लोफ़ंदी गए भूल छतौना में हुए मशगूल…. झूठी वाहवाही में प्रभारी आबकारी अधिकारी और उनका अमला….पुलिस विभाग से सहयोग लेने में आखिर आबकारी विभाग क्यों कर रहा परहेज…?

बिलासपुर–हाईप्रोफाइल शराब तस्करी का मामला सामने आने के बाद से यह बात तो साफ हो गई।बिलासपुर क्षेत्र में बड़े पैमाने में दीगर राज्यों से यहां पर अवैध शरब का कारोबार बड़ी अच्छे से फल फुल रहा है।अभी हाल में ही हरियाणा राज्य की शराब के मामले में कार्रवाई की गई थी।इस कार्रवाई में जिले के आबकारी अमले ने काफी वाहवाही बटोरी थी। लेकिन इस कार्रवाई में भी इनका जरा सा भी योगदान नहीं था।अवैध शराब को लेकर अब तक जितनी भी कार्रवाई की जा रही है।उन सब के पीछे रायपुर आबकारी उड़नदस्ता का हाथ है।इनके सूचना तंत्र से बाकायदा यहां पर छापामार कार्रवाई कर अवैध शराब के जखीरा को पकड़कर जिले के आबकारी अमला को सौंपा जा रहा है।

बीते दो दिन पहले भी सवा करोड़ के लगभग अवैध अंग्रेजी शराब के मामले में जिले के आबकारी अमला का कोई योगदान नहीं होने की बात निकलकर सामने आ रही है।इस पूरी कार्रवाई में बिलासपुर आबकारी उड़नदस्ता और रायपुर आबकारी उड़नदस्ता की अहम भूमिका सामने आई।आपको बताते चले कि इस पूरी कार्रवाई में प्रभारी आबकारी अधिकारी और इनके अमले ने जिस प्रकार हाईप्रोफाइल शराब के मामले को लेकर खुलासा किया और मीडिया के माध्यम से वाहवाही बटोरी गई।उसके पीछे कोई ओर ही है।खुलासे में यह बताया गया कि संयुक्त रूप से कार्रवाई की गई।जबकि इसके उलट इस कार्रवाई में जिले के आबकारी अमले को भनक तक नहीं लगी।इनके क्षेत्र में अंग्रेजी शराब की इतनी बड़ी खेप आ गई और इसे यहां खपाया जाना है।एक कंटेनर अवैध शराब निकाय चुनाव के मतदान के ठीक एक दिन पहले सुबह से बिलासपुर में पहुंच गई।सुबह से माल आने के बाद इसको खपाने के लिए रेट तय करने का सिलसिला चलता रहा।अंततः लेनदेन की रकम तय होने के बाद रकम का आदान प्रदान भी किया गया।शुरुवाती में दस पेटी शराब लेने और शराब की कीमत का भुगतान भी दो लाख अस्सी हजार रुपए के लगभग कर दिया गया।

इसी बीच बिलासपुर आबकारी उड़नदस्ता को मुखबिर से सूचना मिली और आबकारी उड़नदस्ता के अधिकारी मौके पर पहुंचकर फर्जी परमिट और शराब से भरी कंटेनर के साथ वाहन चालक और डिलेवरी ब्वॉय को पकड़कर सीधे रायपुर सचिवालय में इनकी फोटो और वीडियो सहित समस्त जानकारी दे गई। सूचना के बाद रायपुर आबकारी उड़नदस्ता सीधे बिलासपुर कुच कर मौके पर पहुंचकर पूरे मामले की तप्तीश में जुट गई थी।जब उड़नदस्ता टीम अपनी जांच में पुख्ता हो गई यह अवैध रूप से लाई गई शराब है।इसे छत्तीसगढ़ में खपाने लाया गया।तब फिर उड़नदस्ता की टीम रायपुर सचिवालय के निर्देश में जिले के आबकारी विभाग को लाकर सौंपा गया।इनके सौंपने के बाद प्रभारी अधिकारी का आबकारी अमला पूरी कार्रवाई का सिरमौर बनते हुए अपने सर में ताज पहनने में लग गया।इनकी इस हरकत से एक प्रचलित कहावत चरितार्थ होती हुई नजर आ रही है।।मेहनत करे मुर्गी और अंडा खाए फकीर।। खैर ये इनके विभाग का मसला है।लेकिन इस खुलासे के बाद कई राज निकल कर सामने आ रहे है।जिनको अब तक आबकारी विभाग सुलझा नहीं पा रहा है।इस पूरे घटनाक्रम में कई नामचीन और अंतर्राज्यीय सौदागर शामिल है।जिसको लेकर अभी तक संशय की स्थिति बनी हुई है।इनके तार कहा से कहा तक जुड़े है कड़ी डर कड़ी को सुलझाने में कोई खास सफलता अभी तक आबकारी विभाग को नहीं मिली है।इस हाईप्रोफाइल मामले में पुलिस से भी सहयोग नहीं लिया जा रहा है।कही या मामला वाहवाही तक का था।या आगे भी कुछ पता चलेगा।

पुलिस के सहयोग से परहेज क्यों?

अवैध शराब के इतने बड़े जखीरा के सामने आने के बाद आबकारी विभाग पुलिस से किसी प्रकार का सहयोग नहीं मांगा।जबकि इस पूरे मामले में पुलिस के सहयोग से कई राज बाहर आ सकते है।कही राज बाहर आने से आबकारी विभाग की कार्यशैली को लेकर सवालिया निशान तो नहीं लग जाएंगे।इसलिए आबकारी विभाग पुलिस से परहेज कर रहा है।एक बात साफ है यदि समय रहते इस हाई प्रोफाइल मामले को पुलिस अपने अधिकारी क्षेत्र में लेकर जांच की कार्रवाई आगे बढ़ाती है तो शराब के इस अवैध कारोबार में कई चेहरे बेनकाब होंगे जो इसमें शामिल होकर अवैध नशे के कारोबार को चला रहे है।

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