खोदा पहाड़ निकली चुहिया…! 52 लाख का साइबर फ्रॉड और 1 लाख की रिकवरी । बिलासपुर पुलिस की कार्यप्रणाली पर लग रहा है सवालिया निशान ।

बिलासपुर–बिलासपुर में एक साइबर फ्रॉड का मामला सामने आया है।दरअसल एक वर्ष पूर्व सरकंडा थाना क्षेत्र के राजकिशोर निवासी से मोबाईल कंपनी का अधिकारी बनकर मोबाईल फोन के माध्यम से सायबर फ्राड किया गया।

फ्रॉड ने झांसे में लेकर प्रार्थी के बैंक खाते से किस्तों में लाखों रूपए निकाल लिए।ठगे जाने का एहसास होने के बाद इस घटना के बाद थाना सरकंडा थाने में मामला दर्ज किया गया। पुलिस ने अपनी तत्परता दिखाते हुए इस मामले में एक आरोपी को पकड़कर उसे सलाखों के पीछे डाल दिया।लेकिन इस घटना में शामिल और भी लोग थे लेकिन उस वक्त पुलिस इन तक नहीं पहुंच पाई और वह पुलिस की पकड़ से फरार चल रहे थे।लगभग एक वर्ष इस घटना में शामिल कुछ और लोगो की जानकारी पुलिस को लगी और बिलासपुर पुलिस अपनी टीम तैयार कर झारखंड के जामताड़ा में दो दिन तक इन आरोपियों की पतासाजी में जुट गई।

इस दौरान बिलासपुर पुलिस को इसमें सफलता हाथ लगी और इस मामले में और दो लोगो को गिरफ्तार कर हिरासत में बिलासपुर लाया गाय। बिलासपुर पुलिस ने पूरे एक साल बीत जाने पर इस मामले के कुल तीन आरोपियों तक ही पहुंच पाई और इनसे महज एक लाख रुपए की रिकवरी हुई है।गौरतलब हो एक वर्ष पूर्व सरकंडा राजकिशोर निवासी नरेंद्र कुमार स्वर्णकार पिता स्व.श्रीराम नारायण स्वर्णकार उम्र67 वर्ष के साथ उनके बैंक खाते से मोबाइल कंपनी का अधिकारी बनकर केवाईसी और नोटिफीकेशन के नाम पर बैंक के माध्यम से रिचार्ज करवा कर एनी डेस्क ऐप डाउनलोड कराकर बैंक खाते से किस्तों में कुल 52 लाख 93 हजार 699 रूपए की रकम निकाल कर सायबर फ्राड की घटना को अंजाम दे दिया गाया।

लेकिन इस मामले में बिलासपुर पुलिस की कार्रवाई खोदा पहाड़ और निकली चुहिया कहावत को चरितार्थ कर रही है।आप खुद सहज अंदाजा लगा सकते है जिसकी जीवन भर की पूंजी एक झटके में चली जाए और एक लंबे समय के बाद कछुआ गति से चल रही बिलासपुर पुलिस की कार्रवाई के बाद सिर्फ दो आरोपी हाथ लगे। उनसे भी जो रकम बरामद की जा रही है वह महज एक मजाक बनकर रह गया है।लेकिन इन सब से बिलासपुर पुलिस को क्या लेना देना।आरोपी हाथ लग गए,बस उनके लिए उतना ही बहुत है और पुलिस इस कार्रवाई में ही अपने ही हाथों अपना पीठ थपथपा रही है ।

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