प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के दाहोद में 24,000 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न विकास परियोजनाओं का शिलान्यास,उद्घाटन और लोकार्पण किया…..140 करोड़ भारतीय एक विकसित भारत के निर्माण में एकजुट हैं–प्रधानमंत्री…. हमारे देश की प्रगति के लिए हमें जो कुछ भी चाहिए, वह यहीं, भारत में ही बनना चाहिए–प्रधानमंत्री…..पिछले 11 वर्षों में जनजातीय समाज के विकास के लिए अभूतपूर्व प्रयास किए गए हैं– प्रधानमंत्री…..ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं है, यह हम भारतीयों के मूल्यों और भावनाओं की अभिव्यक्ति है–प्रधानमंत्री…..

बिलासपुर–प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को गुजरात के दाहोद में 24,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली कई विकास परियोजनाओं का शिलान्यास, उद्घाटन और राष्ट्र को समर्पित किया। उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि 26 मई का दिन विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इसी दिन उन्होंने 2014 में पहली बार प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। उन्होंने गुजरात के लोगों के अटूट समर्थन और आशीर्वाद को स्वीकार किया।जिन्होंने उन्हें देश का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी सौंपी। प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि इस विश्वास और प्रोत्साहन ने दिन-रात देश की सेवा के लिए उनके समर्पण को बढ़ावा दिया है। पिछले कुछ वर्षों में भारत ने ऐसे अभूतपूर्व और अकल्पनीय निर्णय लिए हैं, जो दशकों पुरानी बाधाओं से मुक्त हैं और हर क्षेत्र में आगे बढ़े हैं। उन्होंने कहा, “आज देश निराशा और अंधकार के युग से निकलकर आत्मविश्वास और आशावाद के नए युग में प्रवेश कर चुका है।

श्री मोदी ने कहा, “140 करोड़ भारतीय एक विकसित भारत के निर्माण में एकजुट हैं।” उन्होंने भारत के भीतर आवश्यक वस्तुओं के विनिर्माण के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि आत्मनिर्भरता समय की मांग है। उन्होंने कहा कि भारत वैश्विक विनिर्माण क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है और घरेलू उत्पादन और निर्यात दोनों में लगातार वृद्धि हो रही है। भारत अब स्मार्टफोन, ऑटोमोबाइल, खिलौने, रक्षा उपकरण और दवाओं सहित कई तरह के उत्पादों का निर्यात कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत न केवल रेल और मेट्रो तकनीक का विनिर्माण कर रहा है, बल्कि इसे वैश्विक स्तर पर निर्यात भी कर रहा है। इस प्रगति का एक प्रमुख उदाहरण दाहोद, जहां हजारों करोड़ रुपये की प्रमुख परियोजनाओं का उद्घाटन और शुभारंभ किया गया, को बताते हुए श्री मोदी ने दाहोद इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव फैक्ट्री को एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में रेखांकित किया। उन्होंने तीन वर्ष पूर्व इसकी आधारशिला रखने को याद किया और गर्वपूर्वक कहा कि अब पहला इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव सफलतापूर्वक विनिर्मित किया गया है। उन्होंने लोकोमोटिव को झंडी दिखाकर रवाना किया, जो गुजरात और पूरे देश के लिए गौरव का क्षण था। इसके अतिरिक्त, उन्होंने घोषणा की कि गुजरात ने अपने रेलवे नेटवर्क का 100 प्रतिशत विद्युतीकरण हासिल कर लिया है। उन्होंने इसे एक उल्लेखनीय उपलब्धि बताया और इसके लिए गुजरात के लोगों को बधाई दी।

दाहोद के साथ अपने लंबे समय से चले आ रहे संबंधों और इस क्षेत्र से जुड़ी कई यादों का स्मरण करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वे दशकों से दाहोद आते रहे हैं और अपने शुरुआती वर्षों में वे अक्सर साइकिल से इस क्षेत्र का भ्रमण करते थे। उन्होंने रेखांकित किया कि इन अनुभवों से उन्हें दाहोद की चुनौतियों और संभावनाओं दोनों को समझने का अवसर प्राप्त हुआ। मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद भी वे कई बार इस क्षेत्र का दौरा करते रहे और इसके मुद्दों को हल करने के लिए निर्णायक कदम उठाए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दाहोद में हर विकास पहल से उन्हें अपार संतुष्टि मिलती है और आज का दिन उनके लिए एक और सार्थक दिन है।

