दाल में कुछ काला तो नहीं:- दलाल ने कहा 5 गाडियां निकली थी.. जांच अधिकारी ने कहा सीसीटीवी बंद था.. वार्डवासी और वार्ड पार्षद ने कहा..
जिसके बाद दूसरे दिन खाद्य विभाग की टीम गुरु घासीदास नगर में स्थित दुकान पर गई थी.. आज मीडिया से बात करते हुए ए.एफ.ओ राजेश शर्मा ने बताया कि.. दुकान में लगा सीसीटीवी उस दिन बंद था.. साथ में साथ ही जांच में उन्होंने पाया कि.. उस दुकान में निर्धारित से कई क्विंटल अधिक चावल जमा है.. चावल के साथ साथ शक्कर और केरोसिन की मात्रा भी निर्धारित से कम थी.. भारी अनियमितता के बीच दुकान पर कार्रवाई की प्रक्रिया चल रही है.. इसी विषय में जानकारी लेने आज वार्ड क्रमांक 21 की पार्षद सीमा धृतेश अपने वार्ड वासियों के साथ खाद्य विभाग पहुंची थी.. अधिकारियों से बात करने के बाद सीमा ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि.. भाजपा सरकार के शासनकाल में वार्ड की जनता के राशन को इसी तरह पूर्व भाजपा पार्षद के रिश्तेदार एवं सेल्समैन द्वारा बेचकर अपना जेब भर लेता था.. हर बार मौके से मौखिक शिकायत पर कार्रवाई के बजाय खाद्य निरीक्षक द्वारा दुकानदार से सेटिंग कर ली जाती थी.. इसलिए पुलिस की सहायता से पीडीएस के चावल की अफरा तफरी करने वाले लोगों को पकड़ा गया.. बहरहाल खाद्य अधिकारी इस मामले पर कड़ी कार्रवाई करने की बात कहते नजर आ रहे हैं.. पर पूरे मामले पर नजर डाले तो कई सवाल ऐसे हैं जिनका जवाब अभी मिलना बाकी है.. शुक्रवार को जैसे ही पुलिस ने चावल से भरे ऑटो को पकड़ा तो शहर में एक और सेल्समैन के रिश्तेदार जिसे पूरे मामले का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है.. उसने एक वीडियो में कबूल किया राशन दुकान से 5 गाड़ियां चावल की निकली थी.. लेकिन एक ही पकड़ाई अब सवाल उठना लाजमी है कि.. विभाग के नाक के नीचे से गरीबों के हक का राशन बेचा जा रहा है तो क्या इसकी भनक खाद्य निरीक्षक को नहीं थी..? और अगर खाद्य निरीक्षक की लापरवाही से अगर गरीबों का हक मारा जा रहा है तो क्या ऐसे मामलों में उनकी भी जिम्मेदारी तय की जाएगी.. और अगर खाद्य निरीक्षक की जिम्मेदारी को वार्डवासियों को उठाना पड़े और खाद्य विभाग को छोड़कर पुलिस को खबर देकर कार्रवाई करानी पड़े तो क्या उनकी पदस्थापना सही है..