
18 दिन बाद दर्ज हुई एफआईआर…..क्या बिलासपुर पुलिस और कानून-व्यवस्था बनी मज़ाक….
बिलासपुर–मोपका चावला ग्रीन होटल के पास 21 नवंबर 2025 की रात 7:40 बजे हुए सड़क हादसे में 19 वर्षीय प्रवीण भोई की मौत के मामले में सरकंडा पुलिस की लापरवाही साफ तौर पर सामने आ रही है। हादसे में पिकअप CG10 BU 2777 के चालक ने तेज रफ्तार और लापरवाही से मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी थी। जिससे प्रवीण की मौके पर ही मौत हो गई।
चौंकाने वाली बात यह है कि मर्ग, पंचनामा, मेडिकल मेमो 21 और 22 नवंबर को ही तैयार हो गए थे।लेकिन एफआईआर दर्ज की गई 09 दिसंबर 2025 को, यानी पूरे 18 दिन बाद।
अब सीधा सवाल पुलिस प्रशासन से……
क्या मौत जैसे गंभीर मामलों में भी पुलिस इतनी सुस्त हो चुकी है?
क्या अधिकारियों ने कानून व्यवस्था को मज़ाक बना लिया है?
जब घटना स्पष्ट, वाहन नंबर साफ, गवाह मौजूद और जांच पूरी… फिर भी एफआईआर दर्ज करने में इतनी देरी क्यों?
किसके आदेश पर यह लापरवाही हुई?
और क्या इस तरह की देरी अपराधियों को खुली छूट देती है?
यह मामला सिर्फ एक एक्सीडेंट नहीं, बल्कि सिस्टम की सुस्ती का आईना है। बिलासपुर पुलिस को जवाब देना होगा कि 21 नवंबर की घटना की एफआईआर 09 दिसंबर तक क्यों लटकी रही?