पिछले 10-11 वर्षों में भारत के रेलवे क्षेत्र के त्वरित विकास को रेखांकित करते हुए, श्री मोदी ने मेट्रो सेवाओं के विस्तार और सेमी-हाई-स्पीड ट्रेनों की शुरुआत पर जोर दिया।जिससे पूरे देश में कनेक्टिविटी रूपांतरित हो रही है। उन्होंने कहा कि वंदे भारत ट्रेनें अब लगभग 70 रूटों पर चल रही हैं, जो भारत के परिवहन नेटवर्क को और सुदृढ़ बनाती हैं। उन्होंने अहमदाबाद और वेरावल के बीच एक नई वंदे भारत एक्सप्रेस की शुरुआत की घोषणा की। श्री मोदी ने यह भी कहा कि भारत में आधुनिक ट्रेनों का उदय देश की प्रौद्योगिकी में प्रगति की वजह से है। उन्होंने जोर देकर कहा कि कोच और इंजन अब घरेलू स्तर पर विनिर्मित होते हैं, जिससे आयात पर निर्भरता कम होती है। श्री मोदी ने कहा, “भारत रेलवे उपकरणों के एक प्रमुख निर्यातक के रूप में उभरा है।” उन्होंने कहा कि भारत ऑस्ट्रेलिया को मेट्रो कोच और इंग्लैंड, सऊदी अरब और फ्रांस को ट्रेन कोच निर्यात करता है। उन्होंने कहा कि मैक्सिको, स्पेन, जर्मनी और इटली भी भारत से रेलवे से संबंधित कंपोनेंट आयात करते हैं। श्री मोदी ने यह भी कहा कि भारतीय यात्री कोच मोजाम्बिक और श्रीलंका में उपयोग में लाए जा रहे हैं और ‘मेड इन इंडिया’ इंजनों को कई देशों में निर्यात किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह ‘मेक इन इंडिया’ पहल के निरंतर विस्तार को दर्शाता है तथा राष्ट्रीय गौरव को मजबूत करता है।एक मजबूत रेलवे नेटवर्क सुविधाएं बढ़ाता है और उद्योगों तथा कृषि को बढ़ावा देता है।” उन्होंने रेखांकित किया कि भारत के कई क्षेत्रों में पिछले दशक में पहली बार रेलवे कनेक्टिविटी मिली है। उन्होंने कहा कि गुजरात के कई क्षेत्रों में पहले केवल छोटी, धीमी गति वाली ट्रेनें थीं, लेकिन अब कई नैरो-गेज मार्गों का विस्तार किया गया है। दाहोद और वलसाड के बीच नई एक्सप्रेस ट्रेन सहित कई रेलवे मार्गों के उद्घाटन, जिससे जनजातीय क्षेत्र को बहुत लाभ होगा, की घोषणा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कारखाने युवाओं के लिए व्यापक स्तर पर रोजगार के अवसर पैदा करते हैं। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि दाहोद की रेल फैक्ट्री 9,000 हॉर्स पावर के इंजनों का विनिर्माण करेगी, जिससे भारत की रेलगाड़ियों की क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि दाहोद में बनने वाले हर इंजन पर शहर का नाम अंकित होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि आने वाले वर्षों में सैकड़ों इंजन बनाए जाएंगे, जिससे स्थानीय युवाओं के लिए पर्याप्त रोजगार पैदा होगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह कारखाना रेलवे के पुर्जे बनाने वाले छोटे उद्योगों को भी समर्थन देगा, जिससे आसपास के क्षेत्रों में आर्थिक विकास होगा। उन्होंने कहा कि रोजगार के अवसर फैक्ट्री से परे भी उपलब्ध हैं, जिससे किसानों, पशुपालकों, दुकानदारों और मजदूरों को लाभ मिलता है तथा व्यापक आर्थिक प्रगति सुनिश्चित होती है।

