पूर्व प्रभारी ईओडब्ल्यू और आईपीएस के खिलाफ थाने में मामला हुआ दर्ज
छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार पकड़ने वाले अफसरों पर ही भ्रष्टाचार को लेकर एफआईआर दर्ज हो गई है। आरोप है कि ईओडब्ल्यू के पूर्व प्रभारी और एक आईपीएस अफसर ने कूटरचित दस्तावेज के आधार पर एक शासकीय ठेकेदार के घर छापा मारा और गहने, नगदी सहित अन्य सामान जब्त कर ले गए।कोर्ट के आदेश पर सात माह बाद सिविल लाइन थाना पुलिस ने दर्ज किया मामला,दिसंबर 2014 में हुई थी कार्रवाई, कैश, गहने सहित अन्य सामान किया था जब्त,छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार रोकने वाले अफसरों पर ही करप्शन को लेकर एफआईआर दर्ज की गई है। आरोप है कि ईओडब्ल्यू के पूर्व प्रभारी और एक आईपीएस अफसर ने फर्जी दस्तावेज के आधार पर एक शासकीय ठेकेदार के घर छापा मारा और गहने, नगदी सहित अन्य सामान जब्त कर ले गए। कोर्ट के आदेश के 7 माह बाद बिलासपुर की सिविल लाइन थाना पुलिस ने मामला दर्ज किया है। लेकिन मजे की बात पूरे वाकये में ये है कि सिविल लाइन पुलिस ने गम्भीर धाराओ के तहत मामला तो दर्ज कर लिया है म लेकिन अभी भी आरोपियों के नाम सार्वजनिक करने से घबरा रही है । जिसको लेकर मीडिया और समाज मे पुलिस के इस रवैये को लेकर खासा बाजार गर्म है ।जानकारी के मुताबिक, साकेत एक्सटेंशन बिल्डिंग, अग्रसेन चौक निवासी पवन अग्रवाल शासकीय ए श्रेणी के ठेकेदार हैं। जबकि उनके भाई आलोक अग्रवाल जल संसाधन विभाग में एग्जिक्यूटिव इंजीनियर हैं। पवन अग्रवाल का कहना है कि उन्होंने अपने भाई के कार्यक्षेत्र में कोई भी काम नहीं किया है। पवन के घर में दिसंबर 2014 को एसीबी टीम ने सर्च वारंट के साथ छापा मारा।जिस एफआईआर पर सर्चिंग की गई, वह एसीबी में दर्ज ही नहीं पवन का आरोप है कि सर्च वारंट में एफआई आर नंबर नहीं दर्ज था। अफसरों ने सर्चिंग के दौरान उनकी निजी संपत्ति, पत्नी की संपत्ति, सोने-चांदी के गहने और नगदी जब्त कर लिए। सर्च वारंट में उनके भाई आलोक के खिलाफ दर्ज मामले में कार्रवाई किए जाने का उल्लेख था। वहीं एसीबी ने जिस एफआईआर के तहत सर्चिंग की, वह उनके थाने में दर्ज ही नहीं है। इसके लिए फर्जी दस्तावेज बनाए गए।आपराधिक षड्यंत्र रचने, धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं में मामला दर्ज,इस मामले को लेकर पवन अग्रवाल मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट में गए थे। जिस पर सीजीएम कोर्ट ने मार्च 2020 में सिविल लाइन थाने को एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई के निर्देश दिए थे। बावजूद इसके सात महीने तक मामला लटका रहा। इसके बाद रविवार रात पुलिस ने ईओडब्ल्यू और एसीबी के अफसरों पर मामला दर्ज कर लिया। उन पर आपराधिक षड्यंत्र रचने,धोखाधड़ी, सहित अन्य धाराएं लगाई गई हैं।
हम आपको बतादे की बिलासपुर में भी राजस्व विभाग के कई पटवारियों और अधिकारियों के अलावा शासकीय अधिकारियों का काला चिट्ठा एसीबी के पास पहुच चुका है और वही भी पूरी चल अचल संपत्ति के ब्यौरे के साथ । सूत्र बताते है कि अभी कुछ दिन पहले ही विवादित पटवारी से एन्टी करप्शन ब्यूरो ने घण्टो पूछताछ भी की है । जांच और पूछताछ का यह सिलसिला महीनों से चल रहा है लेकिन अभी तक किसी के खिलाफ कोई मामला दर्ज नही हो सका है । अब देखना होगा कि ऐसे धन कुबेरों का कब काला चिट्ठा खोल कर विभाग कार्यवाही करता है और कब शासकीय पदों का दुरपुयोग कर अपने नाम और रिशेतेदारो के नाम पर दर्ज इन बेनामी सम्पतियों को जप्त करता है ।