
प्रेस क्लब चुनाव…..रसीदों पर शक के घेरे में नए सदस्य…. हाईकोर्ट के दखल के बाद रजिस्ट्रार ने खारिज की सभी आपत्तियां…
बिलासपुर– बिलासपुर प्रेस क्लब के चुनाव में अपनी सदस्यता बचाने की कोशिश कर रहे पत्रकारों को बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद बुधवार शाम चुनाव अधिकारी और सहायक रजिस्ट्रार ने दावा-आपत्तियों का निराकरण कर दिया। जांच में सदस्यता से जुड़ी रसीदों को संदिग्ध पाया गया, जिसके बाद प्रशासन ने सभी आपत्तियों को सिरे से खारिज कर दिया। अब यह साफ हो गया है कि ये सदस्य फिलहाल चुनावी प्रक्रिया में हिस्सा नहीं ले पाएंगे।
रसीदों के खेल ने बिगाड़ा काम: 2023-24 की एंट्री पर फंसा पेच….
बुधवार की देर शाम चली लंबी सुनवाई और दस्तावेजों की जांच के बाद सहायक रजिस्ट्रार ज्ञान प्रकाश साहू ने अपना फैसला सुनाया। मामले की गहराई में जाने पर सदस्यता अभियान की कुछ बड़ी खामियां सामने आईं।
पुरानी रसीदों का इस्तेमाल….
रजिस्ट्रार ने पाया कि जिन सदस्यों के नाम जोड़ने के लिए दावे किए गए थे, उनकी सदस्यता रसीदें साल 2023-24 की हैं। चुनाव अधिकारी ने इन रसीदों को संदिग्ध माना है।
बैक डेट की आशंका….
प्रशासन को शक है कि ये रसीदें चुनाव को प्रभावित करने के लिए पुरानी तारीखों में काटी गई थीं। रजिस्ट्रार ने स्पष्ट किया कि रसीदों के आधार पर सदस्यता की प्रामाणिकता साबित नहीं होती।
दावा खारिज….
इन्हीं तकनीकी आधारों और रिकॉर्ड में हेराफेरी की आशंका को देखते हुए रजिस्ट्रार फर्म्स एवं संस्थाएं ने सभी आपत्तिकर्ताओं के दावों को अमान्य कर दिया।
हाईकोर्ट के आदेश पर हुई त्वरित कार्रवाई
इससे पहले, बुधवार को ही मामला हाईकोर्ट पहुंचा था। न्यायमूर्ति पार्थ प्रतीम साहू की बेंच ने चुनाव अधिकारी को आदेश दिया था कि आपत्तियों पर कानून के मुताबिक आज ही फैसला लिया जाए। कोर्ट का रुख था कि किसी भी सदस्य का अधिकार नहीं छिनना चाहिए, लेकिन पात्रता की जांच जरूरी है। कोर्ट के इसी सख्त रुख के बाद जिला प्रशासन और चुनाव अधिकारी ने शाम ढलते-ढलते अपनी जांच रिपोर्ट पेश कर दी और सदस्यता के दावों को संदिग्ध मानकर बाहर का रास्ता दिखा दिया।
अंदर की बात: फर्जीवाड़े की गूंज से गरमाया माहौल…..
सूत्रों का कहना है कि प्रेस क्लब के पिछले चुनाव में भी इन्हीं सदस्यों को लेकर विवाद हुआ था। अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जांच के दौरान जब रसीद कट्टों का मिलान किया गया, तो उनमें कई विसंगतियां मिलीं।