श्री मोदी ने रेखांकित किया कि गुजरात ने शिक्षा, आईटी, सेमीकंडक्टर और पर्यटन सहित कई क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इसने खुद को विभिन्न उद्योगों में अग्रणी राज्य के रूप में स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि गुजरात में हजारों करोड़ रुपये के निवेश से एक प्रमुख सेमीकंडक्टर प्लांट स्थापित किया जा रहा है, जो वैश्विक सेमीकंडक्टर उद्योग में भारत की स्थिति को और मजबूत करेगा। उन्होंने कहा कि ये पहल गुजरात में लाखों युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा कर रही हैं, जो राज्य की आर्थिक वृद्धि और विकास में योगदान दे रही हैं।

इस बात को रेखांकित करते हुए कि दाहोद, वडोदरा, गोधरा, कलोल और हलोल ने सामूहिक रूप से गुजरात में एक उच्च तकनीक इंजीनियरिंग और विनिर्माण गलियारा स्थापित किया है, प्रधानमंत्री ने कहा कि वडोदरा विमान विनिर्माण में तेजी से आगे बढ़ रहा है और कुछ ही महीने पहले एयरबस असेंबली लाइन का उद्घाटन किया गया है। उन्होंने कहा कि वडोदरा में भारत का पहला गति शक्ति विश्वविद्यालय भी है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सावली में पहले से ही एक प्रमुख रेल-कार विनिर्माण कारखाना है, जबकि दाहोद में अब भारत के सबसे शक्तिशाली इंजनों- 9,000-हॉर्सपावर इंजन का उत्पादन करने वाली एक सुविधा केंद्र है, जो राष्ट्र के लिए गौरव का क्षण है। प्रधानमंत्री ने कहा कि गोधरा, कलोल और हलोल में विनिर्माण इकाइयों, छोटे उद्योगों और एमएसएमई की महत्वपूर्ण उपस्थिति है, जो गुजरात के औद्योगिक विकास में योगदान दे रहे हैं। एक ऐसे भविष्य की कल्पना करते हुए जहां गुजरात का यह क्षेत्र साइकिल और मोटरसाइकिल से लेकर रेलवे इंजन और विमान तक सब कुछ बनाने के लिए जाना जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस तरह का उच्च तकनीक इंजीनियरिंग और विनिर्माण गलियारा वैश्विक स्तर पर दुर्लभ है, जो एक औद्योगिक महाशक्ति के रूप में गुजरात की स्थिति को मजबूत करता है।

नरेन्द्र मोदी ने जोर देकर कहा, “विकसित भारत के निर्माण के लिए जनजातीय क्षेत्रों का विकास आवश्यक है।” उन्होंने रेखांकित किया कि जनजातीय समुदायों के उत्थान के लिए पिछले 11 वर्षों में अभूतपूर्व प्रयास किए गए हैं। उन्होंने कहा कि गुजरात के जनजातीय क्षेत्रों में काम करने के उनके लंबे अनुभव ने राष्ट्रीय स्तर की पहल में योगदान दिया है। श्री मोदी ने उस समय को याद किया जब गुजरात में जनजातीय बच्चों को विज्ञान की पढ़ाई करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता था। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि आज, पूरे जनजातीय क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध है, अच्छे कॉलेज, आईटीआई, मेडिकल कॉलेज और इन समुदायों की सेवा करने वाले दो समर्पित जनजातीय विश्वविद्यालय हैं। उन्होंने कहा कि पिछले 11 वर्षों में एकलव्य मॉडल स्कूलों का नेटवर्क काफी मजबूत हुआ है, जिससे जनजातीय छात्रों के लिए बेहतर शैक्षिक अवसर सुनिश्चित हुए हैं। श्री मोदी ने कहा कि दाहोद में ही कई एकलव्य मॉडल स्कूल हैं, जो जनजातीय शिक्षा को अधिक बढ़ावा दे रहे हैं।

