सशक्त करिकुलर सहायता और आईआईटीएम इनक्यूबेशन सेल के माध्यम से उद्यमी बनने का माहौल देता है।

आईआईटीएम को 2019 में विशिष्ट संस्थान (आईओई) का दर्जा दिया गया। संस्थान भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी राष्ट्रीय संस्थान रैंकिंग फ्रेमवर्क की भारतीय रैंकिंग 2023 में लगातार पांचवें वर्ष ‘ओवरऑल’ कैटेगरी में नंबर 1 स्थान पर रहा है। इसी रैंकिंग में संस्थान 2016 से 2023 तक लगातार आठ वर्षों से ‘इंजीनियरिंग संस्थान’ कैटेगरी में नंबर 1 स्थान पर रहा है। सन् 2019, 2020 और 2021 की अटल रैंकिंग ऑफ इंस्टीट्यूशंस ऑन इनोवेटिव एचीवमेंट्स (एआरआईआईए) में यह ‘टॉप इनोवेटिव इंस्टीट्यूट’ घोषित किया गया। एआरआईआईए रैंकिंग की शुरुआत शिक्षा मंत्रालय के इनोवेशन सेल ने की थी।

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