मिशन अस्पताल भवन को निगम ने घोषित किया जर्जर…. नोटिस चस्पा कर प्रवेश में लगा रोक….बुधवार की शाम नोटिस भी चस्पा…कब्जाधारी नहीं हटाए जा सके….प्रशासन का कब्जा होने के बाद भी इस जगह के लिए कार्ययोजना नहीं बन सकी…..

बिलासपुर–मिशन अस्पताल परिसर की दो बड़े भवनों को जिला प्रशासन ने भयप्रद घोषित कर दिया है। इसका मतलब है कि यह दोनों भवन खंडहर और जीर्ण शीर्ण अवस्था में है। इन दोनों जगहों पर प्रवेश करना खतरनाक माना गया है और प्रशासन ने इस आशय का नोटिस भी बुधवार को दोनों बिल्डिंगों में चस्पा किया गया है। इसमें एक ‌‌भवन वह है जिसमें मुख्य अस्पताल संचालित हैं।वही दूसरा उसके पीछे हैं, जिसमें संडे स्कूल लगता है और नर्सिंग कोर्स का कार्यालय है।

प्रशासन ने चेतावनी दी है कि बिना अनुमति इस परिसर में कोई भी प्रवेश ना करे। दरअसल लंबी न्यायालीन प्रक्रिया के जूझकर जिला प्रशासन ने मिशन अस्पताल परिसर को कब्जे में तो ले लिया है, लेकिन अभी भी यहां मरीजों की ओपीडी लग रही है तो डाक्टरों के इंतजार में मरीज बैठते हैं। इसके साथ ही परिसर में कई जगहों पर कब्जाधारी मौजूद हैं। पूरे परिसर को अपने कब्जे में लेने का दावा करने वाला प्रशासन इन कब्जाधारियों को हटा नहीं सका है।

मिशन अस्पताल की ग्यारह एकड़ जमीन पिछले एक माह से जिला प्रशासन के कब्जे में है। 30 अक्टूबर को कमिश्नर न्यायालय ने जिला प्रशासन के पक्ष में फैसला सुनाया और लीज समाप्त होने पर भूमि के अधिग्रहण को सही ठहराते हुए लीजधारकों की अपील निरस्त कर दी। इसके बाद 4 नवंबर को प्रशासन ने नोटिस चस्पा कर चांटापारा शीट नं 14 के प्लाट नंबर 20/1 और 21 क्रमश: 382711 व 40500 वर्गफीट जमीन को प्रशासन ने कब्जे में ले लिया था। इसके बाद लेकिन कुछ नहीं हो पाया था। उम्मीद थी कि जिला प्रशासन इस जगह का शहर के लिए बेहतर जनहित उपयोग कर सकेगा लेकिन अभी तक तो कोई योजना बनते नहीं दिख रही है। हालांकि बुधवार की शाम निगम और जिला प्रशासन की टीम मिशन अस्पताल कैंपस पहुंची और दो बिल्डिगों को भयप्रद घोषित किया गया है। इसके बाद इस कैंपस और बिल्डिंगों में बिना अनुमति प्रवेश निशेष कर दिया गया है।

मेडिकल स्टोर चल रहा, डाक्टर भी बैठ रहे

जिला प्रशासन के अपने कब्जे में लेने के बाद भी यहां मिशन अस्पताल पहले की तरह संचालित हो रहा है। डाक्टर भी अपने चेंबर में बैठ रहे हैं और बकायदा ओपीडी लगाई जा रही है। प्रशासन को इसकी जानकारी भी है और कुछ लोगों ने इसकी शिकायत भी की थी लेकिन ध्यान नहीं दिया जा रहा था। इसके साथ ही कैंपस में संचालित मेडिकल पहले की तरह रोजाना सुबह से शाम तक खुलता है। यहां लोग भी दवाई लेने के लिए पहुंचते है। दरअसल यहां की ओपीडी में जो प्रिस्किप्शन लिखा जाता है उसमें से अधिकांश दवाई इसी मेडिकल स्टोर में मिलती है।

एक पूरी बिल्डिंग को किराए पर दे दिया

परिसर में अभी भी सालों से रह रहे परिवार पहले की तरह ही रह रहे हैं, प्रशासन की ओर से विस्थापन की प्रक्रिया नहीं की गई है। ऐसे में कब्जाधारी अब भी काबिज है। इसके साथ ही मुख्य अस्पताल के पीछे एक लाल रंग की बिल्डिंग है। करीब डेढ़ साल पहले यहां संडे स्कूल लगाने के साथ ही नर्सिंग कालेज का आफिस भी खोला गया था। विधायक निधि से जनरेटर, एसी और दूसरी व्यवस्थाएं की गईं थीं। लीज निरस्त होने के बाद जिला प्रशासन ने इसे अपने कब्जे में लिया तो यह दोनों स्कूल और आफिस बंद हो गए। प्रशासन ने इसके बाद ध्यान नहीं दिया और इस पूरी बिल्डिंग के हरेक कमरे को किराए पर दे दिया गया है। यहां 15-20 लोग किराए पर रह भी रहे हैं।

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