परशुराम ब्राम्हण समाज के तत्वाधान में एक सो दो बच्चे का सामूहिक उपनयन संस्कार संपन्न
बिलासपुर-बिलासपुर के खाटू श्याम बाबा मंदिर परिसर में परशुराम ब्राह्मण समिति के तत्वाधान में गुरुवार 5 मई को ब्राह्मण बच्चों का उपनयन संस्कार कार्यक्रम आयोजित किया गया था।
जिसमे एक सौ दो बच्चे ने इस कार्यक्रम में शामिल होकर विधि विधान और मंत्रों उच्चारण के साथ अपना उपनयन कराया।इस कार्यक्रम में सुबह से ही बटुक अपने परिवार और रिश्तेदारों के साथ बड़ी संख्या में पहुँच कर इस कार्यक्रम का मान बढ़ाया।वही मंत्रोच्चार के साथ कार्यक्रम प्रारंभ किया गया
नगर विधायक भी पहुँचे-
कार्यक्रम की शुरुआत होते ही नगर विधायक शैलेश पांडेय उपनयन कार्यक्रम में शामिल हुए और आचार्य पंडितों से भेंट कर उनका आशीर्वाद लिया और उसके बाद इस कार्यक्रम की सराहना करते हुए सामुहिक उपनयन संस्कार में आये बटुक से मुलाकात कर उनके परिवारों वालो के साथ कुछ पल रहे।
इस कार्यक्रम के आयोजनकर्ता ओम प्रकाश पांडेय ने बताया की यह उपनयन कार्यक्रम निशुल्क रखा जाता है।जिसमे सात वर्ष की उम्र के बाद बच्चे का उपनयन कार्य कराया जाता है।
यह कार्यक्रम परशुराम ब्राह्मण समाज के तत्वाधान में किया जाता है।जिसमे पांच पंडित की उपस्थिति में समस्त बच्चो का पूरे विधि विधान और मंत्रों के साथ सामूहिक रुप से उपनयन कार्य किया जाता है।
इस पूरे कार्यक्रम में परशुराम ब्राह्मण समाज के तरफ से भोजन पानी नाई बेंड बाजा और उपनयन संस्कार में आये बच्चो के लिए नए वस्त्र के साथ खड़ाऊ की व्यवस्था भी की गई है।
समिति का उद्देश्य है कि ब्राह्मण बच्चे किसी कारण वश अपना उपनयन संस्कार नही करा पाते और एक बड़ी उम्र में बच्चे पहुँच जाते है।जो शास्त्र के अनुसार गलत है।इसलिए ब्राह्मण बच्चे अपने धर्म कर्म को पहचाने और सोलह संस्कार में से एक उपनयन संस्कार है भी उससे भी भली भांति परिचित होकर उसके नियमो का पालन करने के लिए अग्रसर रहे है।साथ ही साथ इस उपनयन संस्कार के महत्व को भी जाने उसकी शक्तियों को जाने।इस उपनयन में जो जनेऊ धारण किया जाता है।
वह तीन धागों से बना हुआ जो पहले मातृपिता का ऋण,दूसरा गुरु ऋण तीसरा वह परमेश्वर वह देव जिसने इस संसार का निर्माण किया और जिसने हमे यहाँ लाया है।यह ऋण के उस बालक और बटुक को यह याद दिलाता है कि मातृपिता की सेवा करनी है।गुरु आचार्य का सम्मान करना है।और उस परमपिता परमेश्वर की उपासना करनी है जिसने इस लोक का निर्माण कर हमें इस लोक में स्थान दिया।
बटुकों की बारात भी निकाली गई
जैसे जैसे उपनयन कार्यक्रम की शुरुआत हुई और परम्परा के अनुसार रस्म होती गई।सम्पूर्ण रस्म के बाद समस्त बटुक बच्चो नए वस्त्र धारण कर बैंड बाजे की धुन में एक पंक्ति में क्रमबद्ध बारात के रूप में कार्यक्रम स्थल से निकल गोल बाजार स्थित मां भगवती मंदिर की और अग्रसर हुए।जहाँ पर इन बटुक बच्चो के ऊपर फूल से स्वागत किया गया।
साथ इनकी माताएं और बहने भी शामिल होकर बेंड की धुन में नाचते हुए आंनद लेते हुए मंदिर पहुँचे और वहाँ माता का दर्शन कर वापस कार्यक्रम स्थल आकर इस कार्यक्रम का समापन किया गया।लेकिन जैसे ही कार्यक्रम स्थल में पहुँचे थे कि बेंड की धुन में वहाँ पर उपस्थित माताएं और बहने जमकर नाच करते हुए इस पल को एक यादगार पल में बदल दिया।इस कार्यक्रम को सफल बनाने में श्रीमती रेखा पांडेय,शिल्पी तिवारी,मीरा दुबे,रश्मि शुक्ला,लता शर्मा,नंदनी दुबे,पुष्प दुबे,सुलेखा शर्मा,स्वेता अवस्थी,गौरी शुक्ला,गायत्री प्रसाद पांडेय,डॉक्टर रजनीश पांडेय,निर्मल झा,विनय शर्मा,अन्नू शुक्ला, राजा अवस्थी आदि बड़ी संख्या में ब्राह्मण समाज के लोगों का योगदान रहा।