हर हर महादेव के जयकारे से गूंज उठा शहर के देवालय…..जगह जगह हुए भंडारे का आयोजन…परंपरागत लगा चांटीडीह में मेला

बिलासपुर–महाशिवरात्रि का पर्व पूरे देश भर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। ऐसे में देश भर के शिवालयों में शिव भक्तों के बीच खासा उत्साह देखने को मिलता है। बिलासपुर के चांटीडीह में भी एक ऐसा प्राचीन मंदिर है। जहां भगवान शिव के दर्शन करने लोग दूर-दूर से पहुंचते हैं। बिलासपुर शहर में जब भी महाशिवरात्रि की बात होती है। तो चांटीडीह के मेले का जिक्र जरूर होता है। बीते 100 साल से भी अधिक समय से यहां शिव मंदिर के पास महाशिवरात्रि के पर्व पर तीन दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है।

जिसमें न सिर्फ पूरे शहर बल्कि आसपास के इलाकों से भी लोग पहुंचते हैं। और भगवान शिव के दर्शन के साथ मेले का आनंद लेते हैं।

यहां स्थित शिवालय ने शहर के 100 साल के इतिहास को देखा है। और शहर की 3 पीढ़ियों ने इस मंदिर और यहां के शिवरात्रि मेले की भव्यता को देखा है। सन 1933 में यहां स्थित मंदिर का निर्माण शुरू किया गया था। जिसे इसी क्षेत्र के रहने वाले मंगली प्रसाद सोनी ने बनवाया। दरअसल वो चारों धाम के तीर्थ यात्रा में गए थे। वहां से लौटने के बाद उन्होंने शहर में कई मंदिरों का निर्माण कराया। जिसमें यह मंदिर भी शामिल है। मंदिर बनवाने के बाद उन्होंने स्थानीय व्यापारियों से बातचीत करके यहां मिले की शुरुआत भी की थी। जो परंपरा आज तक चली आ रही है। मंगली प्रसाद के बाद परिवार के सदस्य ही इस मंदिर की देखरेख का काम करते आ रहे हैं।

शहर के चांटीडीह इलाके में स्थित इस मंदिर में साल भर भक्त आते रहते हैं। लेकिन सावन के महीने में और शिवरात्रि के अवसर पर यहां भक्तों का तांता लगा रहता है।

शिव भक्त बड़ी दूर-दूर से इस शिवालय में भगवान शिव के दर्शन करने के लिए आते हैं। लोगों की मान्यता है कि यहां जल चढ़ाकर मांगी हुई हुई हर मुराद पूरी होती है।

वही महाशिवरात्रि के अवसर पर जगह जगह भंडारे का आयोजन भी किया।इसके साथ साथ भव्य बारात भी बैंड बाजे के साथ आतिश बाजी करते निकाली गई।इस बारात में भगवान शिव के साथ कई आकर्षक झांकियां निकाली गई।

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