
बिल्हा थानेदार और पूरे थाना स्टाफ ने डरा धमका कर किसान से वसूले 10 हजार ……थाना प्रभारी को अभयदान प्रधान आरक्षक को बनाया बलि का बकरा…..वसूली के पुख्ता सबूत होने के बाद थाना प्रभारी के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने से उच्च अधिकारियों की मंशा पर उठे सवाल …….?
बिलासपुर– जिले के बिल्हा थाना क्षेत्र में पुलिस पर वर्दी की आड़ में एक किसान से डरा धमका कर ब्लैकमेलिंग कर अवैध वसूली करने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। किसान से वसूली थाना प्रभारी उमेश साहू और पूरे थाना स्टाफ ने 10 हजार रु की वसूली की हैरानी की थाना प्रभारी खुद जुए की छापामार कार्यवाही से लेकर थाने में मामला दर्ज होने तक मौजूद रहे। शिकायतकर्ता ने भी बिलासपुर रेंज के आईजी से लेकर एसएसपी रजनेश सिंह के समक्ष थाना प्रभारी उमेश साहू की ब्लैकमेलिंग के कारण के प्रधान आरक्षक बलराम विश्वकर्मा 10 हजार रु देने को मौखिक और लिखित शिकायत भी की है मामले की विभागीय जांच के बाद प्रार्थी ने अपने बयान में भी बिल्हा टी आई को ही इस वसूली के लिए सीधे सीधे जिम्मेदार ठहराया है।
पीड़ित ने च्वाइस सेंटर से नगद पैसा निकालने के भी पुख्ता प्रमाण उच्च अधिकारियों को दिए है किसान ने जानकारी देते हुए बताया कि सब घटना थाने में लगे सीसीटीवी में सबूत के तौर पर रिकॉर्ड भी है। इस गंभीर आरोप के बाद एसएसपी रजनेश सिंह ने तत्परता दिखाते हुए प्रधान आरक्षक बलराम विश्वकर्मा को निलंबित कर विभागीय जांच के आदेश दे दिए हैं। जिसके बाद उच्च अधिकारियों द्वारा सिर्फ प्रधान आरक्षक पर की गई कार्रवाई पर सवाल उठ रहे है।विभागीय सूत्रों से और पीड़ित किसान के अनुसार डरा धमका कर वसूलने वाले थाना प्रभारी पर कानूनी कार्रवाई करने की बजाय प्रधान आरक्षक के खिलाफ कार्रवाई कर उसे बलि का बकरा बना दिया गया है।
ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि जब दूसरों के खिलाफ ब्लैकमेलिंग की शिकायत पर तत्काल बिना जांच के अपराध दर्ज किया जा सकता है तो वहीं पुलिस यदि खुद ग्रामीणों को ब्लैकमेलिंग कर वसूली करे तो उनके खिलाफ अपराध दर्ज करने में गुरेज क्यों .और सबसे बड़ा सवाल है कि कानून के रखवाले ही यदि अपराध करे तो उनपर कार्यवाही कौन करेगा .??
घटना 19 जुलाई की बताई जा रही है, जब बिल्हा पुलिस ने ग्राम केसला स्थित मावली मंदिर के पास जुआ खेलते पांच लोगों को पकड़ने का दावा किया। इस कार्रवाई में करीब चार हजार रुपये नकद और ताश के पत्ते जब्त किए गए। पुलिस ने इना कुमार, जितेन्द्र कुमार चतुर्वेदी, मनीष साहू, रवि कुमार कौशिक और रवि प्रकाश कौशिक को आरोपित बनाया।
हालांकि, रवि प्रकाश कौशिक ने खुद को निर्दोष बताते हुए पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उसका कहना है कि वह खेत में काम कर रहा था और मंदिर के पास बाइक खड़ी थी। जब वह बाइक लेने आया, तो पुलिस ने उसे भी पकड़कर जुआरियों में शामिल कर दिया। थाने में उससे 20 हजार रुपये की मांग की गई, लेकिन सहमति 10 हजार पर बनी। आरोप है कि उसे एक आरक्षक के साथ च्वाइस सेंटर भेजा गया, जहां से उसने पैसे निकालकर प्रधान आरक्षक बलराम विश्वकर्मा को सौंपे, इसके बावजूद उसके खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया।
कौशिक ने पूरे घटनाक्रम की शिकायत पुलिस महानिरीक्षक से की और मोबाइल ट्रांजेक्शन के साक्ष्य भी प्रस्तुत किए। एसएसपी ने शिकायत को गंभीर से लेते हुए साक्ष्य को प्रथम दृष्टया सही प्रतीत होने पर प्रधान आरक्षक को निलंबित कर जांच कार्रवाई के लिए आदेश देते हुए दोष सिद्ध होने पर आगे की कड़ी कार्रवाई की जाएगी।