बिलासपुर कांग्रेस में सब ठीक है..? वार्ड में भी चल रही वर्चस्व की लड़ाई..
बिलासपुर- छत्तीसगढ़ सत्ता से 15 साल दूर रहने के बाद भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस ने भाजपा को बड़े अंतर से हराकर सत्ता हासिल की थी.. वहीँ 15 साल तक राज करने वाली रमन सरकार से दिग्गज नेता भी चुनाव में बुरी तरह परास्त हुए थे.. छत्तीसगढ़ की न्याय धानी बिलासपुर शहर की विधानसभा सीट पिछले 20 सालों से अमर अग्रवाल के कब्जे में थी.. लेकिन बदलाव की बयार में पूर्व मंत्री भी उड़ गए थे..
जिसके बाद कांग्रेस में नए नवेले और कई कांग्रेसियों के नजर में पैराशूट नेता वर्तमान विधायक शैलेश पांडेय बड़े अंतर से जीत कर आए थे.. अपने काम के बलबूते शैलेश पांडे ने पैराशूट से अपनी छवि एक सच्चे जनप्रतिनिधि के रूप में बनाई है..
जनादेश मिलने के बाद शैलेश पांडे लगातार बिलासपुर वासियों के बीच उनकी परेशानियों की बहाली के लिए खड़े रहते हैं लेकिन शायद यह खूबी उनकी पार्टी के नेताओं को पसंद नहीं आती है.. इसलिए शुरुआत से ही संगठन के कुछ नेताओं के नज़र में विधायक शैलेश पांडेय चुभते रहे है.. ब्लॉक अध्यक्ष तैयब हुसैन और विधायक शैलेश पांडे के विवाद मामले में पीसीसी ने टीम भेजकर जांच करवाई है लेकिन बिलासपुर कांग्रेस में ऊपर से लेकर नीचे तक वर्चस्व की लड़ाई को साफ देखा जा सकता है इसका जीता जागता उदाहरण है.. वार्ड नंबर 21 गुरु घासीदास नगर इस वार्ड में एक पार्षद है, तो दूसरा मनोनीत पार्षद दोनों के बीच आए दिन किसी न किसी मुद्दे को लेकर घमासान देखने को मिलता है.. मनोनीत पार्षद काशी रात्रि विधायक दल के माने जाते हैं तो वही जनप्रतिनिधि सीमा धृतेश अटल गुट की मानी जाती है चुनाव के समय काशी रात्रे और सीमा के बीच टिकट को लेकर भी काफी संघर्ष हुआ था.. जिसके बाद अंतिम समय में काशी का नाम काटकर सीमा को वार्ड का पार्षद उम्मीदवार बनाया गया था.. सीमा ने वार्ड में जीतकर जनप्रतिनिधि के रूप में शपथ ली थी.. जिसके बाद मनोनीत पार्षदों की लिस्ट में काशी का नाम भी आ गया था.. मनोनीत पार्षदों की लिस्ट आने के बाद भी कांग्रेस में घमासान का दौर देखा गया क्योंकि माना जा रहा था कि.. मनोनीत पार्षदों में विधायक की चली थी और अधिकतर लोग उन्हीं के गुट के थे..
लेकिन जैसे-जैसे समय बढ़ता गया काशी और सीमा के बीच विवाद और गहरा होता गया कई बार कई मुद्दों को लेकर दोनों आमने सामने नजर आते रहे हैं.. पिछले दिनों श्रमिक कार्ड के लिए वार्डवासियों के फॉर्म भरने को लेकर भी दोनों के बीच तकरार नजर आई थी.. इसके बाद एक बार फिर वार्ड में बोर खनन को लेकर दोनों आमने सामने नजर आ रहे हैं.. मिनी बस्ती में हुए बोरिंग सराहना लेने दोनों आपस में भिड़ पड़े थे वही एक बार फिर वार्ड में बोर खनन का काम किया जा रहा है.. जिसमें काशी रात्रे द्वारा भूमि पूजन और काम शुरु करा कर विधायक महोदय का धन्यवाद किया जा रहा है.. तो वहीं सूत्रों की मानें तो बोर खनन की जानकारी सीमा नहीं थी.. लेकिन जैसे ही खबर उनके समर्थकों तक पहुंची तो दोनों के बीच नाराजगी एक बार फिर जग जाहिर होती नजर आ रही है.. बहरहाल कांग्रेसियों की आपसी लड़ाई से बिलासपुर का कितना भला होगा यह तो देखने वाली बात होगी.. लेकिन जिस तरह से सत्ता हासिल होने के बाद कांग्रेस के लोग ही आपस में लड़ रहे हैं कहीं ना कहीं आने वाले समय में भाजपा को इसका फायदा मिलना निश्चित है..