नंबर के खेल में कौन है खिलाड़ी? मोटरसाइकिल और ट्रेक्टर का एक ही नंबर…..निगम कार्य में लगी गाड़ी का नंबर और मोटरसाइकिल का एक ही नंबर….
बिलासपुर–छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर की सड़को में दौड़ने वाली गाड़ियों के नंबर पर एक नजर डालेंगे तो आपको एक ही नंबर की अलग अलग गाड़ियां नजर आ जायेगी।ऐसा हम इसलिए कह रहे की शहर की एक बड़ी संस्था जहा पर उस संस्था में कार्य के लगी गाड़ी का नंबर और मोटरसाइकिल का नंबर एक ही है।जिसको देखने के बाद कोई बड़ा खेल खेला जा रहा है।जिसकी जानकारी होने पर भी इस पर पर्दा डला हुआ है।ऐसा लगता है की नगर निगम में एक गजब का खेल चल रहा है।बाइक के नंबर पर निगम का ट्रेक्टर न्यायधानी की सड़को पर सरपट दौड़ रहा है।एक ही नंबर की दो गाड़ियों का सच सामने आने के बाद से ही निगम में हड़कंप मचा हुआ है।
यूं तो आर टी ओ द्वारा वाहनों के लिए जारी नंबर के महत्व को हर कोई जानता है… नंबरों के साथ ही समय समय पर मोटर व्हीकल एक्ट में ऐसे प्रावधान किए जाते है ताकि कोई गलती न कर सके…. लेकिन गाहे बगाहे ऐसी बड़ी लापरवाही सामने आ जाती है जो कई तरह के सवाल तो खड़े करती ही है…. सरकारी व्यवस्थाओं को भी कठघरे में खड़ा करती है…. मामला एक नंबर के सहारे दो वाहनों का सड़को पर दौड़ना…. सबसे खास बात ये कि जिस वाहन का नंबर हम आपको बताने जा रहे है… यानी जान बूझकर ऐसा किया गया या फिर लापरवाही या फिर गलती…. या जांच का विषय हो सकता है लेकिन सबसे खास बात ये वाहन सरकारी काम में लगा हुआ है… और सरकारी नुमाइंदों ने भी ये जानना जरूरी नहीं समझा कि वाहन में अंकित नंबर सही है या गलत इसकी जांच कर ले…
दरअसल बिलासपुर में स्मार्ट सिटी योजना के तहत हुए अनुबंध में कचरा उठाने के लिए दिल्ली की कंपनी लाइन सर्विसेस के द्वारा इसे बिलासपुर में किराए पर लगाया गया है… ट्रेक्टर का नंबर है P B 12(T) 7723… ये नंबर एक ट्रेक्टर को तो जारी किया ही गया है… यही नंबर बाइक में भी है…. अब जरा ट्रेक्टर और बाइक में लिखे गए कथित तौर पर उस नंबर को तस्वीरों में देखिए….
अब जरा उसी नंबर को आप भी एप में डालकर देखिए… आपको भी वही जानकारी मिलेगी।इस नंबर को प्रमोद कुमार जो कि सुपरवाइजर है जब उनके द्वारा भी ट्रेक्टर के नम्बर को अपनी साइड में डाला तो उसमे भी नंबर बाइक का निकला… यहां तक कि प्रदूषण जांच की वेबसाइट में यह नंबर बाइक का ही दिखा रहा है …बता दे कि जो ट्रेक्टर कचरा ढुलाई के लिए दिल्ली की कंपनी ने स्मार्ट सिटी योजना के तहत अनुबंध कर कचरा उठने के लिए रखा हुआ है और लाखो रू का भुगतान किया जाता है एक ही नंबर की दो गाड़ियां एक टैक्टर और एक बाइक चल रही है।
अब तक कंपनी को ट्रेक्टर के इस फर्जी नंबर पर लाखो रुपए का भुगतान नगर निगम बिलासपुर कंपनी को कर चुकी है।लेकिन आज तक जिम्मेदारों ने कभी नंबर की जांच करना भी मुनासिब नहीं समझा। वैसे तो साढ़े तीन सौ करोड़ की लागत से बिलासपुर के चौक चौराहों पर तीसरी आंख लगाई गई है… उस आंख की नजर भी धोखा खा गई… चूंकि सरकारी सेवा में ट्रेक्टर लगा हुआ है तो आर टी ओ ने भी आखें मूंद ली… अब जब इतना कुछ है तो जाहिर है बीमा कंपनी ने भी जरूरी नहीं समझा होगा नंबर की जांच करना… या तो फिर वाहन का बीमा ही नही होगा… यानी लापरवाही की चादर पर सभी ने नजारे फेर ली… सवाल ये कि अगर ट्रेक्टर से कोई एकसीडेट हो जाए या हो गया तो चालक का क्लेम बनेगा या नहीं इस पर सवाल है..लेकिन वेबसाइट में नंबर के बारे में आ रही इस जानकारी से साफ है कि कही तो कुछ गडबड है…. और ये जांच का विषय भी है… ट्रेफिक डी एस पी संजय साहू से जब इस बारे में बात की गई तो उनका कहना था कि ऐसे मामले में एफ आई आर दर्ज होती है….
खैर हर विभाग अपनी नियमावली का चार्ट थामे ये जरूर कह रहा है कि ये गलत है… पर सवाल ये कि कार्यवाही किस पर ??? और कब होगी?????
गौरतलब है कि गुरुवार को आयोजित बिलासपुर नगर निगम की सामान्य सभा की बैठक में सफाई में भ्रष्टाचार का मुद्दा की गूंज सुनाई दी थी और सत्ता के साथ विपक्ष के पार्षदों ने एक जुट होकर दिल्ली के सफाई कंपनी लायन की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए और कंपनी पर अनियमितता का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया था और निगम प्रबंधन द्वारा करोड़ों रु के भुगतान पर सवाल खड़े किए थे .?
फिलहाल एक ही नंबर के दो वाहन का सच क्या है ये तो जांच का विषय है? लेकिन तस्वीर साफ साफ दिखा रही है की ट्रेक्टर और बाइक का नम्बर और सीरीज एक ही है।अब किस वाहन को नम्बर फर्जी तरीके से लगा कर सड़कों पर दौड़ाया जा रहा है इस खुलासे से निगम के जिम्मेदार अधिकारियों और फर्जी वाहन मालिकों की मुश्किलें बढ़ना तय माना जा रहा है।जरूरत है की पुलिस प्रशासन और नगर निगम इस मामले की गंभीरता से जांच करे और दोषियों के खिलाफ कानून के हिसाब से मामला दर्ज करवाए।