देश भर में जनजातीय समुदायों के विकास के लिए किए जा रहे महत्वपूर्ण प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार जनजातीय गांवों के उत्थान के लिए एक बड़ी योजना शुरू की गई है। उन्होंने कहा कि ‘धरती आबा जनजाति ग्राम उत्कर्ष अभियान’ एक ऐतिहासिक पहल है, जिसके कार्यान्वयन के लिए केंद्र सरकार लगभग 80 हजार करोड़ रुपये का निवेश कर रही है। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत गुजरात सहित देश भर के 60 हजार से अधिक गांवों में विकास कार्य किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर डाला कि इन गांवों को जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए बिजली, पानी, सड़क, स्कूल और अस्पतालों से सुसज्जित किया जा रहा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जनजातीय परिवारों के लिए पक्के घर बनाए जा रहे हैं, जिससे समुदाय के लिए जीवनयापन की बेहतर स्थिति सुनिश्चित हो रही है।

श्री मोदी ने सबसे सीमांत जनजातीय समुदायों के उत्थान के लिए अपनी प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए कहा कि उनकी सरकार उन लोगों को प्राथमिकता देती है जिनकी लंबे समय से अनदेखी की गई है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि पहली बार सरकार ने विशेष रूप से निर्बल जनजातीय समूहों को सहायता देने के लिए पीएम जनमन योजना शुरू की है, जो दशकों से आवश्यक सुविधाओं से वंचित रहे हैं। श्री मोदी ने कहा कि इस योजना के तहत जनजातीय गांवों में नए बुनियादी ढांचे और सुविधाओं का विकास किया जा रहा है और रोजगार के नए अवसर उत्पन्न किए जा रहे हैं, जिससे इन समुदायों के लिए अधिक आर्थिक और सामाजिक समावेश सुनिश्चित हो रहा है।जनजातीय समुदायों को सिकल सेल एनीमिया से मुक्त करने के लिए एक राष्ट्रीय मिशन के शुभारंभ पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि इस पहल के तहत लाखों जनजातीय नागरिक पहले ही जांच करवा चुके हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकार पिछड़े क्षेत्रों के विकास में तेजी लाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि 100 से अधिक जिलों को पहले पिछड़े के रूप में वर्गीकृत किया गया था, जिनमें से कई जनजातीय बहुल क्षेत्र थे। उन्होंने कहा कि दाहोद ऐसा ही एक जिला था, लेकिन आज यह एक आकांक्षी जिले के रूप में प्रगति कर रहा है, जो आधुनिक बुनियादी ढांचे और स्मार्ट सुविधाओं के साथ परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि दक्षिण दाहोद को पानी की भीषण किल्लत का सामना करना पड़ा था, लेकिन अब सैकड़ों किलोमीटर लंबी पाइपलाइनें बिछाई गई हैं, जिससे नर्मदा का पानी हर घर तक पहुंचना सुनिश्चित हुआ है। उन्होंने कहा कि पिछले वर्षों में उमरगाम से अंबाजी तक 11 लाख एकड़ भूमि को सिंचाई से जोड़ा गया है, जिससे जनजातीय समुदायों के लिए खेती करना सुगम हो गया है।

