
अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में प्रसूता की मौत… दो दिन में दो ऑपरेशन, बेड न मिलने से रास्ते में तोड़ा दम…..
अंबिकापुर–छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज के दौरान एक प्रसूता की मौत के बाद परिजनों ने डॉक्टरों पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है। वहीं अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि महिला की हालत बेहद गंभीर थी और उसे बचाने की हर संभव कोशिश की गई।
क्या हुआ था घटनाक्रम?
बलरामपुर जिले के कृष्णनगर निवासी 35 वर्षीय सुनीता सिंह 9 माह की गर्भवती थी। 4 दिसंबर को तबीयत बिगड़ने पर उसे PHC बगड़ा से जिला अस्पताल और फिर अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया।
रात में ऑपरेशन, मां-बेटा बताए गए स्वस्थ
रात लगभग 1:30 बजे डॉक्टरों ने सिजेरियन कर 3.40 किलो के स्वस्थ नवजात को जन्म दिलाया। डॉक्टरों द्वारा उस दौरान मां और बच्चे को सुरक्षित बताया गया।
अगले ही दिन बिगड़ी हालत, निकालना पड़ा गर्भाशय
5 दिसंबर की शाम ऑपरेशन स्थल से अचानक तेज रक्तस्राव होने लगा। जांच के बाद डॉक्टरों ने गर्भाशय ढीला होने और पेट में खून भरने की बात कही। जान बचाने के लिए उसका यूटरस निकाल दिया गया। इसके बाद सुनीता की हालत लगातार गिरती गई।
रायपुर रेफर… लेकिन बेड न मिलने से जिंदगी हार गई
6 दिसंबर को गंभीर स्थिति के चलते उसे रायपुर भेजा गया। मेकाहारा से AIIMS रेफर किया गया, पर वहां बेड उपलब्ध न होने का हवाला देकर भर्ती से मना कर दिया गया। अंबिकापुर वापस लौटते समय रास्ते में सुनीता ने दम तोड़ दिया।
परिवार का आरोप बनाम अस्पताल का पक्ष
परिजनों का कहना है कि पहली ही सर्जरी के दौरान लापरवाही बरती गई, जिससे मां की जान गई।
वहीं गायनिक विभाग के HOD डॉ. अविनाशी कुजूर ने स्पष्ट किया कि— “पहले प्रसव के बाद सब सामान्य था, पर दोबारा अचानक रक्तस्राव होने से स्थिति गंभीर हो गई थी। बेहतर इलाज हेतु रेफर किया गया।”
पोस्टमार्टम के बाद सौंपा गया शव
अस्पताल में पोस्टमार्टम प्रक्रिया के बाद शव परिजनों को सौंपा गया। सुनीता तीन बच्चों की मां थी और चौथा प्रसव उसके लिए जानलेवा साबित हो गया।




