निष्पक्ष फैसला नहीं किया चुनाव अधिकारी ने अब हमें जनता से उम्मीद– सुरेश सिदारा

बिलासपुर–पूज्य सिंधी सेंट्रल पंचायत के होने जा रहे आम चुनाव में तीन उम्मीदवार खड़े है।जिसमें पहले उम्मीदवार सुरेश सिदारा ने कुछ आपत्तियां दर्ज कराई थी।

इनमें प्रमुख आपत्ति है सिंधी पंचायत कश्यप कॉलोनी की वोटर लिस्ट जो नियम के अनुसार जितने घर है उसके 10 परसेंट नाम होने चाहिए।कश्यप कॉलोनी के अध्यक्ष जगदीश जगियासी ने पहले 12 नामों की लिस्ट भेजी बाद में उसे बदलकर 30 नामों की लिस्ट भेजी गई।इसी बात पर उम्मीदवार ने आपत्ति दर्ज कराई
की कश्यप कॉलोनी में 300 घर नहीं है किस आधार पर 30 लोगो की लिस्ट भेजी है यह जानकारी दी जाए
चुनाव अधिकारी ने उसका जवाब 15 जुलाई को दोपहर 1:30 दिया जबकि नियम से चुनाव अधिकारी को 14 तारीख को रात्रि ताकि इसका फैसला कर देना चाहिए था उन्हें पता था कि आज शनिवार है सरकारी छुट्टी है और रविवार को वोटिंग है इसलिए उम्मीदवार कहीं दूसरी जगह ना जा सके सुरेश का कहना है कि चुनाव अधिकारी ने निष्पक्ष भूमिका नहीं निभाई है नियम से तो उनकी वोटर लिस्ट कैंसिल की जानी चाहिए और 10 लोगों की लिस्ट आई फाइनल करना चाहिए था हमर संगवारी के प्रधान संपादक विजय दुसेजा ने भी चुनाव अधिकारी से बातचीत की और पूछा कि किस आधार पर आपने कश्यप कॉलोनी पंचायत की 30 नामों की वोटर लिस्ट को वेरीफाई किया है उन्होंने कहा कि हमने अध्यक्ष से बातचीत की अध्यक्ष को बुलाया अध्यक्ष ने खुद कहा कि 30 नामों वाले लिस्ट सही है गलत नहीं है जब पत्रकार ने पूछा कि क्या आपने कश्यप कॉलोनी में जाकर देखें की 300 घर है कि नहीं या आपने जो मध्ययान पर्ची पंचायत के द्वारा काटी जाती है उनके सामने लाई गई चुनाव अधिकारी ने कहा ऐसा कुछ नहीं हुआ और हमने अध्यक्ष के मौखिक जवाब को ही ओके कर दिया पत्रकार ने कहा
कि अगर कोई दूसरे वार्ड पंचायत का अध्यक्ष आपको 50 नामों की लिस्ट दे देंगे तो क्या आप उसे भी ओके कर देंगे
नियम से चुनाव स्थगित किया जाना था और 15 वार्ड पंचायतों की वोटर लिस्ट को फिर से वेरीफाई करते तब तक चुनाव 1 माह के लिए स्थगित किया जाता और जब 15 वार्ड पंचायतों की वोटर लिस्ट फिर से वेरीफाई हो जाती उसके बाद दावा आपत्ति या मंगाई जाती ताकि कोई भी इस चुनाव प्रतिक्रिया में पर आपत्ति न कर सके वह निष्पक्ष चुनाव नहीं हुआ है ऐसा ना बोल सके आपने ऐसा कुछ भी नही किया चुनाव अधिकारी ने कहा हमने ऐसा कुछ नहीं किया तो इससे साफ पता चलता है कि चुनाव अधिकारी ने निष्पक्ष फैसला नहीं किया है बल्कि एक पक्ष में फैसला किया है चुनाव अधिकारी भी शक के घेरे में आ जाते हैं निश्चित हो गया है 16 जुलाई को चुनाव होगा और जनता की अदालत तय करेगी सच और झूठ का फैसला इस फैसले से समाज में एक गलत संदेश गया है

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