वडोदरा में हजारों महिलाएं, जो राष्ट्र और उसके सशस्त्र बलों का सम्मान करने के लिए एकत्र हुई थीं, उनकी भारी उपस्थिति की सराहना करते हुए श्री मोदी ने भारत की महिलाओं के प्रति उनके अटूट समर्थन के लिए सम्मान और हार्दिक आभार व्यक्त किया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि दाहोद त्याग और समर्पण की भूमि है। उन्होंने स्मरण किया कि महर्षि दधीचि ने सृष्टि की रक्षा के लिए दूधमती नदी के तट पर अपना जीवन त्याग दिया था। श्री मोदी ने यह भी कहा कि इस क्षेत्र ने संकट के समय स्वतंत्रता सेनानी तात्या टोपे का साथ दिया और मानगढ़ धाम गोविंद गुरु और सैकड़ों जनजातीय योद्धाओं द्वारा किए गए बलिदान का प्रतीक है। इस बात पर जोर देते हुए कि भारत के सांस्कृतिक मूल्य अन्याय के कदम उठाने की मांग करते हैं, उन्होंने प्रश्न किया कि क्या जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादी हमले के बाद राष्ट्र चुप रह सकता था। श्री मोदी ने बताया, “ऑपरेशन सिंदूर केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि भारत के मूल्यों और भावनाओं का प्रतिबिंब था।” उन्होंने टिप्पणी की कि आतंकवादियों को अपने कुकृत्यों का कोई अनुमान नहीं था और याद किया कि किस प्रकार बच्चों के सामने उनके पिता की क्रूर हत्या कर दी गई। उन्होंने कहा कि ऐसी तस्वीरें आज भी पूरे देश में आक्रोश पैदा करती हैं, क्योंकि 140 करोड़ भारतीयों को आतंकवाद से चुनौती मिली। श्री मोदी ने घोषणा की कि उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन किया, भारत के सशस्त्र बलों को पूरी आजादी दी, उन्होंने दशकों में एक अभूतपूर्व ऑपरेशन को अंजाम दिया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि सीमा पार नौ प्रमुख आतंकी ठिकानों की पहचान कर 22 मिनट में उन्हें नेस्तनाबूद कर दिया गया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी सेना ने जवाबी कार्रवाई करने का प्रयास किया, लेकिन भारतीय सेना ने उन्हें पूरी तरह से धूल चटा दी। श्री मोदी ने भारत के सशस्त्र बलों की वीरता के प्रति सम्मान जताया और दाहोद की पवित्र भूमि से उनके साहस और समर्पण को सलाम किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि विभाजन के बाद पैदा हुए देश ने भारत के प्रति शत्रुता और नुकसान पहुंचाने पर ध्यान केंद्रित किया है। उन्होंने कहा, “दूसरी ओर, भारत गरीबी उन्मूलन, अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और विकास हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है।” प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि एक विकसित भारत का निर्माण तभी हो सकता है जब उसकी सशस्त्र सेना और अर्थव्यवस्था दोनों मजबूत हों। उन्होंने कहा कि सरकार इस दिशा में लगातार काम कर रही है, ताकि राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक विकास एक साथ हो सके।

दाहोद की अपार संभावनाओं को रेखांकित करते हुए, उन्होंने कहा कि यह आयोजन इसकी क्षमताओं की एक झलक मात्र है। श्री मोदी ने दाहोद के मेहनतकश लोगों पर पूरा भरोसा जताया और इस बात पर जोर दिया कि वे नव विकसित सुविधाओं का सर्वोत्तम उपयोग करेंगे और दाहोद को देश के सबसे विकसित जिलों में से एक बना देंगे। उन्होंने दाहोद के लोगों को एक बार फिर बधाई देते हुए उनके समर्पण और प्रगति के प्रति अपना विश्वास दोहराया।

इस कार्यक्रम में गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्रभाई पटेल, केंद्रीय रेल, सूचना एवं प्रसारण तथा इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

कनेक्टिविटी बढ़ाने और विश्व स्तरीय यात्रा अवसंरचना के निर्माण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप, प्रधानमंत्री ने दाहोद में भारतीय रेलवे के लोकोमोटिव विनिर्माण संयंत्र का उद्घाटन किया। यह संयंत्र घरेलू उद्देश्यों और निर्यात के लिए 9000 एचपी के इलेक्ट्रिक इंजनों का उत्पादन करेगा। उन्होंने संयंत्र से विनिर्मित पहले इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव को भी झंडी दिखाई। ये लोकोमोटिव भारतीय रेलवे की माल ढुलाई क्षमता बढ़ाने में मदद करेंगे। ये लोकोमोटिव रिजेनेरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम से सुसज्जित होंगे और इन्हें ऊर्जा उपभोग को कम करने के लिए डिज़ाइन किया जा रहा है, जो पर्यावरणीय स्थिरता में योगदान देता है।

इसके बाद, प्रधानमंत्री ने दाहोद में 24 हजार करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली कई विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया। इन परियोजनाओं में रेल परियोजनाएं और गुजरात सरकार की विभिन्न परियोजनाएं शामिल हैं। उन्होंने वेरावल और अहमदाबाद के बीच वंदे भारत एक्सप्रेस और वलसाड तथा दाहोद स्टेशनों के बीच एक्सप्रेस ट्रेन को भी झंडी दिख।

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