अधर में लटका विद्यार्थियों का भविष्य, हजारों शिक्षकों को अब तक नही मिला ज्वाइनिंग…..संभागीय कार्यालय में हुआ जमकर हंगामा.….

बिलासपुर–बिलासपुर संभाग के लगभग हज़ारों शिक्षकों को राज्य शासन के अनदेखी रवैया के कारण मानसिक और आर्थिक रूप से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है । स्कूल में हज़ारों शिक्षकों के ना होने से विद्यार्थियों का भविष्य भी दांव पर लगा हुआ है । जिनके लिए सभी शिक्षक अब सड़कों पर उतारने को मजबूर हैं।पिछले पांच सालों में प्रमोशन के बाद नई जगहों पर पोस्टिंग के मामले में शिक्षकों को हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली थी । जिसके तहत शिक्षक अब संशोधित आदेश के अनुसार स्कूलों में ज्वॉइन करना था जो अब तक नही हुआ, जिसके कारण सभी शिक्षक परेशान हैं।दरअसल, 3 नवंबर को दिए गए हाई कोर्ट के आंदेश की गलत व्याख्या करते हुए शिक्षा विभाग ने आदेश जारी किए थे, जिसे चुनौती दी गई थी। राज्य सरकार ने सहायक शिक्षक से शिक्षक और शिक्षक से प्रधान पाठक प्रमोशन की प्रक्रिया अप्रैल मई में शुरू की थी। काउंसिलिंग के बाद प्रमोशन की प्रक्रिया हुई थी। इस दौरान पोस्टिंग में कई शिक्षकों को दूरदराज एवं अन्य जिलों में पोस्टिंग दे दी गई थी। पोस्टिंग से असंतुष्ट हजारों शिक्षकों ने संशोधन के लिए आवेदन किया था। संयुक्त संचालक ने सभी के आवेदन पर विचार करते हुए निकट के शाला में पोस्टिंग दी। इसी बीच 4 सितंबर को सचिव स्कूल शिक्षा विभाग की तरफ से शिक्षकों की नई पोस्टिंग को निरस्त करते हुए एकतरफा शिक्षकों को संशोधित स्कूलों से कार्यमुक्त कर दिया गया। इस फैसले के खिलाफ शिक्षकों ने हाई कोर्ट में याचिका प्रस्तुत की। 11 सितंबर को हुई सुनवाई में हाई कोर्ट ने यथास्थिति का आदेश दिया। इस आदेश से पिछली पोस्टिंग के तहत ज्वॉइन करने का आदेश था ।हाई कोर्ट के फैसले में पिछली पोस्टिंग याने स्कूलों में जॉइन करने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन इस शब्द को लेकर विभाग की तरफ से ऐसी व्याख्या की गई जिसमें यह कहा गया कि पिछली पोस्टिंग का मतलब संशोधित स्कूल नहीं बल्कि पदोन्नति के बाद हुई पहली पोस्टिंग है।इस मामले में 3 नवंबर को हाईकोर्ट ने अंतिम निर्णय दिया, जिसमें राज्य सरकार को याचिकाकर्ताओं के अभ्यावेदनों का 45 दिनों के भीतर निराकरण करने के निर्देश दिए गए थे। इस मामले को लेकर बिलासपुर संभाग के लगभग 900 शिक्षक आज शुक्रवार की सुबह संयुक्त संचालक शिक्षा विभाग बिलासपुर पहुँचे थे लेकिन वहां के अधिकारी आर पी आदित्य अपने ऑफिस का ताला लगा कर कहीं चले गए।

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