रसूखदार उप अभियंता के आगे बड़े बड़े अधिकारी और सरकार हुई नतमस्तक.…… पांच साल से प्रतिनियुक्ति में आए अधिकारी के खिलाफ एक दो नहीं सैकड़ो शिकायत फिर भी नहीं हो रही कार्रवाई……..आखिर किसके सरंक्षण में चल रहा पूरा खेल….?कौन है पर्दे के पीछे?

बिलासपुर–छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बने शानदार एक वर्ष बीत गया।प्रदेश की विष्णु देव सायं सरकार के एक वर्ष पूरे होने पर सुशासन के एक वर्ष स्लोगन के साथ पूरे प्रदेश में मनाया जा रहा है।जबकि सत्ता मे आने से पूर्व विपक्ष में बैठी भारतीय जनता पार्टी भ्रष्टाचार अफसरशाही अनेक ऐसे तमाम मुद्दों को लेकर सत्ता में काबिज कांग्रेस सरकार के खिलाफ लगातार मोर्चा खोलते हुए प्रदेश की सत्ता से बाहर करते हुए खुद सत्ता में काबिज हुई।लेकिन आज पूरे एक वर्ष पूरे हो गए पर जिन मुद्दों को लेकर सत्ता में आई भाजपा,आज उन मुद्दों को भूलकर उन्हीं अफसर और अधिकारियों के हाथों में बागडोर देकर शासन चलाने का दंभ भर रहे है।ऐसा हम इसलिए कह रहे कि बिलासपुर के एक शासकीय दफ्तर में कांग्रेस शासन काल में प्रतिनियुक्ति में आए उप अभियंता आज भी उस विभाग में मौज के साथ जमे हुए है।इस अधिकारी के ऊपर अनुशासन हीनता शासन के दिशा निर्देशों और आचरण अधिनियम की खुले आम माखौल को उड़ाया जा रहा है।उसके बावजूद भी यह अधिकारी अंगत के पांव के समान उस विभाग में बने हुए है।शिकायत की एक लंबी फेहरिस्त होने और शासन से इनके खिलाफ जांच टीम गठित होने के बाद जांच रिपोर्ट तैयार कर इनके खिलाफ आवश्यक कार्रवाई हेतु पत्र लिखे जाने के बाद भी आज तक इन पर कार्रवाई नहीं हो पाई।आपको बताते चले कि बिलासपुर के टी.एन.सी. विभाग में वरिष्ठ योजना सहायक के पद पर पदस्थ मयूर गेमनानी के खिलाफ सैकड़ों शिकायत के बाद भी आज तक उन पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। ज्ञात हो कि मयूर गेमनानी का मूल विभाग जिला पंचायत है तथा उन्हें सन् 2018 में टी.एन. सी.विभाग में प्रतिनियुक्ति किया गया था और जिसकी अवधि दो वर्ष की थी। उसके पश्चात् भी श्री गेमनानी जो कि आज तक इस विभाग में पदस्थ हैं तथा श्री गेमनानी की सैकड़ों शिकायत विभाग में आई है। जिन पर अभी तक कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया है। सत्र 2020 में उनकी शिकायतों के आधार पर उन पर विभागीय जांच हेतु समिति गठित की गयी थी तथा इस समिति के द्वारा जांच होने के बाद उनके कार्य में अनियमितता और अनुशासनहीनता का दोषी पाया गया था और जांच कमेटी ने निर्णय लेते हुए उनको तत्काल प्रभाव से उनके मूल विभाग जिला पंचायत में वापस भेजने हेतु लिखित आदेश भी दिया था। यहां एक बात बताना बेहद लाजिमी हो जाता है कि इतना सब कुछ होने के बावजूद भी सन 2024 में अरपा साडा विभाग के श्री बरुवा के स्थानांतरण कोरबा होने के बाद इस महत्वपूर्ण विभाग का भी शासकीय प्रभार मयूर गेमनानी को दिया गया। नगर तथा ग्राम निवेश विभाग से अरपा साडा विभाग में जाने के लिये संचालक, नगर तथा ग्राम निवेश की अनुमति की आवश्यकता होती है, जो कि मयूर गेमनानी को नहीं दी गयी है। भानुप्रताप पटेल, प्रभारी संयुक्त संचालक के द्वारा गलत तरीके से संचालक की शक्तियों का दुरुपयोग करके मयूर गेमनानी को अरपा साडा का प्रभार दिया गया है। याने इतना सब होने के बाद भी मयूर गेमनानी को एक पद और से नवाजा गया, जो सोचनीय विषय है।

अरपा साडा प्रोजेक्ट का दारोमदार एक ऐसे अधिकारी के जिम्मे सौंप दिया गया है जिसके खिलाफ कई शिकायतें हुई है तथा मयूर गेमनानी की विभागीय जांच के बाद जांच कमेटी ने उन्हें विभाग में अनियमितता एवं अनुशासनहीनता से लिप्त पाया है और उन्हें उनके मूल विभाग में भेजने का आदेश भी दिया जा चुका है। इसके बाद भी आज तक उस अधिकारी पर किसी प्रकार की कोई कार्रवाई न होना अपने आप में संदेहप्रद लगता है। मयूर गेमनानी के द्वारा अपने पद का दुरुपयोग करते हुए कई ऐसे कार्य को भी किया गया है जिनका उल्लेख करना बेहद जटिल है। क्योंकि एक या दो नहीं बहुत सारे ऐसे आदेश पारित किये गये जो नियमों को ताक पर रखकर किए गए है।

बहरहाल इस पूरे मामले में अब देखना यह होगा कि सत्ता में काबिज सुशासन वाली विष्णु देव की भाजपा सरकार इस अधिकारी के ऊपर कार्रवाई को लेकर क्या कदम उठाती है।या इस मामले को ठंडे बस्ते में डालकर अनुशासनहीनता और सिविल सेवा आचरण के विरुद्ध में लिप्त अधिकारी को खुली छूट देती है।

अगले अंक में कुछ और तथ्यों के साथ खुलासा

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