
स्मार्ट सिटी और निगम क्षेत्र का अंतिम कोना……शहर का एक क्षेत्र विकास के नाम पर कचरा से पट रहा….. नगर निगम का सफाई ड्रामा…. साफ जगहों पर एक्शन…… गंदगी वाले क्षेत्र की जनता का हाल बेहाल…..
बिलासपुर– एक ओर नगर निगम स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर शहर में सजावट और सतर्कता का दिखावा कर रहा है, तो वहीं दूसरी ओर मंगला-धुरीपारा जैसे घनी आबादी वाले क्षेत्र की हालत दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है। तकरीबन 30,000 लोगों की आबादी वाला यह इलाका आज नगर निगम की लापरवाही का शिकार है, जहां रोजाना शहर भर का कचरा डंप किया जा रहा है।मंगला धुरीपारा और आसपास के इलाके कचरे और गंदगी के अड्डे बन चुके हैं। यहां की सड़कों पर चलना भी दूभर हो गया है। न केवल स्थानीय लोग, बल्कि राहगीर भी बदबू और गंदगी से परेशान होकर नाक-भौं सिकोड़ते गुजरने को मजबूर हैं।नगर निगम साफ-सफाई की तस्वीर पेश करने के लिए उन इलाकों में सफाई अभियान चला रहा है, जो पहले से ही साफ हैं। वहीं असली समस्या वाले इलाकों को नजरअंदाज किया जा रहा है। इससे नगर निगम की प्राथमिकताओं पर सवाल उठने लगे हैं।जब मंगला-धुरीपारा क्षेत्र को नगर निगम सीमा में जोड़ा गया था, तो लोगों को उम्मीद थी कि उन्हें भी शहर जैसी सुविधाएं मिलेंगी—24 घंटे सफाई, पक्की सड़कें और नियमित कचरा संग्रहण। लेकिन अब हालात पहले से बदतर हो चुके हैं। नगर निगम को चाहिए कि वह केवल दिखावे की जगह असली समस्याओं की ओर ध्यान दे और मंगला-धुरीपारा क्षेत्र को कचरा डंपिंग जोन बनने से बचाए।वही इस मामले में निगम प्रशासन का कहना है कि वहां से कचरा हटा दिया गया है।उस जगह में कचरा नहीं डाला जा रहा है।लेकिन उस जगह में खाली पड़े गड्ढों को भरने के लिए शहर से निकलने वाले मलबा यानी सीएंडडी वेस्ट को गिराया जा रहा हैं।यदि इसकी आड़ में कोई घरेलू या अपशिष्ट कचरा फेंकते हुआ पाया जाता हैंतो उसके खिलाफ कार्रवाई कर जुर्माना लगाया जाएगा।भले ही निगम लाख दावा कर ले लेकिन जमीनी हकीकत तो कुछ और बयां कर रही है।अब देखना यह होगा कि निगम प्रशासन यहां डंप किए जा रहे कचरा और उससे निकलने वाली बदबू से आम जनता को कब तक निजात दिला पाती है।